हिंदू राष्ट्र का मतलब पहचान बदलना नहीं, भागवत ने विस्‍तार में समझाई परिभाषा

2 hours ago

Last Updated:November 19, 2025, 23:29 IST

Mohan Bhagwat News: गुवाहाटी में यूथ लीडरशिप कॉन्क्लेव में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि “हिंदू राष्ट्र” की अवधारणा किसी की पूजा, भाषा, रीति-रिवाज या खान‑पान बदलने की बात नहीं करती. उनका कहना था कि जो व्यक्ति देश और उसकी समन्वयी संस्कृति को मानता है, वही हिंदू माना जाता है. उन्होंने कहा कि संगठन किसी की परंपराओं में हस्तक्षेप नहीं चाहता और “हिंदू राष्ट्र” से किसी को डरने की जरूरत नहीं है.

हिंदू राष्ट्र का मतलब पहचान बदलना नहीं, भागवत ने विस्‍तार में समझाई परिभाषामोहन भागवत ने अपनी बात कही.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हिन्‍दू राष्‍ट्र को लेकर लोगों के बीच गलतफहमी पर विस्‍तार में अपनी बात कही. यूथ लीडरशिप कॉन्‍क्‍लेव में मोहन भागवत ने कहा कि जब हम कहते हैं कि हम सब को हिंदू मानना है तो इसे लेकर हमारे मन में कोई भी संशय नहीं होता. किसी भी प्रकार का संशय हमारे मन में नहीं है क्योंकि किसी को भी, किसी भी पूजा से, किसी भी भाषा से, किसी भी प्रांत से, किसी भी रीती-रिवाजों से, किसी भी प्रकार के विचार से यहां तक की कोई नया विचार भी हो, अगर वो देश के विपरीत नहीं है, अपने समाज के विपरीत नहीं है, अपने मानव-धर्म के विपरीत नहीं है तो उन सबका विरोध करने का हमारा कोई विचार नहीं है. हम ये भी नहीं चाहते की आप ये सब छोड़कर हमारे जैसे बन जाओ क्योंकि हम जैसे बनने का कोई तरीका ही नहीं है.

‘किसी के जीवन में हस्तक्षेप का कोई विचार नहीं’
मोहन भागवत ने आगे कहा, ‘जब हमने कहा ‘हमारा हिन्दू राष्ट्र’, हमने किसी के मन में यह भाव निर्माण नहीं किया कि आपको आपकी पूजा छोड़नी है, आपको अपनी भाषा छोड़नी है, आपको अपने रीति-रिवाज छोड़ने हैं, आपको अपने खान-पान को त्यागना है, आपको अपनी परंपरा को त्यागना है. ये किसी के मन में हमने नहीं कहा. जो अपने देश को मानता है, उसकी भाषा, उसकी पूजा, उसकी भाषा, उसकी रीति-रिवाज, उसका खान-पान, उसकी परंपराएँ, उसका जीवन-व्यवहार जैसा है, वैसा रहने का उसको पूरा अधिकार है. उसके जीवन में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने का हमारा कोई विचार नहीं.’

हिन्‍दुत्‍व का असली मतलब क्‍या?
संघ प्रमुख भागवत ने अपनी बात को समझाते हुए आगे कहा, ‘केवल, उसको ये मानना चाहिए की मैं इस देश का हूं. ये सब मेरा है. ये सब मेरे देश का है और इस देश की जो संस्कृति की धारा है वो सबको साथ में लेकर चलने की है. मैं भी उसमें एक हूं. मैं उसका विरोधी नहीं हूं. मैं उसको नष्ट नहीं करंगा. मैं उसका समर्थन करूंगा. मैं उसकी रक्षा करुंगा. मैं उसका विकास करुंगा और मैं अपना भी विकास करंगा. मोहन भागवन ने कहा कि इस भाव से जब कोई रहता है, तो उसको क्या मानते हैं, हिंदू मानते हैं. तो इसलिए जब हम कहते हैं, “हिंदू राष्ट्र”, तो किसी को डरने की या किसी को अलग मानने की, कोई आवश्यकता नहीं. हमारा हिंदू धर्म ही ऐसा है.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...

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Location :

Guwahati,Kamrup Metropolitan,Assam

First Published :

November 19, 2025, 23:26 IST

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