Last Updated:September 22, 2025, 11:07 IST
Kota News : कोटा में कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड केसेज ने पैरेंट्स की नींद उड़ा रखी है. इस पर काबू पाने के लिए अब बच्चों की मेंटल हेल्थ को लेकर कोटा में बेहद खास पहल शुरू की गई है. यहां देश का पहला इमोश्नल वेलबीइंग सेंटर खोला गया है जो बच्चों की मेंटल हेल्थ अवेयरनेस और स्टूडेंट केयर में अब अव्वल बनता जा रहा है.

हिमांशु मित्तल.
कोटा. देशभर में कोचिंग हब के रूप में स्थापित हो चुका कोटा वर्तमान में कई गंभीर समस्याओं से भी घिरा हुआ है. इनमें सबसे बड़ी समस्या है पढ़ाई के तनाव के चलते कोचिंग स्टूडेंट्स में बढ़ती सुसाइड की प्रवृत्ति. कोटा में हर साल देश के कोने-कोने से लाखों बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं. कोचिंग के फैले कारोबार के कारण यहां के इकोनॉमी भी कोचिंग स्टूडेंट्स पर ही निर्भर हो गई है. बच्चों में बढ़ रही ससुाइड प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए अब यहां शुरू हुआ ‘इमोश्नल वेलबीइंग सेंटर’ बेहद कारगर साबित हो रहा है. इस सेंटर से करीब एक हजार एक्सपर्ट्स की टीम जुड़ी हुई है जो बच्चों को तनावमुक्त कर उनको सही राह दिखा रही है.
कोचिंग हब कोटा में शुरू हुआ देश का पहला मेंटल हेल्थ इमोशनल वेलबीइंग सेंटर एक कोचिंग सेंटर की ओर से खोला गया है. यह सभी कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को ‘फ्री ऑफ कॉस्ट’ काउंसलिंग प्रदान करता है. कोटा से संचालित होना वाला यह इमोश्नल वेलबिंग सेंटर देशभर के स्टूडेंट्स की काउंसिलिंग कर रहा है. इसके जरिये स्टूडेंट्स को स्ट्रेस फ्री रखने, सकारात्मक बनाने और उनकी समस्याओं के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें स्टूडेंट्स की समस्याओं का समाधान वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है. यह सेंटर पैरेंट्स के लिए भी खुला है. वे भी सेंटर से संपर्क अपनी समस्याओं का फ्री समाधान पा सकते हैं.
कॉल सेंटर सिस्टम पूरे देश में काम करता है
इमोशनल वेलबीइंग सेंटर के एचओडी डॉक्टर हिमांशु शर्मा के मुताबिक इसका कॉल सेंटर सिस्टम पूरे देश में काम करता है. यह व्हाट्सऐप से लेकर कॉल पर सातों दिन 24 घंटे सक्रिय रहता है. किसी भी स्टूडेंट्स के तनाव की सूचना मिलते ही सेंटर की रिलीफ टीम प्रभावित स्टूडेंट्स से संपर्क करती है. एक्सपर्ट्स बच्चों से बात करके उसकी मानिसकता को समझते हैं. उसके बाद उसे जिस तरह की समस्या होती है उसके अनुसार समाधान के लिए सेंटर के खास एक्सपर्ट के पास रेफर किया जाता है.
सेंटर से क्लीनिकल और नॉन क्लीनिकल डॉक्टर्स जुड़े हुए हैं
सेंटर में स्टूडेंट्स के रिलेशनशिप, एकेडमिक, खुद के नुकसान पहुंचाने वाले केसेज समेत उसके ड्रग और इंटरनेट एडिक्शन जैसे सभी मामलों को देखा जाता है. इन सबके लिए सेंटर के पास अलग-अलग एक्सपर्ट हैं. समस्या के अनुसार स्टूडेंट्स को संबंधित एक्सपर्ट के पास भेजा जाता है. वे उन मामलों को देखते हैं. बच्चे की मानसिकता जानकर उसका इलाज करते हैं. इस इमोशनल वेलबीइंग सेंटर में क्लीनिकल और नॉन क्लीनिकल डॉक्टर्स जुड़े हुए हैं. वे स्टूडेंट्स के लिए दिन रात काम कर रहे हैं.
जिंदगी से हार मानने वाले बच्चों ने पकड़ी सफलता की राह
बड़ी बात यह है कि यह कांसेप्ट बड़ा काम कर गया. अब तक हजारों बच्चे यहां पहुंच चुके हैं. इनमें वे स्टूडेंट्स शामिल हैं जिन्होंने जिंदगी से हार मान ली थी. लेकिन यहां आने के बाद वे यहां से उम्मीद का नया सवेरा लेकर निकले और सफलता के लक्ष्य कसे जीवन में उतार लिया. कोचिंग स्टूडेंट्स की सुसाइड की प्रवृत्ति को रोकने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने भी कोचिंग सिस्टम में काउंसलर्स को नियुक्त करने के आदेश दिए थे. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके लिए कदम उठाने को कहा था।
यह कोटा के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरा है
कोर्ट के इन आदेश के बाद आईआईटी खड़गपुर को डीन ऑफ स्टूडेंट वेलबीइंग बनाना पड़ा. वहीं आईआईटी दिल्ली और रूडकी ने भी स्टूडेंट मेंटल हेल्थ के लिए काउंसलर्स नियुक्त किए. कोटा में ये वेलबीइंग सेंटर बीते दो सालों से अपनी काउंसलर्स आर्मी के साथ में न केवल बेहतर काम रहा है बल्कि अपने मकसद में सफलता भी हासिल कर रहा है. यह कोटा के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरा है.
संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से News18 के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर...और पढ़ें
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Location :
Kota,Kota,Rajasthan
First Published :
September 22, 2025, 11:07 IST