Last Updated:September 04, 2025, 14:19 IST
जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में जीएटी की दरों में भारी बदलाव किया है. हेल्थकेयर सेक्टर में कई जरूरी चीजों पर करों की मार को कम किया है. इनमें कई चीजें ऐसी हैं जिन पर टैक्स कम होने से सीधा फायदा मरीजों को मिलेगा, जैसे दवाएं, चश्मा और ग्लूकोमीटर आदि. वहीं कई चीजें ऐसी हैं जो कंज्यूमर और मेडिकल ट्रेडर्स दोनों को फायदा पहुंचाएंगी. आइए जानते हैं इनके बारे में..

जीएसटी काउंसिल ने अपनी 56वीं बैठक में हेल्थकेयर की चीजों को सस्ता कर देश की बड़ी आबादी को राहत दी है. डायबिटीज कैपिटल कहे जाने वाले भारत के शुगर मरीजों के लिए रोजाना की जरूरत बन चुके ग्लूकोमीटर और स्ट्रिप्स पर जीएसटी की दरों को घटा दिया गया है. वहीं नजर के चश्मों को भी सस्ता किया गया है. इतना ही ब्रेस्ट कैंसर सहित अस्थमा के एडवांस इलाज में काम आने वाली कई दवाओं, थर्मामीटर और डायग्नोस्टिक किट्स पर भी टैक्स की दर कम की गई है.

काउंसिल के इस बदलाव से न केवल इंसानों का इलाज कुछ सस्ता होगा, बल्कि वेटरिनरी सर्जिकल उपकरणों और सामानों की दरों में भी कटौती करने से जानवरों के इलाज में भी राहत मिलने की उम्मीद है. इन नए रेटों से कंज्यूमर और ट्रेडर्स दोनों को ही फायदा मिलेगा. जीएसटी की सभी नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होने जा रही हैं. आइए जानते हैं सरकार ने हेल्थकेयर में क्या-क्या चीजें सस्ती की हैं.

व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस-सभी प्रकार के स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा पॉलिसीज को सस्ता किया गया है. जीएसटी काउंसिल ने बीमा पर लगने वाले 18% टैक्स को घटाकर जीरो कर दिया है. ऐसे में जीवन बीमा लेने वालों को अब सिर्फ इंश्योरेंस का प्रीमियम ही भरना होगा और इस पर कोई भी अतिरिक्त टैक्स नहीं देना होगा. यह हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों के लिए बड़ा फायदा है, क्योंकि एलआईसी को पहले से ही इनकम टैक्स में छूट मिली हुई है, वहीं अब जीएसटी भी हटने से बीमा लेना फायदे का सौदा होगा.

सभी प्रकार की डायग्नोस्टिक किट्स और रीजेंट्स- जीएसटी काउंसिल ने देश में बीमारियों की पहचान के लिए मौजूद सभी प्रकार की डायग्नोस्टिक किट्स सहित इनमें जांच के लिए इस्तेमाल होने वाले रीजेंट्स को सस्ता किया है. ऐसे में बाजार में रिटेल में मिलने वाली डायग्नोस्टिक किट्स जैसे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट्स, एलर्जी टेस्ट किट्स, कैंसर टेस्ट किट्स, डायबिटीज टेस्ट किट्स और इन्फेक्शियस डिजीज टेस्ट किट्स सस्ती होंगी. इनसे जीएसटी की दरें 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई हैं. वहीं रीजेंट्स सस्ते होने से लैब्स को फायदा होगा. मेडिकल जांचों की कीमतों में भी कमी आ सकती है.

मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन<br />खासतौर पर अस्पतालों के आईसीयूज में मरीजों के लिए इस्तेमाल होने वाली मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन से भी जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% की गई है. सामान्य ऑक्सीजन से अलग यह ज्यादा शुद्ध ऑक्सीजन होती है और इसकी प्योरिटी 87 से 100% तक होती है. कोरोना के समय मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के लिए काफी हाहाकार मचा था. हालांकि उसके बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट्स भी लगाए गए थे.

चश्मा या करेक्टिव स्पेक्टेकल्स -आमतौर पर जिन्हें लोग नजर के चश्मे कहते हैं, ये वे सुधारात्मक चश्मे हैं जिन्हें जीएसटी काउंसिल ने दरें घटाकर सस्ता कर दिया है. इन चश्मों के लेंसों पर पहले 12 फीसदी का टैक्स था, जिसे अब कम करके 5% कर दिया गया है. भारत में बड़ी आबादी मायोपिया या दूर द्रष्टि दोष के लिए इन चश्मों को पहनती है. इतना ही नहीं एक अनुमान के मुताबिक साल 2050 तक देश की आबादी के 50 फीसदी बच्चों को सुधारात्मक चश्मे लगाने की जरूरत पड़ेगी.

ग्लूकोमीटर एंड टेस्ट स्ट्रिप्स- इस बदलाव में सबसे बड़ी राहत ग्लूकोमीटर एंड टेस्ट स्ट्रिप्स को लेकर दी है. आमतौर पर हर डायबिटिक मरीज के द्वारा घर पर इस्तेमाल होने वाले ग्लूकोमीटर और इसकी पट्टियों को सस्ता करने से मरीजों को सीधे तौर पर फायदा होगा. जो लोग घर पर रोजाना शुगर की जांच करते हैं, उन्हें अब रोजाना की इस जरूरत के लिए कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे.

थर्मामीटर<br />जीएसटी काउंसिल ने मेडिकल, सर्जिकल, डेंटल और वेटरिनरी इस्तेमाल में आने वाले सभी थर्मामीटर को सस्ता किया है और इनपे से जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है.ऐसे में कल तक 100 रुपये की कीमत का जीएसटी के साथ 118 रुपये में आने वाला थर्मामीटर अब 105 रुपये में मिलेगा.
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