Last Updated:May 13, 2025, 15:59 IST
Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कोई जिक्र नहीं था. इस मामले में अमेरिका के साथ भारत एक सधी लाइन पर चल रहा है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में डोनाल्ड ट्रंप का नाम तक नहीं लिया.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
पीएम मोदी ने ट्रंप का नाम नहीं लिया.भारत ने सीजफायर पर अमेरिका का प्रभाव खारिज किया.भारत ने अमेरिकी टैरिफ पर डब्ल्यूटीओ में जवाबी शुल्क प्रस्ताव रखा.नई दिल्ली. ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अमेरिका के साथ भारत एक सधी हुई लाइन पर चल रहा है, जबकि विपक्ष सरकार पर निशाना साधने के लिए डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियों को उठा रहा है. अमेरिका का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के नाम अपने संबोधन में साफ किया कि 10 मई से पाकिस्तान के साथ सीजफायर करने के भारत के फैसले को किसी तीसरे पक्ष ने प्रभावित नहीं किया है. भारत और पाकिस्तान के सीजफायर की घोषणा करने से पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच ‘सीजफायर’ की घोषणा कर दी थी.
फिर सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन से ठीक पहले ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान से कहा है कि अगर वे सीजफायर नहीं करते हैं तो उनके साथ कोई व्यापार नहीं होगा. ट्रंप ने सोमवार को कहा कि ‘अगर आप इसे रोकेंगे, तो हम व्यापार करेंगे. अगर आप इसे नहीं रोकेंगे, तो हम कोई व्यापार नहीं करेंगे. लोगों ने वास्तव में व्यापार का कभी उस तरह से इस्तेमाल नहीं किया, जैसा मैंने किया. मैं आपको बता सकता हूं, और अचानक उन्होंने कहा. मुझे लगता है कि हम इसे रोक देंगे, और उन्होंने ऐसा किया.’ कांग्रेस ने पीएम मोदी पर निशाना साधने के लिए इसे उठाया है.
हालांकि, सरकारी सूत्रों ने तुरंत जवाब दिया कि पीएम के संबोधन में ट्रंप और अमेरिका का कोई जिक्र नहीं था. वास्तव में, शीर्ष सूत्रों ने भी ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि सीजफायर होने से पहले 9 मई और 10 मई को अमेरिका से भारत को की गई तीन कॉल में व्यापार का कोई जिक्र नहीं था. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई को पीएम से बात की थी, जबकि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 10 मई को विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से बात की थी. भारत ने साफ किया है कि किसी भी बातचीत में अमेरिका ने व्यापार पहलू का जिक्र नहीं किया और केवल तनाव कम करने के लिए कहा.
वास्तव में पीएम मोदी 9 मई को वेंस की फोन कॉल से अप्रभावित थे, जिसमें उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति से कहा था कि वे पाकिस्तान को कोई रास्ता नहीं देंगे. पीएम मोदी ने कहा था कि अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ कार्रवाई जारी रखता है, तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा. भारत ने 10 मई की सुबह मिसाइलों से पाकिस्तान के एक दर्जन हवाई ठिकानों पर हमला करके ऐसा किया. रुबियो के कहने के बाद जयशंकर की प्रतिक्रिया भी कुछ ऐसी ही थी, जब रुबियो ने कहा था कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने उनसे कहा था कि वे सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए तैयार हैं. रुबियो को जयशंकर और डोभाल ने कहा था कि ‘ अमेरिका के जरिये नहीं बल्कि पाकिस्तान के डीजीएमओ को सीधे भारत से यह कहने दें.’
पीएम ने अपने संबोधन में अमेरिका की भूमिका को कमतर आंकते हुए कहा कि ‘भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान ने बचने के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए. पाकिस्तान दुनिया से तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था. भारी नुकसान झेलने के बाद, पाकिस्तान की सेना ने 10 मई की दोपहर को हमारे डीजीएमओ से संपर्क किया. जब पाकिस्तान ने अपील की और कहा कि वह आगे किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों या सैन्य दुस्साहस में शामिल नहीं होगा, तो भारत ने इस पर विचार किया.’ कश्मीर पर मध्यस्थता करने के ट्रंप के प्रस्ताव को भी मोदी ने अमेरिका का नाम लिए बिना खारिज कर दिया. मोदी ने ऐलान किया कि ‘पाकिस्तान के साथ केवल आतंकवाद और पीओके पर ही बातचीत होगी.’ मंगलवार को भारत ने सुरक्षा उपायों के नाम पर स्टील और एल्युमीनियम पर अमेरिकी टैरिफ को लेकर अमेरिका के खिलाफ डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) मानदंडों के तहत जवाबी शुल्क लगाने का भी प्रस्ताव रखा. डब्ल्यूटीओ के एक संचार में कहा गया कि ‘सुरक्षा उपायों से भारत में उत्पादित प्रासंगिक उत्पादों के अमेरिका में 7.6 अरब डॉलर के आयात पर असर पड़ेगा, जिस पर शुल्क संग्रह 1.91 अरब डॉलर होगा.’ ये सभी घटनाक्रम इस साल की शरद ऋतु तक होने वाले ऐतिहासिक भारत-अमेरिका व्यापार सौदे से पहले हो रहे हैं. वेंस की भारत यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई थी कि दोनों पक्षों ने इस पर अच्छी प्रगति की है.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...और पढ़ें
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