किसी ने सही कहा है कि समय के आगे किसी की नहीं चलती है. ऐसा ही कुछ हम इस समय ब्रिटेन की मौजूदा परिस्थितियों को लेकर भी कह सकते हैं. कभी पूरी दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटेन की मौजूदा अर्थव्यवस्था बहुत ही बुरे दौर से गुजर रही है. ब्रिटेन पिछले कुछ सालों से लगातार घरेलू और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है. 26 नवंबर को ब्रिटेन की सबसे प्रभावी राजकोष की चांसलर रेचल रीव्स के सामने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी चुनौती होगी. इस तारीख को वो दूसरे बजट का ऐलान करेंगी. रीव्स की ये कठिन परीक्षा होगी कि कैसे वो मौजूदा खर्चों में कमी किए बिना गिरती हुई इकोनॉमी के बीच जनता को खुश रखने वाला और सरकार पर कम बोझ वाला बजट कैसे तैयार करेंगी.
अर्थशास्त्री एलेक्स ब्रमर ने ब्रिटेन की ढहती अर्थ व्यवस्था को लेकर बताया कि लेबर पार्टी के घोषणापत्र के वादों ने जो राष्ट्र को नेशनल इंश्योरेंस (कामकाजी लोगों पर) वैट और इनकम टैक्स से बचाने की बात करते हैं ने रिचेल रीव्स की इस परीक्षा को और भी कठिन बना दिया है. पिछले सप्ताह लिवरपूल में लेबर पार्टी सम्मेलन के गलियारों में सरकार के दावों के कमजोर होने के लक्षण दिखाई दिए. चांसलर को सशक्त कार्यालय फॉर बजट रिस्पॉन्सिबिलिटी (OBR) से भी मदद नहीं मिल रही है.
ब्रिटेन की मौजूदा अर्थव्यवस्था ने पैदा की चिंता
इस वॉचडॉग ने यूके की ग्रोथ के पूर्वानुमान की अपनी विधियों को अपडेट करने के लिए इस समय को चुना है. इसके नए गणनाओं के केंद्र में ब्रिटेन की उत्पादकता दर है. इसने ट्रेजरी में चिंता पैदा कर दी है क्योंकि इससे वर्तमान खर्च को संतुलित करना और भी कठिन हो गया है. OBR के पहले ड्राफ्ट से पता चलता है कि £18 बिलियन तक की अतिरिक्त कमी हो सकती है, जो चांसलर के £9.9 बिलियन के हेडरूम को मिटा देती है और संभावित रूप से £30 बिलियन तक के बजट ब्लैक होल की ओर ले जाती है. ट्रेजरी के गहरे गलियारों में तैयार किया गया यह डेटा, हमारी सरकारों को सार्वजनिक धन के जिम्मेदार संरक्षक के रूप में दिखाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह एक भ्रम है.
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ओबीआर ने स्वीकारा ये सब काल्पनिक कहानी
भले ही सार्वजनिक खर्च और उधार बढ़ रहा हो बजट की रेड बुक में प्रकाशित संलग्न चार्ट कथित तौर पर कर्ज के स्तर को नीचे की ओर दिखाते हैं. लेकिन फिर राष्ट्रीय कर्ज आर्थिक उत्पादन के 100 प्रतिशत के करीब खतरनाक रूप से कैसे खड़ा है? जवाब यह है कि लगातार सरकारों द्वारा उधार की संचय को आशावादी विकास पूर्वानुमानों का उपयोग करके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में कर्ज को कम दिखाने के जादुई कार्य द्वारा छिपाया गया है. जितनी तेजी से अर्थव्यवस्था बढ़ती है राष्ट्रीय आय के अनुपात में कर्ज उतना ही कम होता है और बजटीय परिणाम उतने ही बेहतर दिखते हैं. लेकिन ओबीआर ने हाल ही में स्वीकार किया है कि यह सब एक काल्पनिक कहानी है.
जनता से किए गए वादे नहीं पूरा कर पा रहा यूके
लेबर पार्टी के अध्यक्ष रिचर्ड ह्यूजेस ने घोषणा की "यूके उन वादों की लिस्ट को नहीं पूरा कर पा रहा है जो उसने जनता से किए हैं." ओबीआर की नवीनतम वित्तीय जोखिम रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बताती है कि देश एक झूठ में जी रहा है. जबकि 2010 से लगातार चांसलर्स द्वारा जारी किए गए पिछले दस वित्तीय ढांचों में से आठ सार्वजनिक कर्ज को कम दिखाते हैं. कड़वा सच यह है कि पिछले 15 वर्षों में सार्वजनिक कर्ज वास्तव में 24 प्रतिशत और पिछले दो दशकों में 60 प्रतिशत बढ़ गया है.
हर बार अर्थव्यवस्था को लेकर नया बहाना
बहाने हमेशा बनाए जाते हैं महामारी और यूक्रेन में युद्ध जैसे झटकों की लागत को पूरा करना कुछ हद तक जिम्मेदारी लेता है. लेकिन जैसे ही कुछ गलत होता है, राज्य से हस्तक्षेप करने और सुरक्षा जाल प्रदान करने की मांग उठने लगती है. महामारी के बाद से कल्याण सूची में और अधिक लोग शामिल किए गए हैं और वे कभी बाहर नहीं निकले, जिससे राज्य की लागत आसमान छू रही है. उधार कम करने और कर्ज चुकाने के प्रयास भी नाकाम रहे हैं. जब लेबर के बैकबेंचर्स के दबाव में यह फैसला लिया गया तो इस साल की शुरुआत में कल्याण में नियोजित खर्च कटौतियों को उलट दिया गया. नतीजतन, बढ़ते टैक्स अपरिहार्य हो गए हैं और ये राष्ट्रीय उत्पादन के 38 प्रतिशत की ओर बढ़ रहे हैं, शांतिकाल में उनका उच्चतम स्तर रहा.
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