Last Updated:August 05, 2025, 00:30 IST
KULGHAM OPERATION: 4 दिन से जारी कुलगाम ऑपरेशन में भारतीय सेना के जवानों के घायल होने की भी खबर है. ऑपरेशन क्लीन हो और आतंकी बिना किसी अपने नुक्सान के ढेर कर दिए जाए इसके लिए सेना ने भी अपने तरीके में बदलाव किय...और पढ़ें

हाइलाइट्स
कुलगाम ऑपरेशन में सेना ने नई तकनीक अपनाई.ड्रोन और अटैक हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है.BMP-2 का भी ऑपरेशन में प्रोटेक्शन के लिए हो चुका है उपयोग.KULGHAM OPERATION: जम्मू कश्मीर के कुलगाम में 1 अगस्त से आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी है. 5 दिन होने को है अब तक 3 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया है, जबकि कई और आतंकियों के घिरे होने की खबर है. आतंकियों को ढेर करने के लिए नई तकनीक के ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. पिछले कुछ समय से ड्रोन का इस्तेमाल आम हो गया है. लेकिन एक ऐसे हथियार के भी इस्तेमाल किए जाने की खबर आ रही है जो कि तकरीबन पिछले 60 साल बाद में पहली बार हो रहा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं गन शिप यानी अटैक हेलिकॉप्टर की. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय थलसेना का अटैक हेलिकॉप्टर रूद्र का भी इस्तेमाल किया गया है. एनकाउंटर इलाके के आसमान में रूद्र उड़ान भरता हुआ भी नजर आया है. हालांकि सेना की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
60 साल पहले भी हुआ था गनशिप का इस्तेमाल
5 मार्च, 1966 का दिन था जब पहली बार भारतीय वायुसेना ने मिज़ोरम में किसी नागरिक इलाके में हवाई हमला किया था. यह कार्रवाई मिज़ोरम के संगठन मिज़ो नेशनल फ़्रंट के खिलाफ की गई थी.पीएम मोदी ने भी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया था. 60 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मिजो नेशनल आर्मी (MNA) के विद्रोह को नियंत्रण में करने के लिए गनशिप का इस्तेमाल किया था. हालांकि साउथ कश्मीर में जारी एनकाउंटर में अभी अटैक हेलिकॉप्टर के इस्तेमाल पर सेना ने फिलहाल इनकार किया है.
पहली बार BMP-2 का हुआ था इस्तेमाल
पिछले साल सुंदरबनी सेक्टर के असन इलाके में आतंकियों ने भारतीय सेना के काफिले पर हमला किया और वे घने जंगल की तरफ भाग खड़े हुए. आतंकियों के खात्मे के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन लॉन्च किया था. यह ऑपरेशन बाकी ऑपरेशन से कुछ अलग था क्योंकि पहली बार इंफैंट्री कॉम्बेट व्हीकल यानी BMP-2 को इस ऑपरेशन में लॉन्च किया गया. हालांकि BMP-2 को सिर्फ प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल किया गया, इसके वेपन का उपयोग नहीं किया गया. दरअसल जिस जगह यह ऑपरेशन चल रहा था वह एक खुला जंगल मैदान वाला इलाका था और उस जगह कोई दूसरी गाड़ी के जरिए ट्रूप मूवमेंट संभव नहीं था और सुरक्षित भी नहीं. आतंकी घने जंगल में कहीं भी छिपकर ऑपरेशन के लिए आगे बढ़ने वाले भारतीय सैनिकों को निशाना बना सकते थे, लिहाजा कैजुअल्टी ना हो इसके लिए एहतियातन इंफैंट्री कॉम्बेट व्हीकल के जरिए ट्रूप की मूवमेंट की गई. BMP-2 के जरिए ही सेना ने ऑपरेशन को महज दो दिन में खत्म कर दिया क्योंकि इन्हीं BMP के जरिए सैनिकों को उस इलाके तक पहुँचाया गया जहां पर आतंकी मौजूद थे.
First Published :
August 05, 2025, 00:30 IST