Last Updated:October 19, 2025, 13:38 IST

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश में कहा है कि अगर कोई गरीब आरोपी आर्थिक रूप से सक्षम न होने के कारण जमानत राशि नहीं दे पा रहा है, तो उसकी मदद संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के जरिए सरकार करेगी. अदालत ने कहा कि जमानत मिलने के बावजूद केवल पैसों की कमी के कारण किसी व्यक्ति को जेल में नहीं रखा जा सकता है.
यह आदेश जस्टिस एमएम सुनीरेश और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने दिया. कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान (suo motu) लिया था, जब यह पता चला कि देशभर में हजारों ऐसे अंडरट्रायल कैदी हैं जिन्हें अदालत से जमानत मिल चुकी है, लेकिन आर्थिक अभाव में वे बेल बॉन्ड भरने में असमर्थ हैं और जेलों में बंद हैं. पीठ ने नए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत कहा कि यदि किसी गरीब आरोपी के लिए जमानती रकम जमा करना संभव नहीं है, तो DLSA उसकी ओर से यह राशि भर सकेगी. DLSA अधिकतम ₹1 लाख तक की रकम जमानत के रूप में दे सकेगी. यदि किसी मामले में ट्रायल कोर्ट ने इससे अधिक जमानत राशि तय की है, तो DLSA उसे कम कराने के लिए अदालत में आवेदन दाखिल करेगी.
सात दिन में न रिहाई होने पर जेल प्रशासन देगा सूचना
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी आरोपी को जमानत मिल जाने के बावजूद सात दिनों के भीतर रिहा नहीं किया जाता, तो जेल प्रशासन को इसकी सूचना तुरंत संबंधित DLSA सचिव को देनी होगी. इसके बाद DLSA का अधिकारी यह जांच करेगा कि क्या आरोपी के पास जेल में उसके खाते में कोई राशि है. यदि आरोपी के पास धन नहीं है, तो जिला स्तर की ‘एम्पावर्ड कमेटी’ (District Level Empowered Committee) पांच दिन के भीतर जमानत के लिए आवश्यक फंड जारी करेगी.
सपोर्ट टू पुअर प्रिज़नर्स स्कीम
कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘सपोर्ट टू पुअर प्रिज़नर्स स्कीम’ के तहत एक मामले में एक कैदी के लिए ₹50,000 तक की राशि दी जा सकती है. यह रकम संबंधित अदालत में फिक्स्ड डिपॉजिट या किसी अन्य उपयुक्त माध्यम से जमा कराई जाएगी. यह पूरी प्रक्रिया ‘इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम’ (ICJS) के एकीकृत प्लेटफॉर्म से जुड़ी जाएगी, जिससे पुलिस, अदालत, जेल और फॉरेंसिक लैब्स के बीच डेटा साझा करना आसान होगा. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब आरोपी को मुकदमे में बरी किया जाए या दोषी ठहराया जाए, तो ट्रायल कोर्ट यह सुनिश्चित करेगी कि जमानत के लिए दी गई रकम वापस सरकार के खाते में जमा की जाए, क्योंकि यह राशि केवल जमानत सुनिश्चित करने के लिए दी गई थी.
गरीब कैदियों को राहत
यह फैसला देश के उन हजारों गरीब कैदियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो मामूली आरोपों में जेल में बंद हैं, पर आर्थिक तंगी के कारण जमानत नहीं पा सके. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल न्याय तक समान पहुंच को मजबूत करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि गरीबी किसी व्यक्ति के लिए न्याय से वंचित होने का कारण न बने.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 19, 2025, 13:38 IST