Last Updated:August 05, 2025, 06:52 IST
India-US News: भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी का मुंहतोड़ जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय ने अमेरिका और ईयू के डबल स्टैंडर्ड पर सवाल उठाए और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा की.

हाइलाइट्स
भारत ने ट्रंप की टैरिफ धमकी का मुंहतोड़ जवाब दिया.जयशंकर ने कहा, भारत अब किसी की दादागिरी नहीं मानेगा.भारत ने अमेरिका और ईयू के डबल स्टैंडर्ड को उजागर किया.India-US News: अमेरिका खुद को दुनिया का चौधरी मानता है. बात-बात पर सबको टैरिफ की धमकी देता है. मगर भारत भी पहले वाला भारत नहीं. यह नया भारत है. चुपचाप रहता नहीं. जब कोई देश आंख उठाता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब देता है. डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी पर भी भारत ने कुछ ऐसा ही किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी पर भारत ने अब तक का सबसे बड़ा जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय ने न केवल जवाब दिया, बल्कि अमेरिका और ईयू का धागा खोल दिया और कहा कि खुद करो तो ठीक, दूसरा करे तो गलत.
अमेरिका के डबल स्टैंडर्ड पर विदेश मंत्रालय ने साफ लहजे में कहा कि वो देश हमें क्या नसीहत देंगे, जो खुद रूस से अरबों डॉलर का कारोबार कर रहे हैं. मंत्रालय ने साफ कहा कि भारत को निशाना बनाना अनुचित और तर्कहीन है. भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा. इतना ही नहीं, खुद जयशंकर ने भी अच्छे से सुना दिया और कहा कि दबदबे वाली व्यवस्था नहीं चलेगी. भारत अब किसी की दादागिरी नहीं मानने वाला. वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने भी अमेरिका को अच्छे से सुनाया. उन्होंने कहा कि अमेरिका उभरती बहुध्रुवीय अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में अपने घटते दबदबे को स्वीकार नहीं कर पा रहा है. कोई भी टैरिफ युद्ध या प्रतिबंध इसको नहीं रोक सकते.
चलिए विदेश मंत्रालय ने कैसे 6 प्वाइंट में अमेरिका को अच्छे से समझाया है.
1. यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने को लेकर भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाया गया है. वास्तव में भारत ने रूस से तेल आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी. उस समय अमेरिका ने स्वयं भारत द्वारा ऐसे आयात को वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता के लिए प्रोत्साहित किया था.
2. भारत का तेल आयात भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की लागत को सुलभ और पूर्वानुमेय बनाए रखने के लिए है. यह वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण उत्पन्न हुई एक अनिवार्यता है. लेकिन यह उल्लेखनीय है कि जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे स्वयं भी रूस के साथ व्यापार में संलग्न हैं. हमारे मामले के विपरीत, उनके लिए ऐसा व्यापार कोई अनिवार्य राष्ट्रीय आवश्यकता भी नहीं है.
3. यूरोपीय संघ ने वर्ष 2024 में रूस के साथ 67.5 अरब यूरो मूल्य का वस्तु व्यापार किया. इसके अतिरिक्त, वर्ष 2023 में सेवाओं का व्यापार 17.2 अरब यूरो आंका गया. यह भारत के रूस के साथ उस वर्ष अथवा उसके बाद के कुल व्यापार से कहीं अधिक है. 2024 में यूरोप द्वारा रूस से एलएनजी (LNG) का आयात 1.65 करोड़ टन तक पहुंच गया, जो 2022 में बने 1.521 करोड़ टन के पिछले रिकॉर्ड को भी पार कर गया.
4. यूरोप-रूस व्यापार में केवल ऊर्जा ही नहीं, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा व इस्पात, और मशीनरी व परिवहन उपकरण भी शामिल हैं.
5. जहां तक अमेरिका का संबंध है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपनी ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, साथ ही उर्वरक और रसायनों का आयात अब भी करता है.
6. इस पृष्ठभूमि में भारत को निशाना बनाना अनुचित और तर्कहीन है. किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तरह, भारत भी अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
August 05, 2025, 05:47 IST