Last Updated:September 09, 2025, 15:06 IST
Nepal protest News: नेपाल के प्रधानमंत्री रहे केपी शर्मा ओली को जनता के आक्रोश के आगे झुकना पड़ा. 'ओली चोर देश छोड़' के नारों के बीच उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. ओली का कार्यकाल भारत विरोधी नीतियों के लिए जाना ...और पढ़ें

काठमांडू. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आखिरकार इस्तीफा दे ही दिया. बीते 24 घंटे से नेपाल में बगावत की आग जो सुलगी थी, उसका असर अभ दिखने लगा है. ओली को विद्रोह और हिंसा के बाद इस्तीफा देना पड़ा. पीएम ओली बीते कई सालों से भारत को आंख दिखा रहे थे. आखिरकार नेपाली जनता ने ही उनको पैदल कर दिया. मंगलवार को नेपाल की आर्मी ने पीएम ओली को सख्त संदेश दे दिया था कि इस्तीफा तो देना ही पड़ेगा. बता दें कि सोमवार से ही नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित पूरे देश में सोशल मीडिया पर बैन को लेकर Gen Z की तरफ से प्रदर्शन हो रहे थे. इस विद्रोह की आग में कई मंत्री झुलस गए और उनको इस्तीफा देना पड़ा. नेपाली संसद को आग के हवाले कर दिया गया. नेपाली कांग्रेस ने ओली सरकार से समर्थन वापस ले लिया. नेपाल की इस घटनाक्रम पर भारत की नजरें हैं.
बता दें कि ओली का कार्यकाल भारत विरोधी नीतियों के लिए जाना जाता था. उन्होंने अक्सर सार्वजनिक मंचों से भारत के खिलाफ तीखी बयानबाजी की और चीन के साथ नजदीकी बढ़ाई. उनके शासनकाल में भारत-नेपाल संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे. अब जबकि उनकी कुर्सी जा चुकी है, भारत के लिए यह एक मौका है कि वह नेपाल के साथ अपने सदियों पुराने संबंधों को फिर से मजबूत करे.
पीएम ओली को चीन प्रेम ले डूबा.
ओली ने कब-कब भारत को दिखाई आँख?
केपी शर्मा ओली ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे कदम उठाए जो भारत के लिए चिंता का विषय बन गए. सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कदम था नेपाल का नया नक्शा, जिसमें भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया था. भारत ने इस पर कड़ा विरोध जताया था, लेकिन ओली सरकार ने इसे अपनी संसद से पास करा लिया था. यह एक ऐसा कदम था जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया था.
‘ओली चोर देश छोड़’ का नारा क्यों लगा?
इसके अलावा ओली ने कई बार भारतीय नेतृत्व पर कटाक्ष किया और भारत पर नेपाल के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया. उन्होंने जानबूझकर भारत विरोधी भावनाएं भड़काकर अपनी घरेलू राजनीति चमकाने की कोशिश की. उनके इस रुख के पीछे चीन का समर्थन था, जिसने नेपाल में बड़े पैमाने पर निवेश करके अपना प्रभाव बढ़ाया. ओली के खिलाफ जनता का आक्रोश केवल उनकी भारत विरोधी नीतियों तक सीमित नहीं था. नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने आग में घी का काम किया. यह प्रतिबंध जनता की अभिव्यक्ति की आजादी पर सीधा हमला था, जिसे नेपाली नागरिक बर्दाश्त नहीं कर पाए.
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भारत-नेपाल संबंध की आगे की राह
‘ओली चोर’ का नारा इसलिए लगा, क्योंकि उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप थे. जनता को लगा कि ओली सरकार अपनी नाकामियों और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए लोकतंत्र का गला घोंट रही है. जनता का मानना था कि ओली देश के हित में काम करने के बजाय चीन के इशारों पर नाच रहे हैं, इसलिए ‘देश छोड़’ का नारा भी उनके खिलाफ दिया गया. ओली के इस्तीफे के बाद भारत के लिए एक नई शुरुआत का मौका है. नेपाल में नई सरकार का गठन होगा, जो भारत के साथ संबंधों को सुधारने के लिए अधिक इच्छुक होगी. भारत को भी इस मौके का फायदा उठाना चाहिए.
जानकारों की राय में भारत को नेपाल की नई सरकार के साथ बातचीत शुरू करनी होगी.संवाद के जरिए सीमा विवाद जैसे मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. साथ ही भारत नेपाल में बुनियादी ढांचे के विकास, ऊर्जा और कनेक्टिविटी परियोजनाओं में सहयोग बढ़ाकर अपने संबंधों को मजबूत कर सकता है. भारत को सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों पर फिर से जोर देना चाहिए, जो दोनों देशों को सदियों से जोड़े हुए हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 09, 2025, 15:06 IST