Last Updated:November 06, 2025, 14:57 IST
Karnataka RSS News: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सिद्धारमैया सरकार के उस आदेश पर रोक हटाने से इनकार कर दिया है, जिसमें निजी समूहों को सार्वजनिक समारोह आयोजित करने के लिए पहले अनुमति लेना अनिवार्य किया गया था.
RSS मार्च पर रोक वाले मामले पर कर्नाटक सरकार को एक बार फिर हाईकोर्ट से झटका लगा है.कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को अदालत से एक बार फिर झटका लगा है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति लेने से जुड़े अपने आदेश पर लगी रोक हटाने की मांग की थी. अदालत ने साफ कहा कि सरकार अगर राहत चाहती है तो पहले सिंगल जज के पास जाए.
जस्टिस एसजी पंडित और गीता केबी की बेंच ने कहा कि सरकार चाहे तो सिंगल जज के सामने जाकर आवेदन दे सकती है ताकि उस अंतरिम आदेश को हटाने पर विचार किया जा सके. अदालत ने कहा, ‘अगर सरकार ऐसा आवेदन करती है, तो सिंगल जज उसे देखेंगे और फैसला करेंगे.’
सिद्धारमैया सरकार की दलील नामंजूर
राज्य सरकार की तरफ से पेश एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने अदालत से कहा कि इस रोक का असर सिर्फ उन्हीं लोगों पर लागू होना चाहिए जिन्होंने आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी. लेकिन अदालत ने यह मांग ठुकरा दी और कहा, ‘ऐसी बातें सिंगल जज के सामने रखें, हम बीच में दखल नहीं देंगे.’
सरकार का आदेश क्या था?
दरअसल कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने 18 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया था. इसके तहत किसी भी निजी संस्था, संगठन या समूह को अगर सरकारी जमीन या इमारत में कार्यक्रम या सभा करनी है, तो पहले सरकार या प्रशासन से अनुमति लेनी होगी.
यह आदेश उस समय जारी किया गया था, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने 100 साल पूरे होने पर जुलूस और अन्य कार्यक्रम आयोजित करने वाला था. यह फैसला राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया था. बैठक से पहले मंत्री प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर आरएसएस की सार्वजनिक जगहों पर गतिविधियों पर रोक लगाने की सिफारिश की थी.
इस सरकारी आदेश को पुनश्चेतना सेवा समस्ते, वी केयर फाउंडेशन, और दो सामाजिक कार्यकर्ताओं राजीव मल्हार पाटिलकुलकर्णी और उमा सत्यजीत चव्हाण ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार का यह आदेश लोगों के शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र होने और अपनी बात रखने के अधिकार का उल्लंघन करता है.
सिंगल जज ने पहले ही लगाई थी रोक
28 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. उन्होंने कहा था कि भले ही सरकार का मकसद सार्वजनिक संपत्ति के गलत इस्तेमाल को रोकना हो, लेकिन यह आदेश नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
उन्होंने यह भी कहा था कि ‘सरकार किसी नागरिक के मौलिक अधिकार को सिर्फ एक आदेश जारी करके खत्म नहीं कर सकती, जब तक इसके लिए कोई कानून न बनाया गया हो.’
इसके बाद सरकार ने यह मामला हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील के रूप में उठाया, लेकिन उस बेंच ने भी सरकार की अपील खारिज कर दी और कहा कि सरकार चाहे तो राहत के लिए सिंगल जज के पास वापस जाए.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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Location :
Bengaluru,Bengaluru,Karnataka
First Published :
November 06, 2025, 14:55 IST

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