Last Updated:November 03, 2025, 16:56 IST
ट्रंप के ताजा बयान के बाद भारत के लिए दो मोर्चे पर सतर्क रहना जरूरी है - एक, चीन के न्यूक्लियर टेस्टिंग के शक वाले एरियाज पर टेक्निकल सर्विलांस बढ़ाना. दूसरा, पाकिस्तान में संभावित टेस्ट साइट्स की जियोइंटेलिजेंस मॉनिटरिंग करना. अगर चीन वाकई टेस्टिंग कर रहा है, तो इसका असर सिर्फ एशिया नहीं, बल्कि पूरी ग्लोबल न्यूक्लियर बैलेंस पर पड़ेगा. भारत को इस वक्त संयम के साथ-साथ स्ट्रैटेजिक रेडीनेस दिखानी होगी, ताकि किसी भी सूरत में एशिया की पावर इक्वेशन उसके खिलाफ न झुके.
ट्रंप का दावा- चीन और पाक कर रहे परमाणु टेस्ट. (File Photo)नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए दावे से एशिया का स्ट्रैटेजिक बैलेंस हिल गया है. ट्रंप ने कहा है कि चीन और पाकिस्तान गुपचुप तरीके से अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट कर रहे हैं. इस खुलासे ने भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है, क्योंकि दोनों देश भारत की सीमाओं से सटे हैं और पहले ही सामरिक साझेदारी के जरिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. चीन ने ट्रंप के आरोपों को ‘बेसलेस’ कहा, लेकिन अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि अगर ऐसी गतिविधियां जारी रहीं तो वह खुद भी 33 साल बाद परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू कर सकता है. यह पूरा घटनाक्रम भारत की न्यूक्लियर सिक्योरिटी और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर बड़ा असर डाल सकता है.
ट्रंप का खुलासा, चीन और पाकिस्तान कर रहे सीक्रेट न्यूक्लियर टेस्ट
ट्रंप ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि चीन और पाकिस्तान अंडरग्राउंड टेस्टिंग कर रहे हैं और दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगने दे रहे. उन्होंने कहा, ‘वे बहुत गहराई में टेस्ट करते हैं, सिर्फ हल्की वाइब्रेशन महसूस होती है, जिससे मॉनिटरिंग सिस्टम पकड़ नहीं पाता.’
ट्रंप ने कहा कि रूस और नॉर्थ कोरिया भी ऐसा ही कर रहे हैं, और अब अमेरिका ‘दुनिया में अकेला देश’ नहीं रहना चाहता जो टेस्टिंग से परहेज करे. उनके मुताबिक, अमेरिका अपने हथियारों की क्षमता जानने के लिए न्यूक्लियर टेस्टिंग फिर शुरू करेगा.
चीन की सफाई आई, ‘हम शांतिपूर्ण रास्ते पर हैं’
ट्रंप के आरोपों के तुरंत बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इसे ‘निराधार’ बताया. मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन ने हमेशा ‘नो फर्स्ट यूज़’ यानी पहले परमाणु हमला न करने की नीति अपनाई है और वह 1996 से अब तक अपने मोरेटोरियम का पालन कर रहा है.
चीन का कहना है कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम केवल डिफेंस के लिए है और वह नॉन-प्रोलिफरेशन यानी हथियारों के फैलाव को रोकने के लिए कमिटेड है. लेकिन वास्तविकता ये है कि चीन ने पिछले कुछ सालों में अपनी परमाणु मिसाइल रेंज और हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर तेजी से काम बढ़ाया है. सैटेलाइट इमेजेज और थर्मल डिटेक्शन रिपोर्ट्स पहले ही इंगित कर चुकी हैं कि उसके शिनजियांग और गांसू प्रांतों में संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं.
पाकिस्तान पर भी शक गहराया
ट्रंप ने अपने बयान में पाकिस्तान का नाम भी लिया और कहा, ‘पाकिस्तान भी टेस्टिंग कर रहा है.’ यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है और उसका सैन्य ढांचा चीन पर निर्भर होता जा रहा है.
चीन-पाक गठजोड़ के तहत ग्वादर से लेकर कराची तक मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो चुका है. अब अगर अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्टिंग भी चीन की मदद से चल रही है, तो यह भारत की सुरक्षा नीति के लिए बड़ा चैलेंज बन सकता है.
भारत की परमाणु ताकत
भारत की नीति हमेशा से ‘नो फर्स्ट यूज’ यानी पहले परमाणु हमला न करने की रही है. लेकिन भारत के पास जवाबी कार्रवाई की पूरी क्षमता है. भारतीय न्यूक्लियर ट्रायड – एयर, सी और लैंड से लॉन्च की जा सकने वाली क्षमताओं पर आधारित है.
भारत के पास अग्नि और पृथ्वी जैसी लंबी रेंज की मिसाइलें हैं, साथ ही एरिहंत-क्लास सबमरीन जो दूसरे हमले की क्षमता रखती हैं. यानी अगर कोई देश भारत पर परमाणु हमला करता है, तो उसे जवाब में तबाही झेलनी होगी.
इसलिए चीन और पाकिस्तान की हर हरकत पर भारत की नजर है. भारतीय डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने हाल में कई स्ट्रैटेजिक टेस्ट किए हैं जिनमें मिसाइल वारहेड्स और रडार-एवेज़न टेक्नोलॉजी की बड़ी प्रगति देखी गई है.
ट्रंप की पुरानी कहानी, ‘भारत-पाक न्यूक्लियर वॉर रोकी थी मैंने’
ट्रंप ने इंटरव्यू में फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित न्यूक्लियर वॉर को रोका था. उन्होंने कहा, ‘अगर मैं शामिल न होता, तो लाखों लोग मारे जाते.’ ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने ‘ट्रेड प्रेशर’ और ‘टैरिफ डिप्लोमेसी’ के जरिए दोनों देशों को रोकने में भूमिका निभाई.
हालांकि भारत ने इस दावे को पहले भी पूरी तरह खारिज किया था. भारत ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम सीधे मिलिट्री चैनल्स और इंटरनल कम्युनिकेशन के जरिए हासिल हुआ, किसी बाहरी देश की दखल के बिना.
दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म...और पढ़ें
दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 03, 2025, 16:56 IST

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