इनकम टैक्स भरने तक में फिसड्डी है ये इत्तू सा देश, गफलत देखिए भारत से लड़ने के सपने देख रहा

4 hours ago

Pakistan Fake Factory: पाकिस्तान की किस्मत ही खराब चल रही है. आए दिन उसके साथ कुछ न कुछ सॉलिड यानी तगड़ी ट्रैजिडी हो रही है. बीते कुछ दिनों में ऐसा बहुत कुछ हुआ है जो पूरे पाकिस्तान का दुनियाभर में माखौल उड़वा रहा है. ऐसे तमाम घटनाक्रम सामने आ चुके हैं जो इस्लामाबाद के कथित मायाजाल की तस्दीक करते हैं. ये वो फेक नैरेटिव है जो पाकिस्तानी नेता अपनी आवाम के इर्द-गिर्द बुन रहे हैं. शहबाज शरीफ से लेकर जमाने भर के छुटभैये और बड़े नेता फेक न्यूज फैक्ट्री के जरिए अनर्गल प्रलाप करवा रहे हैं.

जनरल साख में बट्टा लगवा रहा

एक ओर नेता अपनी दुकान बचाने के लिए झूठ की बैसाखियों पर चल रहे हैं तो दूसरी ओर सेना का जनरल अपनी हरकतों से अपने ही लाव-लश्कर यानी फौज की मिट्टी पलीत करा रहा है. जिसके बाद लोग कह रहे हैं कि ये नया पाकिस्तान है जो 'टिकटॉक' के जरिए फेक नैरेटिव गढ़ने की अद्भुत काबिलियत रखता है. दुनिया कह रही है कि पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क बनता जा रहा है जो पतन के कगार पर है. अंदर से खोखला हो चुका है. ऐसा देश जिसकी संरचना नाजुक और सैन्य कल्पनाओं के साथ ही कूटनीतिक फेल्योर का प्रमाण है.

'आर्मी अगाही'

'आर्मी अगाही नेटवर्क' सेना की वो 'टुकड़ी' है जो सोशल मीडिया पर केवल और केवल प्रोपेगेंडा फैलाने यानी फर्जी माहौल बनाने का काम करती है. पिछले दिनों ऐसे कई वीडियो आए जो अपनी जनता के बीच भारत की छवि बिगाड़ने और अपना इकबाल बुलंद करने की खातिर गढ़े गए, इन्हें भी ध्वस्त करने का काम हमारे देश ने फैक्ट चेक के जरिए कर दिखाया और इस हरकत से पाकिस्तान अपना ही मखौल उड़वाता रहा.

मुनीर से पूछा जा रहा सवाल

पाकिस्तानी सेना मजाक का सबब बन गई है. नैरेटिव गढ़ने के चक्कर में पाकिस्तानी चारों ओर ऐसी जग हंसाई करा रहे हैं कि कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह गए हैं. सोशल प्लेटफॉर्म पर लोग जनरल मुनीर से ही सवाल कर रहे हैं कि ऐसे समय में जब सेना को प्रतिद्वंदियों को मुंह तोड़ जवाब देना था, वो टिकटॉक वीडियो बनाने में क्यों मगन है?

पैसों की तंगी से कराह रहा PAK

फटेहाल पाकिस्तान आर्थिक तौर पर भी दर्द से कराह रहा है. पाकिस्तानी इकॉनमी तो वैसे ही पाताललोक में पहुंच गई है. ये ऐसा विरला देश है जो 1958 से लगातार आईएमएफ के सामने गिड़गिड़ाकर बस भीख ही मांग रहा है. पाकिस्तान अबतक 24 बेल आउट पैकेज झोली में गिरवा चुका है. ये मदद उसके व्यवस्थित आर्थिक कुप्रबंधन का परिणाम है. देश का आर्थिक मॉडल ध्वस्त हो चुका है. दिवालिया देश दिखता कुछ और है और खुद को दिखाता कुछ और है. अपनी संरचनात्मक कमजोरियों पर गंभीरता से विचार करने के बजाय लगातार छुपाने में यकीन रखता है.

पाकिस्तानी टैक्स सिस्टम एक तमाशा

पाकिस्तान की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है, लेकिन मुल्क के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है. उसके लिए ये आम बात है. चौंकाने वाली राज की बात तो अब ये है कि पाकिस्तान की करीब 2 फीसदी आबादी ही इनकम टैक्स का रिटर्न फाइल करती है (पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने 2024 में डेटा जारी किया था). कह सकते हैं कि कर प्रणाली भी एक तमाशे से ज्यादा कुछ नहीं है और हुक्मरान तमाशबीन से ज्यादा कुछ नहीं!

भूख से कुपोषित पाकिस्तानी लोग

इस देश की दुर्दशा की कहानी वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) भी कहता है. 127 देशों की फेहरिस्त में पाकिस्तान 109वें पायदान पर है. यहां करीब 82 प्रतिशत आबादी स्वस्थ आहार का खर्च तक उठाने में असमर्थ है. बात सैन्य हथियारों की करें तो सेना जिन हथियारों का ढिंढोरा पीटती रही, उसे तो भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने धूल में मिला दिया.

'श्रीलंका वाले भी मौज ले रहे'

श्रीलंका के डेली मिरर ऑनलाइन में प्रकाशित लेख सैन्य उपकरण के संस्थागत दिवालियेपन की दास्तान सुनाता है. ये कहता है- 'इनके टैंक खराब हो जाते हैं, प्रशिक्षण के दौरान जेट दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. चीन और तुर्की से आयात किए कई ड्रोन अक्सर मिशन के बीच में ही विफल हो जाते हैं. हाल ही में बड़े पैमाने पर भारतीय स्थानों पर 400 ड्रोन तैनात किए गए जो लगभग पूरी तरह से विफल हो गए. ये ड्रोन अधिकतर नागरिक क्षेत्रों में रोके गए या दुर्घटनाग्रस्त हो गए.'

सेना और सरकार भू-राजनीतिक रणनीति को लेकर भी जाल बुनती है. पाकिस्तान ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल से इतनी हताशा में हाथ मिलाया कि वह आर्थिक रूप से खुद को नुकसान पहुंचाने की हद तक पहुंच गया है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जिसे गेम चेंजर साझेदारी के रूप में प्रचारित किया गया, अब दम तोड़ रहा है. इस क्षेत्र में रहने वाले लोग जबरदस्त विरोध कर रहे हैं, जिस कारण ड्रैगन भी कुछ खास प्रसन्न नहीं है.
बलूचिस्तान खुद को पहले ही पाकिस्तान से आजाद करने की मुनादी कर चुका है. बीएलए ने पाकिस्तानी सेना की ताकत की कलई खोल दी है तो देश के भीतर बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने हुक्मरानों की बोलती बंद कर रखी है.

ये उसकी हकीकत है जो अपनी जनता को भुलावे में रखता है. हर मामले में नाकाम और नकारे और नाशुक्रे पाकिस्तानी नेता भारत से दुश्मनी का रोना रोकर अपनी दुकान चला रहे हैं. जिस देश का रिमोट कंट्रोल आईएसआई के हाथों में हो, भला उससे उम्मीद उसकी अपनी आवाम करे भी तो कैसे करे!(आईएएनएस)

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