कर्नाटक: फिर मात खा गए DK, क्या सिद्दारमैया को हटाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं

6 hours ago

Last Updated:July 03, 2025, 08:41 IST

Karnataka politics: कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की मांग के बीच कांग्रेस ने सिद्धारमैया को ही सीएम बनाए रखने का फैसला लिया है. इससे डीके शिवकुमार मायूस हैं. सिद्धारमैया को विधायकों का समर्थन है.

 फिर मात खा गए DK, क्या सिद्दारमैया को हटाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं

कर्नाटक में सीएम पद को लेकर दोनों शीर्ष नेताओं के बीच तकरार पुरानी है.

हाइलाइट्स

सिद्धारमैया बने रहेंगे कर्नाटक के मुख्यमंत्री.डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा.कांग्रेस हाईकमान ने नेतृत्व परिवर्तन की योजना नहीं बनाई.

Karnataka politics: कर्नाटक की सियासत में एक बार फिर मुख्यमंत्री पद को लेकर हलचल तेज है, लेकिन इस बार भी उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मायूसी हाथ लगी है. कांग्रेस हाईकमान ने साफ कर दिया है कि सिद्धारमैया ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे और नेतृत्व परिवर्तन की कोई योजना नहीं है. यह घटनाक्रम कर्नाटक कांग्रेस के भीतर चल रही सत्ता की खींचतान को उजागर करता है, जहां सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच तनाव लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है. इस ताजा बवाल के बाद अब सवाल है कि क्या सिद्धारमैया को हटाना वाकई कांग्रेस के लिए असंभव है.

सिद्धारमैया बनाम डीके शिवकुमार

दरअसल, मई 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की शानदार जीत के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच खींचतान शुरू हो गई थी. उस समय डीके शिवकुमार को पार्टी की जीत में उनके योगदान के लिए मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. उनकी मेहनत और वोकालिंगा समुदाय के समर्थन ने कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी. फिर भी सिद्धारमैया को सीएम की कुर्सी बदलेगी. सिद्धारमैया एक अनुभवी नेता हैं और कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने 135 विधायकों में से बहुमत का समर्थन हासिल कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा किया. डीके को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से संतोष करना पड़ा. इस दौरान एक कथित ढाई-ढाई साल के सत्ता-बंटवारे की बात सामने आई थी, हालांकि इसे कभी आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया गया.

ताजा विवाद और डीके की मायूसी

हाल ही में डीके शिवकुमार के समर्थकों ने फिर से नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाई. उनके करीबी विधायक इकबाल हुसैन ने दावा किया कि 138 में से 100 विधायक डीके के समर्थन में हैं और अगर नेतृत्व परिवर्तन नहीं हुआ तो 2028 के चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ सकता है. इस बयान ने सियासी हलकों में हड़कंप मचा दिया. हालांकि, कांग्रेस हाईकमान ने तुरंत हस्तक्षेप किया और रणदीप सिंह सुरजेवाला को बेंगलुरु भेजकर स्थिति को संभाला. सुरजेवाला ने विधायकों के साथ बैठकें कीं और साफ किया कि सिद्धारमैया को हटाने का कोई इरादा नहीं है. डीके शिवकुमार ने भी सार्वजनिक रूप से सिद्धारमैया का समर्थन करते हुए कहा, “मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है. मुझे उनका साथ देना होगा.”

सिद्धारमैया की मजबूत स्थिति

सिद्धारमैया की स्थिति को मजबूत करने में कई कारक अहम हैं. इसमें सबसे अहम है सिद्धारमैया का कुरुबा समुदाय से होना. यह समुदाय कांग्रेस की जातिगत समीकरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्हें हटाने से पार्टी की सामाजिक समावेश की रणनीति को झटका लग सकता है, खासकर तब जब हाल ही में एक जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की गई है. दूसरा, सिद्धारमैया को विधायकों का बहुमत समर्थन प्राप्त है, जो उन्हें हटाने की राह में बड़ी बाधा है.

डीके शिवकुमार की चुनौतियां

डीके शिवकुमार वोकालिंगा समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके पास संगठनात्मक ताकत और विधायकों का समर्थन होने के बावजूद, उनकी राह आसान नहीं है. उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने 2023 की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई, लेकिन हाईकमान की प्राथमिकता सिद्धारमैया को बनाए रखने की रही है.

कांग्रेस हाईकमान का सिद्धारमैया को बनाए रखने का फैसला एक रणनीतिक कदम है. पार्टी नहीं चाहती कि नेतृत्व परिवर्तन से सरकार की स्थिरता और उसकी छवि को नुकसान पहुंचे. इसके बजाय हाईकमान ने कैबिनेट फेरबदल या संगठनात्मक बदलाव के जरिए डीके समर्थकों को शांत करने की कोशिश की है. हालांकि डीके ने कैबिनेट फेरबदल का विरोध किया है, जिससे साफ है कि वह अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहते हैं.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

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