Last Updated:May 18, 2025, 21:16 IST
CJI Gavai: मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई मुंबई पहुंचे, लेकिन कार्यक्रम में राज्य के शीर्ष अधिकारी नदारद रहे. इस पर उन्होंने मंच से नाराजगी जताई और पूछा, जब संविधान के रक्षक राज्य आएं तो अफसरों की गैरमौजूदगी क्या उचि...और पढ़ें

भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई. (फाइल फोटो PTI)
हाइलाइट्स
CJI गवई ने अफसरों की गैरमौजूदगी पर नाराजगी जताई.मुख्य सचिव, DGP और पुलिस कमिश्नर कार्यक्रम में नदारद रहे.CJI ने इसे संवैधानिक संस्थाओं के आपसी सम्मान की कमी बताया.CJI Gavai News: मुंबई पहुंचे CJI बीआर गवई उस वक्त नाराज हो गए जब एक आधिकारिक कार्यक्रम में राज्य के तीन बड़े अधिकारी मुख्य सचिव, DGP और मुंबई पुलिस कमिश्नर नदारद मिले. उन्होंने मंच से ही सवाल उठाया कि जब एक संवैधानिक संस्था का मुखिया राज्य आता है, तो क्या उसका सम्मान नहीं होना चाहिए? CJI गवई ने कहा, “संविधान के रक्षक के साथ ऐसा बर्ताव क्यों?” उन्होंने अफसरों की गैरहाजिरी को केवल “प्रोटोकॉल की बात” न मानते हुए इसे लोकतंत्र के स्तंभों के बीच सम्मान की कमी करार दिया.
मुख्य न्यायाधीश ने महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के कार्यक्रम में कहा, “जब कोई संवैधानिक संस्था का प्रमुख राज्य का दौरा करता है तो उसके साथ सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए. अगर मैं महाराष्ट्र का पहला मुख्य न्यायाधीश बनकर अपने राज्य आया हूं तो मुख्य सचिव, डीजीपी और पुलिस कमिश्नर की अनुपस्थिति सोचने का विषय है.”
वैधानिक संस्थाओं के आपसी सम्मान से जुड़ा मसला- CJI
उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ प्रोटोकॉल का सवाल नहीं है बल्कि यह संवैधानिक संस्थाओं के आपसी सम्मान से जुड़ा मसला है. उन्होंने अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसी अन्य संस्था के साथ ऐसा होता तो इस पर गंभीर बहस होती.
चैत्य भूमि पर बोले – “मैं प्रोटोकॉल को लेकर चिंतित नहीं”
बाद में जब CJI चैत्य भूमि पहुंचे तो महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, डीजीपी रश्मि शुक्ला और मुंबई पुलिस कमिश्नर देवन भारती वहां मौजूद थे. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें प्रोटोकॉल के उल्लंघन से दुख हुआ तो उन्होंने कहा, “मैं प्रोटोकॉल को लेकर चिंतित नहीं हूं, मैं बस जो हुआ उसे बता रहा हूं.”
अनुच्छेद 142 का संदर्भ और बड़ा संदेश
CJI की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों को लेकर न्यायिक अतिक्रमण की बहस चल रही है. खासकर तमिलनाडु मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयक मंजूरी देने की समयसीमा तय की. इसके बाद कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच तनाव बढ़ा है. गवई के इस बयान को उसी संदर्भ में देखा जा रहा है, कि लोकतंत्र का संतुलन तभी टिक सकता है जब सभी संस्थाएं एक-दूसरे का सम्मान करें और अपनी सीमाएं समझें.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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