बांग्लादेश के चुनाव आयोग हुआ सख्त, कमल जैसे इस फूल वाले चुनाव चिन्ह को बांटने से किया इनकार

3 hours ago

Bangladesh News: बांग्लादेश के चुनाव आयोग (ईसी) ने सोमवार को नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) को शापला (Water Lily) चुनाव चिह्न आवंटित करने से इनकार कर दिया. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव नियमों के तहत सिंबल की आधिकारिक सूची में इसका नाम न होने का हवाला देते हुए यह कदम उठाया गया है.

'शापला' की मांग न हुई पूरी
ये ताजा घटनाक्रम ऐसे वक्त में आया है जब एनसीपी लगातार शापला (Shapla) को अपना इलेक्शन सिंबल बनाने की मांग कर रही है. पार्टी ने हाल ही में धमकी दी थी कि अगर चुनाव आयोग इस मांग को पूरा नहीं करता है तो वो इसका रजिस्ट्रेशन कैंसल कर देगी.

नहीं मिलेगी वाटर लिली
बांग्लादेश के बड़े न्यूजपेपर्स, द बिजनेस स्टैंडर्ड ने ढाका में मीडिया से बातचीत करते हुए चुनाव आयोग के वरिष्ठ सचिव अख्तर अहमद के हवाले से कहा कि एनसीपी को शापला चुनाव चिह्न नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह नियमों में लिस्टेड नहीं है. चुनाव आयोग जल्द ही एक सार्वजनिक अधिसूचना जारी करेगा और अपने विवेक से कोई दूसरे सिंबल आवंटित करेगा. इस मामले में चुनाव आयोग का रुख नहीं बदलेगा.

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सड़कों पर उतरने की चेतावनी
इस बीच, एनसीपी (नॉर्थ) के मुख्य संयोजक सरजिस आलम ने चेतावनी दी कि अगर शापला चुनाव चिह्न आवंटित नहीं किया गया तो पार्टी सड़कों पर उतरेगी. उन्होंने आगे कहा कि अगर पार्टी को चुनाव चिह्न देने से इनकार किया गया तो पार्टी इस 'मनमाने' चुनाव आयोग के पुनर्गठन के लिए भी अभियान चलाएगी.

"राजाओं जैसा बिहेवियर"
पिछले हफ्ते शापला चिह्न की मांग दोहराते हुए दक्षिणी क्षेत्र के लिए एनसीपी के मुख्य संयोजक हसनत अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए कहा कि उसका व्यवहार मध्ययुगीन युग के राजाओं और सम्राटों जैसा है. उन्होंने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की चुनाव आयोग की क्षमता पर भी संदेह व्यक्त किया.

"ट्रांस्पेरेंसी की कमी"
एनसीपी नेता ने कहा कि इस चुनाव आयोग में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने की क्षमता का अभाव है. ये एक 'स्पाइनलेस कमीशन' है, जो अलग-अलग तबकों से प्रभावित है. जिन लोगों ने उन्हें नियुक्त किया है, वो अपने स्वार्थ के लिए चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में, एनसीपी ने चेतावनी दी थी कि अगर उसे शापला का इलेक्शन सिंबल नहीं दिया गया तो अगले साल होने वाले चुनावों पर इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.

(इनपुट-आईएएनएस)

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