राष्ट्रपति शासन को कमजोर करने की साजिश?असल राइफल्स के काफिले पर हमले का खुलासा

3 hours ago

Last Updated:October 05, 2025, 21:16 IST

राष्ट्रपति शासन को कमजोर करने की साजिश?असल राइफल्स के काफिले पर हमले का खुलासाअसम राइफल्स के काफिले पर हुए हमले में 2 जवान शहीद हो गए थे. (सांकेतिक तस्वीर)

इंफाल. सुरक्षा बलों ने मणिपुर के प्रमुख उग्रवादी समूह प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू करते हुए इसके 15 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए इन सदस्यों में पिछले महीने असम राइफल्स के काफिले पर किए गए घातक हमले में सीधे तौर पर शामिल दो प्रमुख संदिग्ध भी हैं. उस हमले में दो जवान भी शहीद हुए थे. अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार दो मुख्य आरोपियों की पहचान थौंगराम सदानंद सिंह उर्फ ​​पुरकपा (18) और खोमद्रम ओजित सिंह उर्फ ​​कीलाल (47) के रूप में हुई है.

अधिकारियों ने संकेत दिया कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व राष्ट्रपति शासन को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये समूह यह तर्क दे रहे हैं कि वर्तमान प्रशासन अप्रभावी है और निलंबित राज्य विधानसभा को तुरंत बहाल किया जाना चाहिए. असम राइफल्स के काफिले पर 19 सितंबर को नांबोल सबल लेइकाई में घात लगाकर हमला किया गया था.

असम राइफल्स के दो जवान नायब सूबेदार श्याम गुरुंग और राइफलमैन रंजीत सिंह कश्यप जिस वाहन पर सवार थे उसपर पटसोई से नांबोल बेस जाने वाली सड़क पर घात लगाकर हमला किया गया था. इस हमले के बाद दोनों जवान शहीद हो गए थे. मई 2023 में कुकी-ज़ो और मेइती समुदाय के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों पर यह पहला हमला था.

अधिकारियों ने संकेत दिया कि जारी अभियानों के दौरान बरामद हथियारों में से छह हथियार संभवतः 2023 में जातीय संघर्ष के पहले चरण के दौरान पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए हैं और इससे पता चलता है कि मूल रूप से सांप्रदायिक संघर्ष के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार अब विद्रोही समूहों के हाथों में पहुंच रहे हैं और सुरक्षा बलों के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

एक वैन भी घटनास्थल से लगभग 12 किलोमीटर दूर मुतुम यांग्बी से बरामद की गई और संदेह है कि इस वैन का इस्तेमाल नांबोल हमले में किया गया होगा. अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक थौंगराम सदानंद सिंह यूएनएलएफ का सदस्य था और अपने पुराने समूह द्वारा हथियार डालने का फैसला करने के बाद हाल ही में पीएलए में शामिल हो गया था.

पीएलए ने नांबोल घटना की ज़िम्मेदारी नहीं ली जबकि अपने 48 वर्षों के इतिहास में वह सार्वजनिक रूप से सभी कार्रवाइयों को स्वीकार करता रहा है. विश्वसनीय खुफिया जानकारी से पता चलता है कि पीएलए के केंद्रीय नेतृत्व को इस हमले की जानकारी नहीं थी या उसने इसकी अनुमति नहीं दी थी.

अधिकारियों ने बताया कि इससे खुफिया एजेंसियां ​​इस संभावना की जांच करने के लिए प्रेरित हुई हैं कि नांबोल घटना एक साजिश के तहत हत्या हो सकती है, जिसका उद्देश्य राज्य के संवेदनशील माहौल को खराब करना, राष्ट्रपति शासन को बदनाम करना या लोकप्रिय शासन के पुन: बहाली को रोकना हो सकता है.

Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

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First Published :

October 05, 2025, 21:16 IST

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