नई दिल्ली. कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत लगभग 23 लाख महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, जिनमें से ज्यादातर 59 विधानसभा सीट से हैं, जहां 2020 के चुनावों में ‘कांटे की टक्कर’ देखी गई थी. अपने ‘वोट चोरी’ के दावों को दोहराते हुए, विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने दलित और मुस्लिम महिला मतदाताओं को निशाना बनाया, जिनके नाम राज्य में एसआईआर के दौरान एक ‘सुनियोजित साजिश’ के तहत मतदाता सूची से हटा दिए गए.
उसने यह भी पूछा कि इन महिलाओं ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में जब वोट डाला था, तब क्या ये वोट ‘फर्जी’ थे और क्या ‘फर्जी वोटों’ से चुने गए सांसदों ने सरकार बनाने में मदद की थी. अखिल भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष अलका लांबा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर, निर्वाचन आयोग बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के नाम पर ‘बड़े पैमाने पर धांधली’ कर रहा है.
उन्होंने यहां इंदिरा भवन मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में दावा किया, ‘बिहार में लगभग 3.5 करोड़ महिला मतदाता हैं, लेकिन लगभग 23 लाख महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं.’ लांबा ने कहा कि ये महिलाएं आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगी और “हमारा मानना है कि यह फैसला संविधान के विरुद्ध है.” लांबा ने दावा किया, “बिहार के जिन छह जिलों से सबसे ज्यादा महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, वे हैं गोपालगंज, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, भोजपुर और पूर्णिया.”
लांबा ने बताया कि जिन छह जिलों में सबसे ज्यादा महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए, उनमें लगभग 60 विधानसभा सीट शामिल हैं. उन्होंने कहा, “अगर हम 2020 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें, तो यहां ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों ने 25 सीट जीती थीं, जबकि राजग को 34 सीट मिलीं थीं और कांटे का मुकाबला देखने को मिला था.”
लांबा ने दावा किया कि बिहार में 22.7 लाख महिलाओं के नाम हटाये गये हैं, जबकि लगभग 15 लाख पुरुषों के नाम मतदाता सूची से हटाये गये हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस ‘वोट चोरी’ के खिलाफ देशव्यापी हस्ताक्षर अभियान चला रही है, जिसके दौरान पार्टी पांच करोड़ हस्ताक्षर एकत्र करेगी. लांबा ने कहा, “आज आखिरी समय में नाम जोड़ने और काटने की साजिश चल रही है, लेकिन हम इसका पर्दाफाश करेंगे.”
उन्होंने आरोप लगाया, “एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार चुनाव को प्रभावित करने के लिए महिलाओं के खातों में पैसे जमा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने निर्वाचन आयोग के साथ मिलीभगत करके लगभग 23 लाख महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए.”
लांबा की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार में एसआईआर के पूरा होने पर संतोष व्यक्त किया और दावा किया कि इस प्रक्रिया ने 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची को ‘शुद्ध’ किया है. उन्होंने राज्य के अपने दौरे के समापन से पहले पटना में संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की. बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनावों की घोषणा होने की संभावना है.
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