Last Updated:November 01, 2025, 23:12 IST
upreme Court : उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कंधई थाने के एसएचओ गुलाब सिंह सोनकर को सुप्रीम कोर्ट ने कठघरे में खड़ा कर दिया है. आरोप है कि उन्होंने कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर याचिकाकर्ता को पीटा और धमकाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा -“ऐसे अधिकारी न्याय को कलंकित कर रहे हैं, सख्त कार्रवाई तय है.”
प्रतीकात्मक चित्रनई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कंधई थाने के एसएचओ को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के एक मामले में कड़ी फटकार लगाई है. आरोप है कि एसएचओ ने कोर्ट का आदेश मानने से इनकार किया और याचिकाकर्ता को न सिर्फ गिरफ्तार किया बल्कि उसके साथ मारपीट भी की. इतना ही नहीं, उसने खुलेआम कहा कि “मैं किसी सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानता. मैं तुम्हारा सारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आज निकलवा दूंगा.” इस तरह की भाषा और व्यवहार ने अदालत को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया.
28 मार्च 2025 की घटना, जब SHO ने कोर्ट आदेश को किया नजरअंदाज
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 28 मार्च 2025 का है. कंधई थाना प्रभारी गुलाब सिंह सोनकर ने कोर्ट के आदेश की खुली अवहेलना की थी. उन्होंने याचिकाकर्ता को थाने में घसीटा और उसे जबरन गिरफ्तार कर लिया. याचिकाकर्ता ने जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी दिखाई, तो SHO ने गाली-गलौज की और कहा कि वह किसी भी कोर्ट का आदेश नहीं मानेंगे. यह वाकया मौके पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों और स्थानीय लोगों के सामने हुआ.
सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा- न्याय का मजाक बर्दाश्त नहीं
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने इस पर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया दी. कोर्ट ने कहा कि यह आचरण न सिर्फ न्यायपालिका का अपमान है बल्कि कानून के शासन की मूल भावना पर हमला है. बेंच ने कहा, “पहली नजर में ऐसा लगता है कि एसएचओ ने जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है. इस तरह के अधिकारियों को बख्शा नहीं जा सकता.” अदालत ने कहा कि यह मामला न्याय व्यवस्था के प्रति जनता के भरोसे को कमजोर करता है और इस पर सख्त कार्रवाई जरूरी है.
गृह विभाग को जांच के आदेश, ADGP स्तर के अधिकारी करेंगे पड़ताल
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि मामले की जांच ADGP रैंक के अधिकारी से करवाई जाए. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि न्याय की प्रक्रिया में किसी तरह का हस्तक्षेप न हो. अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई अधिकारी यह सोचता है कि वह कानून से ऊपर है, तो यह सोच गलत है और उसे तत्काल जवाबदेह ठहराया जाएगा.
राज्य सरकार ने कोर्ट को दी सफाई, कार्रवाई का दिया भरोसा
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया कि जांच रिपोर्ट में SHO के खिलाफ गंभीर आरोप सही पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि उसके खिलाफ “कड़ी और त्वरित अनुशासनात्मक कार्रवाई” की जाएगी. अदालत ने इस जवाब को रिकॉर्ड पर लिया और कहा कि वह मामले की प्रगति की अगली सुनवाई में समीक्षा करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि दोष सिद्ध होता है, तो यह अवमानना का स्पष्ट मामला होगा.
7 नवंबर को फिर होगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट रखेगा सख्त रुख
कोर्ट ने फिलहाल इस मामले को 7 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया है. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आदेश की अवहेलना लोकतांत्रिक शासन में अस्वीकार्य है. जस्टिस अरविंद कुमार ने टिप्पणी की कि “कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है.” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह का व्यवहार न केवल न्यायपालिका बल्कि नागरिक अधिकारों के लिए भी खतरा है.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 01, 2025, 23:12 IST

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