Last Updated:September 03, 2025, 20:54 IST
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हिंदू अल्पसंख्यकों को 31 दिसंबर 2024 तक डिपोर्ट नहीं करने का फैसला लिया, जिससे बंगाल की राजनीति में बड़ा असर पड़ेगा.

कोमोलिका सेनगुप्ता, अमन शर्मा
केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आए हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यकों को 31 दिसंबर 2024 तक देश छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा, भले ही उनके पास वैध दस्तावेज न हों. बीजेपी मानती है कि यह फैसला पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा असर डालेगा, खासकर 2026 विधानसभा चुनावों में यह उसके लिए गेमचेंजर हो सकता है. आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है?
सीएए का कटऑफ डेट बढ़ाने का सीधा मतलब है कि पिछले एक दशक में बांग्लादेश से भारत आए हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक अब डिपोर्ट नहीं किए जाएंगे. अभी उन्हें तुरंत वोटिंग का अधिकार नहीं मिलेगा, लेकिन बीजेपी का मानना है कि यह कदम उन्हें बड़ा सुरक्षा का भरोसा देगा और चुनावी प्रचार में इसे मजबूती से पेश किया जा सकता है.
बीजेपी क्यों मान रही है इसे राहत
पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह कदम बंगाल में तीन बड़े फायदे देगा.
1. उत्पीड़ित हिंदुओं की सुरक्षा
पिछले एक दशक में बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता और शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद हिंदुओं पर हमलों की खबरें बढ़ीं. बड़ी संख्या में लोग पश्चिम बंगाल की सीमा से भारत आए. अब यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें जबरन वापस नहीं भेजा जाएगा. बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह कदम बीजेपी को हिंदुओं का रक्षक साबित करता है. अब संगठन यह कह सकता है कि मोदी सरकार उनके साथ खड़ी है और उन्हें सुरक्षित रखेगी.
2. चुनावी नैरेटिव
बीजेपी को भरोसा है कि इससे पार्टी की हिंदुओं के संरक्षक वाली छवि और मजबूत होगी. एक वरिष्ठ नेता ने कहा, हम दिखा सकते हैं कि बीजेपी अपने वादे निभाती है और हिंदुओं को उत्पीड़न और जनसांख्यिकीय खतरे से बचाती है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने भी कहा, जिन्हें अन्य देशों में सताया गया, वे अब डिपोर्ट नहीं होंगे. वे यहां रहेंगे और धीरे-धीरे स्वाभाविक नागरिक बनेंगे. यह उनके लिए बड़ी राहत है. इसके लिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह का धन्यवाद. बंगाल पुलिस अब उन्हें परेशान नहीं कर पाएगी.
3. मतुआ वोट बैंक पर सीधा असर
बंगाल में करीब 60 विधानसभा सीटों पर मतुआ वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 2014 के बाद आए कई मतुआ परिवारों को अपने भविष्य को लेकर असुरक्षा थी. नए आदेश ने उन्हें भरोसा दिला दिया है कि वे भारत में सुरक्षित हैं. मतुआ समाज के बड़े चेहरे और केंद्रीय मंत्री शांंतनु ठाकुर ने कहा, हम बहुत खुश हैं. पिछले महीने हमने अमित शाह से मुलाकात कर यह मुद्दा उठाया था. उन्होंने भरोसा दिया था और अब 90% मतुआ बीजेपी को वोट देंगे. बीजेपी हिंदुओं की समस्याओं को समझती है.
नेहरू को क्यों गिनाने लगी बीजेपी
बीजेपी नेता यह भी कहते हैं कि यह फैसला 1947 के वादे की पूर्ति है. समिक भट्टाचार्य ने कहा, आजादी के समय जवाहरलाल नेहरू ने वादा किया था कि अगर पाकिस्तान में अल्पसंख्यक असुरक्षित होंगे तो भारत उन्हें शरण देगा. लेकिन कांग्रेस ने यह वादा कभी पूरा नहीं किया. अब मोदी सरकार यह जिम्मेदारी निभा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में खुलेआम हिंदुओं का नरसंहार हुआ. इस्कॉन मंदिरों को तोड़ा गया, नाथ संप्रदाय के मठ पर हमला हुआ, सत्यजीत रे का घर भी नहीं बचा. यह इस्लामिक फासीवाद था. ऐसे पीड़ित लोग अब भारत को अपना घर मान रहे हैं.
राजवंशी और अन्य समुदायों को भी फायदा
बीजेपी का कहना है कि सिर्फ मतुआ ही नहीं बल्कि राजवंशी और अन्य हिंदू समुदाय भी इस फैसले से लाभान्वित होंगे. पार्टी नेता कहते हैं, यह आदेश साफ करता है कि कई समुदायों को उत्पीड़ित अल्पसंख्यक माना जाएगा और उन्हें देश से बाहर नहीं किया जाएगा। वे हमारे अपने हैं। उनके साथ अन्याय होगा तो हम चुप नहीं बैठ सकते. पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि इसका असर बंगाल ही नहीं, बल्कि देशभर के उन क्षेत्रों में होगा जहां हिंदू प्रवासी समुदाय रहते हैं.
टीएमसी का पलटवार
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस फैसले को पूरी तरह से राजनीतिक स्टंट बताया है. टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, बीजेपी सिर्फ लोगों को भ्रमित कर रही है। उसका बंगाल की जनता से कोई असली रिश्ता नहीं है. वे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं और जब-जब वे ऐसा करेंगे, टीएमसी इसका विरोध करेगी। वे तो बंगाली भाषा तक का अपमान कर रहे हैं.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
Kolkata,West Bengal
First Published :
September 03, 2025, 20:54 IST