जर्मनी में एक महिला ने गूगल क्लाउड स्टोरेज को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि उनकी कथित प्राइवेट तस्वीर और सेक्स वीडियो अभी तक गूगल सर्च रिजल्ट्स में मौजूद है. महिला ने बताया कि उसने उन्हें हटाने के लिए महीनों तक कोशिश की, लेकिन वे इसे हटाने में विफल रहीं. अब उन्होंने कंपनी के खिलाफ बड़ा कदम उठते हुए गोपनीयता मुकदमा दायर की है, जिसका शीर्षक है 'हमारी न्यूडिटी, आपका बिजनेस नहीं.'
न्यूड स्वीरों को लेकर गूगल पर मुकदमा करने वाली जर्मन महिला का मामला क्या है?
अदालती दस्तावेजों में लॉरा नाम की इस महिला ने आयरलैंड में गूगल पर मुकदमा दायर किया है, जहां गूगल क्लाउड का यूरोपीय हेडक्वार्टर है. महीनों तक वे गूगल सर्च रिजल्ट्स से अपनी अंतरंग तस्वीरें और सेक्स वीडियो हटाने की कोशिश करती रहीं. ये तस्वीरें उसके निजी गूगल क्लाउड से उसकी आईडी के साथ चुरा ली थीं, फिर यह सामग्री पोर्न वेबसाइटों पर पोस्ट कर दी. लॉरा को इस अदालती मामले में जर्मन गैर-लाभकारी समूह हेटएड का सपोर्ट है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी तस्वीरों और वीडियो पर Google सर्च में 2,000 से ज्यादा URL दिखाई दे रहे थे. हालांकि, उनकी शिकायतों के बाद शुरुआत में कुछ तस्वीरें और वीडियो हटा दी गई थी.
लेकिन ये मामला यहीं नहीं रुका. अब उनके AI-जनरेटेड डीपफेक भी सामने आ रहे हैं. जर्मनी के DW न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉरा की न्यूड तस्वीरें बार-बार गूगल सर्च में दिखाई दे रही है, और अब AI-जनरेटेड डीपफेक भी. महिला को गूगल पर अपना नाम सर्च करने पर अपने इंटिमेट सीन्स की भयावहता का पता कैसे चला.लॉरा को पता चला कि जब उसने अपना नाम ऑनलाइन सर्च किया तो उसके सेक्स वीडियो और न्यूड तस्वीरें फिर से साइट पर दिखीं.
पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर: 'हमारे नग्न चित्र आपका व्यवसाय नहीं हैं'
पीड़िता महिला ने डेर स्पीगल अखबार को बताया कि यह तजुर्बा रेप जैसा था. इससे उसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर हो गया, जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी बदलनी पड़ी और दूसरी जगह बसना पड़ा. इस मामले मद्देनजर गूगल के खिलाफ 'हमारे नग्न चित्र आपका व्यवसाय नहीं हैं' शीर्षक के साथ अभियान चलाया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सही में गूगल इंटरनेट से इमेज कॉपीज को डिलीट कर सकता है?
क्या गूगल वाकई इंटरनेट से इमेज कॉपीज़ को हटा सकता है?
रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक पेचीदा मामला है. डीडब्ल्यू ने हैनसेन के हवाले से कहा, सटीक इमेज कॉपीज को छांटना तकनीकी रूप से आसान है, लेकिन क्रॉप की गई या एआई-जनरेटेड विज़ुअल जैसी बदली हुई इमेजेज एक चुनौतीपूर्ण है. गूगल जैसे प्लेटफॉर्म द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रिवर्स इमेज सर्च हमेशा सटीक नहीं होते, जिसका इस्तेमाल कंपनियां जिम्मेदारी से बचने के लिए कर सकती हैं.
महिलाएं अक्सर ऑनलाइन प्राइवेसी के उल्लंघन का शिकार होती हैं. रिवेंज पोर्न से लेकर कंप्यूटर, मोबाइल फोन या क्लाउड स्टोरेज ऐप्स से चुराए गए डेटा तक, महिलाएं अपने इंटीमेट फोटो, वीडियो के दुरुपयोग से खास तौर पर प्रभावित हुई हैं. इनमें नकली या एआई-जनरेटेड तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं. हैनसेन ने कहा, 'आजकल, आपको बस एक लिंक्डइन प्रोफाइल तस्वीर की जरूरत है.' हैनसेन ने आगे कहा कि सर्च इंजनों की तरफ से कोई कार्रवाई न किए जाने पर, प्रभावित लोगों को जिंदगी भर तस्वीरें ढूंढ़नी पड़ेंगी और उन्हें मैन्युअल रूप से हटाने के अनुरोध करने पड़ेंगे. उन्होंने कहा कि यह एक मनोवैज्ञानिक बोझ है जो 'नहीं होना चाहिए.'
डीपफेक: सेलेबगेट मामला एक मिसाल है
हालांकि, लॉरा शायद एक आम नागरिक हैं, लेकिन बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा किए गए या उनके द्वारा किए गए हिंसक उल्लंघनों ने सबसे मशहूर या अमीर लोगों को भी नहीं बख्शा है. निजी तस्वीरों का क्लाउड स्टोरेज प्राइवेसी के लिए एक खौफनाक खतरा है. सेलेबगेट कांड और 2014 के मामले इसके मिसाल हैं. टेलर स्विफ्ट और इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी जैसी मशहूर हस्तियां भी डीपफेक का निशाना बन चुकी हैं.