Last Updated:September 04, 2025, 17:06 IST
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग कैडेट्स के लिए ECHS योजना में शामिल करने और मुआवजा व सुविधाएं देने पर सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिली है. केंद्र सरकार ने साफ किया कि वो...और पढ़ें
केंद्र सरकार ने फैसला लिया. (File Photo)नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने उन कैडेट्स की समस्याओं पर गंभीरता दिखाई है, जो सैन्य ट्रेनिंग के दौरान दिव्यांग हो जाते हैं. न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने इसे स्वतः संज्ञान में लिया था और पिछले महीने भारत सरकार से पूछा था कि आखिर इन कैडेट्स को बीमा कवरेज और जरूरी सुविधाएं क्यों नहीं मिल रहीं. सरकार की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि अब इन कैडेट्स को बड़ी राहत दी गई है.
बताया गया कि पहले इन्हें ईसीएचएस (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme) का हिस्सा नहीं माना जाता था, लेकिन 29 अगस्त से इन्हें इस योजना में शामिल कर लिया गया है. खास बात यह है कि इनके लिए वन टाइम सब्सक्रिप्शन फीस भी माफ कर दी गई है. इस कदम से अब वे कैडेट्स, जिन्हें ट्रेनिंग के दौरान लगी चोट या बढ़ी हुई दिव्यांगता की वजह से सेवा से बाहर होना पड़ा, सभी चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे. इतना ही नहीं, मुआवजे और अन्य आर्थिक लाभों की व्यवस्था भी की गई है.
मुआवजा और पेंशन भी मिलेगी
सरकार ने कोर्ट को बताया कि यदि ट्रेनिंग के दौरान किसी कैडेट की मौत होती है तो उसके परिजनों को 12.5 लाख रुपये एकमुश्त और हर महीने 9,000 रुपये की पेंशन दी जाएगी. वहीं दिव्यांग होने की स्थिति में एक्स-ग्रेशिया मुआवजा तय प्रतिशत के आधार पर मिलेगा. यदि 100% दिव्यांगता है तो पूरा मुआवजा दिया जाएगा. इसके अलावा लगातार देखभाल की जरूरत वाले कैडेट्स के लिए कॉनस्टेंट अटेंडेंस अलाउंस भी लागू होगा.
दिव्यांग कैडेट्स को सम्मान के साथ फायदा मिले
जानकारी के मुताबिक साल वर्ष 1992 से थल सेना, वायु सेना और नौसेना के लिए सब्सक्रिप्शन आधारित बीमा योजना लागू है. अब कैडेट्स को भी इसमें शामिल कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि साफ किया कि यह मामला केवल औपचारिकता तक सीमित नहीं रहेगा. कोर्ट ने कहा कि सरकार की तरफ से विस्तृत रिपोर्ट आना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दिव्यांग कैडेट्स को बराबरी और सम्मान के साथ लाभ मिल रहा है. अदालत ने यह भी संकेत दिया कि सैनिक ट्रेनिंग में शामिल हर युवा देश के लिए बहुमूल्य है और उनकी सुरक्षा व भविष्य की गारंटी सरकार की जिम्मेदारी है. अब अगली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि सरकार इस दिशा में और क्या ठोस कदम उठाती है. फिलहाल कोर्ट की सख्ती और सरकार की घोषणा ने दिव्यांग कैडेट्स और उनके परिवारों को एक बड़ी राहत जरूर दी है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
September 04, 2025, 17:06 IST

1 month ago
