Jews genocide: होलोकॉस्ट में मारे गए 60 लाख यहूदियों को लेकर इजरायली शोधकर्ताओं ने बड़ा दावा किया है. शोधकर्ताओं के अनुसार उन्होंने होलोकॉस्ट में मारे गए 60 लाख में से 50 लाख यहूदियों की पहचान कर ली है. इसके साथ-साथ उन्होंने बचे हुए 10 लाख लोगों की पहचान भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए करने की संभावना भी जताई है. इजरायल के वर्ल्ड होलोकॉस्ट रिमेंबरेंस सेंटर यानि कि याद वाशेम ने सोमवार को इसके बारे में जानकारी दी है.
50 लाख नाम ढूंढे 
याद वाशेम ने बताया कि उसने होलोकॉस्ट में मारे गए 50 लाख यहूदियों के नाम ढूंढ निकाले हैं. उन्होंने इसे ऐतिहासिक और मील का पत्थर भी बताया. नाजियों की तरफ से की गई ज्यादती और नरसंहार का शिकार हुए यहूदियों की पहचान को वापस दिलाने की दिशा में याद वाशेम ने उनके इसे दशकों पुराने मिशन की बड़ी कामयाबी भी करार दिया है. सेंटर की तरफ से यह भी कहा गया 'ये घोषणा ऐसे समय में हुई है जब गवाही देने वाले नरसंहार के जीवित पीड़ितों की संख्या लगातार कम होती जा रही है'. 2025 की शुरुआत में क्लेम्स कॉन्फ्रेंस की तरफ से नरसंहार की गवाही देने वाले लोगों की संख्या का अंदाजा लगाया गया था. जिसके अनुसार अभी सिर्फ 2 लाख पीड़ित लोग जिंदा है जो आने वाले सात साल में लगभग आधे रह जाएंगे.
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ढाई लाख की और संभावना
याद वाशेम सेंटर ने 50 लाख लोगों के अलावा बचे 10 लाख यहूदियों में से एआई और मशीन लर्निंग जैसी नई टेक्नोलॉजी के जरिए सिर्फ ढाई लाख और लोगों के नाम पता लगाने की संभावना जताई है. सेंटर चेयरमैन डैनी डायन की तरफ से जारी बयान में पचास लाख यहूदियों के नाम तक पहुंचने को एक मील का पत्थर बताया गया है, क्योंकि ये उनको अधूरी जिम्मेदारी की याद दिलाता रहता है. डैनी का मानना है 'हर नाम के पीछे एक ऐसी जिंदगी है जो मायने रखती थी. इनमें वो बच्चे भी शामिल हैं जो कभी बड़े नहीं हुए, वो माता पिता भी शामिल हैं जो कभी घर नहीं लौट सके; इनमें वो आवाज भी हैं जिन्हें हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया'. सेंटर चैयरमेन ने हर पीड़ित को याद रखे जाने को अपना नैतिक कर्तव्य बताते हुए किसी को भी गुमनामी के अंधेरे में पीछे नहीं छूट जाने की बात कही है.

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