Last Updated:September 21, 2025, 15:05 IST
Prashant Kishor News: प्रशांत किशोर ने एक ऐसा दांव चला है, जिससे एनडीए और महागठबंधन की नींद उड़ गई है. पीके ने ऐलान किया है कि नवरात्र में ही उनकी पार्टी जन सुराज सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर देगी. क्या पीके के इस 'मास्टरस्ट्रोक' से दोनों गठबंधनों का गणित बिगड़ जाएगा?

पटना. जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार चुनाव को लेकर अब एक नया दांव खेला है. दांव ऐसा कि बड़े-बड़े सूरमाओं को 440 वोल्ट का करंट लग जाए तो हैरानी नहीं होगी. एक तरफ जहां एनडीए और महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर महाभारत छिड़ा हुआ है. वहीं जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक ऐसा ‘मास्टरस्ट्रोक’ खेला है, जिससे दोनों गठबंधनों की नींद उड़ गई है. पीके ने ऐलान किया है कि वह नवरात्र में ही अपनी पार्टी के सभी 243 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर देंगे. पीके का यह दांव न सिर्फ अप्रत्याशित है, बल्कि बिहार चुनाव में महागठबंधन और एनडीए का पूरा गणित बिगाड़ सकता है.
दरअसल, पीके ने ऐलान किया है कि नवरात्र में ही जन सुराज अपने सभी 243 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर देगी. पीके ने दावा किया है कि वह किसी भी दूसरी पार्टी से पहले अपने उम्मीदवारों के नामों को ऐलान कर देगी. नवरात्र में हमलोग नताओं के साथ बैठक कर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर देंग. ऐसे में बड़ा सवाल यह कि क्या पीके के इस दांव से एनडीए और महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का गणित बिगड़ जाएगा? क्या महागठबंधन और एनडीए पीके कैंडिडेट का तोड़ और जाति के आधार पर अपने तय उम्मीदवारों को बदलकर नए तरह से रणनीति बनाएंगे?
पीके ने क्यों खेला यह ‘बड़ा खेल’?
प्रशांत किशोर का यह कदम कोई साधारण ऐलान नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी रणनीति है. अगर पीके अपनी घोषणा सबसे पहले करते हैं, तो एनडीए और महागठबंधन को उनके उम्मीदवारों के हिसाब से अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी. अगर पीके किसी खास जाति से किसी मजबूत उम्मीदवार को उतारते हैं तो दोनों गठबंधनों को अपने उम्मीदवारों के नाम बदलने पड़ेंगे, जिससे पार्टी के भीतर आंतरिक कलह बढ़ सकती है और भीतराघात से नुकसान हो सकता है.
जाति-आधारित राजनीति पर चोट
पीके लगातार यह कहते रहे हैं कि बिहार की राजनीति पर 1200 परिवारों का कब्जा है, जो जाति और परिवार के नाम पर टिकट बांटते हैं. वह अपनी लिस्ट में ऐसे उम्मीदवार नहीं रखेंगे, जो परिवारवाद से जुड़े हों. यह सीधे तौर पर तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की राजनीति पर चोट है. पीके ने अपनी ‘जन सुराज’ यात्रा के दौरान कई पढ़े-लिखे और योग्य लोगों की पहचान की है. वह उन्हीं लोगों को टिकट देंगे. इससे बिहार की जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि पीके एक नया विकल्प दे रहे हैं, जो पुरानी और घिसी-पिटी राजनीति से अलग है.
सेंधमारी की तैयारी
पीके के उम्मीदवार दोनों गठबंधनों के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं. अगर पीके किसी मजबूत जाति के उम्मीदवार को उतारते हैं तो वह महागठबंधन या एनडीए के वोट काट सकते हैं, जिससे हार-जीत का समीकरण बदल सकता है. प्रशांत किशोर का यह ‘नवरात्र ऐलान’ सिर्फ एक घोषणा नहीं, बल्कि एक युद्ध की शुरुआत है. वह इस ऐलान से एनडीए और महागठबंधन को सीधे चुनौती दे रहे हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 21, 2025, 15:05 IST