Last Updated:August 04, 2025, 15:48 IST
Patanjali Dabur Row दिल्ली हाईकोर्ट में डाबर और पतंजलि के बीच ट्रेड ड्रेस विवाद पर सुनवाई हुई, जिसमें सुलह विफल रही. मामला पतंजलि के "दन्त कान्ति रेड" टूथपेस्ट की पैकेजिंग को लेकर है. अगली सुनवाई दिसंबर 2025 मे...और पढ़ें

हाइलाइट्स
डाबर-पतंजलि ट्रेड ड्रेस विवाद की अगली सुनवाई दिसंबर 2025 में होगी.डाबर ने पतंजलि की नई पैकेजिंग पर ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाया.दोनों कंपनियों के बीच सुलह की कोशिशें विफल रहीं.Patanjali Dabur Row: दिल्ली हाईकोर्ट में डाबर इंडिया लिमिटेड और पतंजलि आयुर्वेद के बीच ट्रेड ड्रेस विवाद को लेकर आज अहम सुनवाई हुई, जिसमें दोनों कंपनियों के बीच सुलह की कोशिश विफल रही. यह मामला पतंजलि के “दन्त कान्ति रेड (पान फ्लेवर)” टूथपेस्ट की पैकेजिंग को लेकर है, जिसे डाबर ने अपनी ब्रांडेड “डाबर रेड” टूथपेस्ट की ट्रेड ड्रेस से मिलता-जुलता बताया है. इस विवाद की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई दिसंबर 2025 के लिए निर्धारित की.
पुरानी पैकेजिंग पर कोई आपत्ति नहीं…
डाबर इंडिया लिमिटेड ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि पतंजलि की नई पैकेजिंग उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा कर सकती है, क्योंकि यह उनकी “डाबर रेड” टूथपेस्ट की स्पेशल पहचान से काफी हद तक मेल खाती है. कंपनी का कहना है कि उसे “रेड” शब्द, “पान पत्ता” चिन्ह या पतंजलि की पुरानी पैकेजिंग पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन विवाद दिसंबर 2024 में शुरू हुई नई पैकेजिंग को लेकर है, जो बाजार में उनकी ब्रांड इमेज को नुकसान पहुंचा रही है. डाबर ने दावा किया कि इस तरह की समानता से उपभोक्ता आसानी से दोनों उत्पादों को एक-दूसरे का विकल्प समझ सकते हैं, जो उनके ब्रांड की अखंडता को प्रभावित कर रहा है.
सुलह की कोशिश नाकाम
दूसरी ओर पतंजलि आयुर्वेद ने अभी तक इस मामले में अपनी औपचारिक प्रतिक्रिया पेश नहीं की है, लेकिन यह माना जा रहा है कि वे अपनी पैकेजिंग को जायज ठहराने के लिए तर्क पेश कर सकते हैं. दोनों कंपनियों के बीच सुलह की कोशिशें विफल होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को गहराई से जांच के लिए आगे बढ़ाया है. न्यायमूर्ति अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को उचित सबूत और दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया, ताकि यह तय हो सके कि क्या पतंजलि की नई पैकेजिंग ट्रेडमार्क उल्लंघन के दायरे में आती है या नहीं.
आयुर्वेदिक बाजार पर दोनों बान्ड की नजर
यह विवाद भारतीय बाजार में आयुर्वेदिक उत्पादों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है, जहां डाबर और पतंजलि जैसे बड़े ब्रांड अपने बाजार हिस्से को बढ़ाने के लिए आक्रामक मार्केटिंग रणनीति अपना रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के मामले ट्रेडमार्क कानूनों और उपभोक्ता संरक्षण के पहलुओं को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. अगली सुनवाई में कोर्ट का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या पतंजलि की पैकेजिंग वास्तव में डाबर के ट्रेडमार्क का उल्लंघन करती है या यह महज एक व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
August 04, 2025, 15:45 IST