88 घंटे में... कैसे पाकिस्‍तानी सेना सीजफायर को हुई मजबूर, आर्मी चीफ ने बताया

5 hours ago

Last Updated:August 04, 2025, 21:44 IST

Upendra Dwivedi on Pakistan: जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आईआईटी मद्रास में 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर जोर दिया, जिससे पाकिस्तान ने संघर्ष विराम मांगा. उन्होंने 'अग्निशोध' रिसर्च सेल का उद्घाटन किया. भारतीय सेनाओं...और पढ़ें

88 घंटे में... कैसे पाकिस्‍तानी सेना सीजफायर को हुई मजबूर, आर्मी चीफ ने बतायाजनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्‍तान को कड़ा संदेश दिया. (File Photo)

हाइलाइट्स

ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए मजबूर किया.जनरल द्विवेदी ने IIT मद्रास में 'अग्निशोध' रिसर्च सेल का उद्घाटन किया.भारतीय सेना अब पांचवीं पीढ़ी के युद्धों के लिए पूरी तरह तैयार है.

Upendra Dwivedi on Pakistan: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ऐसा धमाका था जिसने दुश्मनों के होश उड़ा दिए और भारत की ताकत को दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया. सोमवार को आईआईटी मद्रास में अपने जोशीले भाषण में उन्होंने कहा कि यह 88 घंटे का ऑपरेशन इतना जबरदस्त था कि पाकिस्तान को घुटने टेकते हुए संघर्ष विराम की भीख मांगनी पड़ी. यह कोई साधारण कार्रवाई नहीं थी बल्कि खुफिया जानकारी पर आधारित ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक थी जिसने भारत की आतंकवाद-विरोधी रणनीति को नए सिरे से परिभाषित कर दिया. तीनों सेनाओं की इस आक्रामकता ने सटीकता, दंडात्मक शक्ति और समन्वय का ऐसा नजारा पेश किया कि दुश्मन के पसीने छूट गए.

ऑपरेशन सिंदूर बेमिसाल था
जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह ऑपरेशन पैमाने, रणनीति और प्रभाव में बेमिसाल था. डिप्लोमेसी, सूचना, सैन्य ताकत और आर्थिक दबाव के मिश्रण ने इसे एक मास्टरस्ट्रोक बना दिया. भारतीय सेना अब पांचवीं पीढ़ी के युद्धों के लिए पूरी तरह तैयार है, जहां गैर-संपर्क युद्ध, रणनीतिक चालाकी और मनोवैज्ञानिक दबदबा हथियार होंगे. लेकिन असली खेल तो तब शुरू हुआ, जब उन्होंने चेन्नई में ‘अग्निशोध’ रिसर्च सेल का उद्घाटन किया. यह भारतीय सेना और आईआईटी मद्रास की साझेदारी का नतीजा है, जो रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है.

अग्निशोध प्रोजेक्‍ट पर काम तेज
‘अग्निशोध’ कोई साधारण प्रोजेक्ट नहीं है. यह सेना के ‘पांच परिवर्तन स्तंभों’ का हिस्सा है, जिसका मकसद आधुनिकीकरण और तकनीकी इनोवेशन को रणभूमि से जोड़ना है. जनरल द्विवेदी ने इसे ‘स्वदेशीकरण से सशक्तीकरण’ का मंत्र बताया. उन्होंने आईआईटी दिल्ली, कानपुर और आईआईएससी बेंगलुरु के साथ चल रहे प्रोजेक्ट्स की तारीफ की, जहां सेना और शैक्षणिक संस्थान मिलकर भविष्य के हथियार बना रहे हैं. खास तौर पर आईआईटी मद्रास के साथ एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग और प्रोजेक्ट संभव जैसे प्रयासों को उन्होंने गेम-चेंजर बताया.’

ड्रोन तकनीक पर होगा काम
अग्निशोध’ सैन्य कर्मियों को साइबरसिक्योरिटी, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस कम्युनिकेशन और ड्रोन तकनीक जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करेगा. यह केंद्र शैक्षणिक उत्कृष्टता को युद्ध के मैदान में नवाचार में बदल देगा, जो ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को हकीकत में ढालेगा. जनरल द्विवेदी ने चेन्नई में प्रशिक्षण अकादमी का भी दौरा किया, जहां उन्होंने आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं और भविष्य के सैन्य नेताओं को तैयार करने की रणनीतियों की सराहना की. उन्होंने प्रशिक्षकों के जुनून और कैडेट्स में सैन्य मूल्यों को जगाने के प्रयासों को सलाम किया. पूर्व सैनिकों से मुलाकात में उन्होंने उनके योगदान को याद किया और चार विशिष्ट पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया. जनरल द्विवेदी का यह दौरा और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी यह साबित करती है कि भारतीय सेना न सिर्फ दुश्मनों को धूल चटाने में माहिर है, बल्कि तकनीक और नवाचार के दम पर भविष्य के युद्धों के लिए भी पूरी तरह तैयार है.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...

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First Published :

August 04, 2025, 21:44 IST

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