Last Updated:July 14, 2025, 14:14 IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर बनाए गए एक विवादास्पद कार्टून के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है.
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट मालवीय को राहत देने से इनकार किया.अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट.मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक कार्टून बनाने के आरोपी कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई. अदालत ने इस मामले में कोई अंतरिम आदेश देने से साफ इनकार कर दिया और सुनवाई को 15 जुलाई तक टाल दिया.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि, ‘कार्टूनिस्ट और स्टैंड-अप कॉमेडियन अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग कर रहे हैं. आपने देखा होगा कि इनका रवैया कैसा होता है, इनमें कोई संवेदनशीलता नहीं होती.’
जब मालवीय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि कार्टून आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता, तो अदालत ने दो टूक कहा कि इस तरह की अभिव्यक्तियों से देश का सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है, और बाद में लोग माफ़ी मांगकर केस खत्म करने की बात करते हैं. वहीं जस्टिस धूलिया ने सीधे सवाल करते हुए कहा, ”आप ये सब क्यों करते हैं?’
क्या है मामला?
इंदौर के रहने वाले कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय पर आरोप है कि उन्होंने फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस और भगवान शिव से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट किए, जिसमें कार्टून, कमेंट और वीडियो शामिल थे. इस पर आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी ने इंदौर के लसूड़िया थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार, यह सामग्री न केवल प्रधानमंत्री और संघ के प्रति अपमानजनक थी, बल्कि इसका उद्देश्य हिंदू धार्मिक भावनाओं को आहत करना भी था.
कोर्ट का रुख सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस समय हेमंत मालवीय को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत नहीं देगा, और कहा कि देश के कानूनी और सामाजिक संतुलन को ठेस पहुंचाने वाली गतिविधियों को स्वतंत्रता के नाम पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
इस मामले की सुनवाई अब 15 जुलाई को होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि हेमंत मालवीय को अग्रिम ज़मानत दी जा सकती है या नहीं. इस केस ने एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक उत्तरदायित्व की बहस को नई धार दी है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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New Delhi,Delhi