Last Updated:October 01, 2025, 13:52 IST
IIT Delhi Alert: आईआईटी दिल्ली और क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट में एनसीएपी लक्ष्य पूरे होने पर भारत में बीमारियों का बोझ घटने और लाखों जानें बचने की संभावना जताई गई है.

IIT Delhi Alert: जैसे-जैसे सर्दियों का मौसम नजदीक आ रहा है, वायु प्रदूषण का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. इस बीच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), दिल्ली और क्लाइमेट ट्रेंड्स की एक ताज़ा रिपोर्ट ने आगाह किया है कि यदि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के लक्ष्य हासिल किए जाएं, तो भारत में बीमारियों का बोझ बड़े पैमाने पर घट सकता है और लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीएपी के 2024 तक पीएम 2.5 प्रदूषण स्तर में 30 प्रतिशत कटौती के लक्ष्य को पूरा करने से देशभर में बीमारी की औसत दर 4.87 प्रतिशत से घटकर 3.09 प्रतिशत हो सकती है. यह कमी विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए जीवनदायी साबित होगी, क्योंकि वे वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.
आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज और क्लाइमेट ट्रेंड्स ने एक हेल्थ बेनिफिट असेसमेंट डैशबोर्ड भी जारी किया है. यह डैशबोर्ड राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों और आईआईटी दिल्ली के सांस सैटेलाइट डेटा पर आधारित है. इसमें प्रदूषण और बीमारियों के बीच संबंध को साफ तौर पर दिखाया गया है. डैशबोर्ड के अनुसार, महिलाओं (15-49 वर्ष आयु वर्ग) में हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), एनीमिया और डायबिटीज जैसी बीमारियों का सीधा संबंध प्रदूषण से है. वहीं, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कम वजन, श्वसन संक्रमण और एनीमिया जैसी समस्याओं का गहरा रिश्ता प्रदूषण स्तर से सामने आया है.
एक्सपर्ट के सुझाव
एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने चर्चा के दौरान सुझाव दिया कि भारत में एक राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य आयोग या उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन होना चाहिए, जिसकी अध्यक्षता पर्यावरण और स्वास्थ्य मंत्री करें. उन्होंने कहा, ‘हमें वायु प्रदूषण को केवल दिल्ली-एनसीआर का नहीं, बल्कि पूरे देश का मुद्दा मानना होगा. इस पर राष्ट्रीय स्तर पर नीति बनानी होगी.’ विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के असर तुरंत दिखाई नहीं देते. इसका कोई डेथ सर्टिफिकेट नहीं होता, लेकिन यह चुपचाप लोगों की उम्र घटा रहा है, कार्यक्षमता कम कर रहा है और अस्पतालों का बोझ बढ़ा रहा है. दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, ओडिशा और पंजाब जैसे इलाकों में साफ हवा के लक्ष्य पूरे होने पर सीओपीडी के मामलों में 12 प्रतिशत तक कमी दर्ज हो सकती है.
एयर पॉल्यूशन-हेल्थ का सीधा रिश्ता
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि वायु गुणवत्ता सुधार का केंद्रबिंदु जनस्वास्थ्य होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में किए गए सभी एपिडेमियोलॉजिकल शोध और साक्ष्य हमें यह समझने में मदद करते हैं कि वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य के बीच कितना सीधा रिश्ता है. इसी आधार पर प्रभावी नीति बनाना जरूरी है. जैसे-जैसे उत्तरी भारत में सर्दियां शुरू होंगी, पीएम 10 और पीएम 2.5 कणों का स्तर तेजी से बढ़ेगा और शहर धुंध की चादर में लिपट जाएंगे. ऐसे में विशेषज्ञों की चेतावनी है कि यदि सरकारें और समाज अभी गंभीर कदम उठाएं तो प्रदूषणजनित बीमारियों और समय से पहले मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 01, 2025, 13:50 IST