झारखंड में क्राइम का पाकिस्तान कनेक्शन, विदेशी हाथों में गैंग्स की डोर से खतरा

7 hours ago

Last Updated:November 03, 2025, 12:20 IST

Crime in Jharkhand : झारखंड में नक्सलवाद की पकड़ भले कमजोर हुई हो, लेकिन अब संगठित अपराध (ऑर्गनाइज क्राइम) ने राज्य की कानून-व्यवस्था के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है. अपराध का यह नया चेहरा अब सिर्फ रंगदारी, फायरिंग या गैंगवार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके कनेक्शन्स विदेशी आतंकियों तक जा पहुंचे हैं.

झारखंड में क्राइम का पाकिस्तान कनेक्शन, विदेशी हाथों में गैंग्स की डोर से खतराझारखंड में ऑर्गनाइज क्राइम और टेरर फंडिंग की बढ़ती चुनौती. (AI जेनरेटेड तस्वीर)

रांची.  झारखंड में नक्सलवाद भले कमजोर हुआ हो, लेकिन ऑर्गनाइज क्राइम बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है. विदेश में छिपे गैंगस्टर और जेल में बैठे गैंगस्टर विदेशी आतंकियों के हाथों की कठपुतली बनकर झारखंड ही नहीं, देश को हिलाने की कोशिश में जुटे हैं. संगठित अपराध की जड़ें अब विदेशी आतंकियों के हाथों में जा चुकी हैं. पाकिस्तान से जुड़े टेरर फंडिंग नेटवर्क और जेल के भीतर सक्रिय गैंगस्टरों ने मिलकर अपराध की ऐसी संरचना खड़ी कर दी है जो नक्सलवाद से भी ज्यादा खतरनाक और व्यापक साबित हो रही है. ऑर्गनाइज क्राइम के जरिए जिस तरह की चुनौती पेश की जा रही है वो खतरे की घंटी से कम नहीं. दरअसल, सिर्फ झारखंड पुलिस नहीं, बल्कि दूसरी एजेंसियों के सहयोग की जरूरत झारखंड प्रदेश को है,

ऑर्गनाइज क्राइम बड़ी चुनौती

सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, झारखंड पुलिस के लिए अब चुनौती सिर्फ जंगलों में छिपे नक्सलियों की नहीं, बल्कि शहरों में फैले संगठित अपराध नेटवर्क की है. इन अपराधियों के तार अब पाकिस्तान समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जा चुके हैं. अमन साहू, प्रिंस खान और सुजीत सिन्हा जैसे गैंगस्टरों के खिलाफ टेरर फंडिंग के केस दर्ज होना इस बात का सबूत है कि अपराध अब आतंकी नेटवर्क से जुड़ चुका है. जेल से लेकर विदेश तक फैले इस अपराध तंत्र ने न केवल झारखंड की सुरक्षा को चुनौती दी है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा किया है.

पाकिस्तान से कनेक्शन

अमन साहू के पाकिस्तान कनेक्शन के बाद अब भगोड़े प्रिंस खान और सुजीत सिन्हा का पाकिस्तान से तार जुड़ा मिला है, जिसके चलते इनके खिलाफ टेरर फंडिंग जैसे आरोपों के तहत केस दर्ज किया गया है. झारखंड में संगठित अपराध विदेशी आतंकियों द्वारा संचालित हो रहा है तो वहीं जेल से भी जो झारखंड पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है.

रंगदारी से बढ़ते अपराध

बताया जा रहा है कि रंगदारी के पैसे से देश के अपराधियों और विदेशी आतंकियों को मजबूती मिल रही है. बीते दिनों इसके सुबूत रांची पुलिस को मिले हैं. राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि धनबाद, हजारीबाग, जमशेदपुर और लातेहार जिले में 50 से ज्यादा आपराधिक गिरोह से ताल्लुक रखने वालों को गिरफ्तार किया गया है जो महज चंद रुपयों के लिए फायरिंग और हत्या की वारदात को अंजाम दे देते हैं.

झारखंड में अमन साहू, प्रिंस खान, सुजीत सिन्हा जैसे गैंगस्टर और पाकिस्तान कनेक्शन से संगठित अपराध बढ़ा, पुलिस और एजेंसियां सतर्क.

विदेशी अपराधियों का प्रत्यर्पण

जानकारी अनुसार, विदेश में छिपे अपराधियों को जल्द प्रत्यर्पण के जरिए लाने की कोशिशें तेज हो गई हैं. झारखंड एटीएस की टीम सीबीआई से लगातार समन्वय बना रही है. जेल में बंद गैंगस्टर भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं. बेरोजगार युवाओं को बड़े गैंगस्टर पैसे के लालच में अपराध की दुनिया में धकेल रहे हैं.

संगठित अपराध के खिलाफ कार्रवाई

दरअसल, राज्य भर में पुलिस और एटीएस की टीम संगठित अपराध के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है. संगठित अपराध के फाइनेंशियल ट्रेल पर भी पुलिस की पैनी नजर है. जेल में बंद गैंगस्टरों का समय-समय पर जेल शिफ्टिंग का कार्य भी किया जा रहा है. जेल कर्मियों की अनियमितता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है.

जेल में गैंगस्टरों की हुकूमत पर लगाम

पुलिस का कहाना है कि जेल से गैंगस्टर अपने आतंक की हुकूमत न चला सकें, इसके लिए भी लगातार कार्रवाई की जा रही है. कोई भी बड़ा गैंगस्टर किसी जेल में अपनी हुकूमत न जमा सके, इसके लिए उन्हें समय-समय पर जेल शिफ्ट किया जा रहा है. जेल कर्मियों पर भी विशेष निगाह रखी जा रही है और सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.

नेटवर्क को तोड़ने का क्या हो तरीका?

झारखंड में संगठित अपराध की चुनौती नक्सलवाद से भी कहीं अधिक जटिल और खतरनाक है. जेल के भीतर और बाहर से संचालित हो रहे गैंग, टेरर फंडिंग नेटवर्क और बेरोजगार युवाओं को अपराध में धकेलने वाली ताकतें राज्य के लिए नई सिरदर्द बन चुकी हैं. ऐसे में ये खतरा सिर्फ झारखंड के लिए नहीं है. एटीएस, सीबीआई और इंटेलिजेंस एजेंसियों के बीच समन्वय ही इस नेटवर्क को तोड़ने का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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Location :

Ranchi,Jharkhand

First Published :

November 03, 2025, 12:20 IST

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