Last Updated:August 04, 2025, 19:41 IST
ARUNACHAL LANDSLIDE: अरुणाचल प्रदेश में बरसातों में लैंड स्लाइड बहुत ही आम है. कच्चे पहाड़ बारिश में ढह जाते है. सीमावर्ती इलाकों में सड़क निर्माण का काम BRO के हाथ में है. LAC के पास सेना के मूवमेंट के लिए BRO...और पढ़ें

हाइलाइट्स
BRO ने 24 घंटे में रोड को क्लियर किया.भूस्खलन से टाटो-मेनचुका रोड बंद हो गई थी.BRO ने चुनौतीपूर्ण हालात में काम जारी रखा.ARUNACHAL LANDSLIDE: बरसात के मौसम में पूर्वोत्तर के राज्यों में हर साल कहर बरपता है. कहीं बाढ़ तो कहीं भूस्खलन. इसी तरह की घटना टाटो-मेनचुका रोड पर घटित हुई. पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा नीचे आ गया. 2 जुलाई को टाटो-मेनचुका रोड पर शेने नाला के पास KM 13.800 और KM 14.200 पर भारी भूस्खलन के कारण चट्टानें खिसक गईं. इससे पूरी सड़क बंद हो गई. बॉर्डर रोड के प्रोजेक्ट ब्रह्मांक तुरंत एक्शन में आई और तेजी से राहत अभियान शुरू किया. लगातार काम को अंजाम देते हुए महज 24 घंटे के अंदर रोड कनेक्टिविटी को बहाल कर दिया.
ऐसे दिया गया ऑपरेशन को अंजाम?
2 अगस्त दोपहर 1 बजे भूस्खलन की घटना सामने आई. लैंडस्लाइड के महज 30 मिनट के अंदर ही प्रोजेक्ट ब्रह्मांक ने राहत के काम को अंजाम देना शुरू कर दिया था. ट्रूप पहले से T-M रोड के शेमे ब्रिज KM-19 पर ही मौजूद थे. लगातार बारिश और पहाड़ों से पत्थर गिरने का सिलसिला जारी था. इस चुनौतीपूर्ण हालात में BRO ने अपनी जान की परवाह किए बिना ही अपने काम को जारी रखा. BRO ने 3 बड़े एक्सकावेटर से लगातार भूस्खलन के मलबे को हटाने का काम जारी रखा. रात 9 बजे तक रोड को काफी हद तक क्लियर कर दिया गया और पहली गाड़ी भूस्खलन वाले प्वाइंट से पास की गई. यह इलाका सामरिक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और तिब्बत को अलग करने वाली मैकमोहन लाइन के पास सबसे बड़ा गाँव मेनचुका है. LAC के बेहद करीब है. अगर यह सड़क जल्द नहीं खोली जाती तो भारतीय सेना और लोकल गाड़ियों का मूवमेंट पर काफी असर पड़ता. चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन में खराब मौसम के बावजूद BRO के इंजीनियरों और उनकी टीम ने सफलतापूर्वक मलबा हटाकर सड़क को यातायात के लिए बहाल कर दिया.
प्रोजेक्ट ब्रह्मांक अरुणाचल की लाइफ लाइन
अरुणाचल प्रदेश में सड़कों और बुनियादी ढांचे के विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए नए प्रोजेक्ट स्थापित करने की जरूरत महसूस की गई. प्रोजेक्ट ब्रह्मांक ने 29 जून 2011 को अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग जिले के राणाघाट में अपनी स्थापना शुरू की. प्रोजेक्ट ब्रह्मांक की स्थापना नवंबर 2011 के अंत तक पूरी हो गई और परियोजना 3 दिसंबर 2011 से पूरी तरह शुरू हो गई. इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों पूर्वी सियांग, पश्चिम सियांग और ऊपरी सियांग जिले और एक जिले असम के धेमाजी इसके अधिकार क्षेत्र में आता है. अरुणाचल प्रदेश के दूर-दराज इलाके में काम करना काफी चुनौतीपूर्ण है. गर्मी के साथ-साथ लगातार बारिश, खराब कनेक्टिविटी, कम्यूनिकेशन की कमी और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे हालातों में लगातार ऑपरेशन जारी है.
First Published :
August 04, 2025, 19:41 IST