नई दिल्ली. जनगणना का रास्ता साफ हो गया है और यह दो चरणों में होगी. इसमें करीब 11 करोड़ 71 लाख रुपये का खर्च आएगा. इसकी मंजूरी शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में दी गई. अब लोगों के जहन में सवाल है कि जनगणना में कौन से सवाल पूछे जाएंगे. क्या हर शख्स को अपनी जाति बतानी जरूरी होगी? इसके अलावा आम आदमी से जनगणना में क्या-क्या पूछा जाएगा, जानें डिटेल….
जनगणना कराने की घोषणा के बाद जब केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से इससे जुड़े सवाल पूछे गए तो जानें उन्होंने क्या कहा…
1. सवाल: जनगणना में क्या-क्या सवाल पूछे जाएंगे?
मंत्री: ये गजट नोटिफिकेशन में तयह होगा और नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही सवालों के बारे में पता चल पाएगा. हालांकि उन्होंने बताया कि इनकम, उम्र, लिंग, शिक्षा, धर्म, मातृभाषा, बोली, विकलांगता, सामाजिक स्थिति, जाति, व्यवसाय और विवाह समेत जैसे सामान्य सवाल पूछे जाएंगे.
2. सवाल: क्या जनगणना के दौरान गोत्र और जाति के बीच में अंतर हो सकेगा?
मंत्री: जाति या गोत्र को लेकर कोई केंद्रित सवाल तो नहीं होगा. पर क्या-क्या होगा यह सब नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही साफ हो पाएगा. उन्होंने बताया कि जनगणना का नोटिफिकेशन जारी करने का काम चल रहा है.
3. सवाल: क्या जनगणना का डेटा तो लीक नहीं होगा? उसमें आम आदमी की हर जानकारी होगी.
मंत्री: जनगणना का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित होगा और उसके लीक होने की कोई संभावना नहीं है. हमने देश में डेटा प्रोटेक्शन को लेकर कानून लेकर आए है और डीपीडीपी कानून भी लेकर आएं हैं.
4. सवाल: क्या हर शख्स को जाति बताना जरूरी होगा? जो साधु संत है वो कैसे अपनी जाति बताएंगे?
मंत्री: जाति न पूछो साधु की… उन्होंने आगे कहा कि जाति बतानी है या नहीं या उस शख्स पर खुद की निर्भर करेगा. अगर वह अपनी जाति नहीं बताना चाहता है तो उस सवाल को छोड़ सकता है.
क्या होगा जनगणना के 2 चरणों में…
भारत की जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी. पहले चरण में घरों की सूची बनाना (हाउसलिस्टिंग) और आवास (हाउसिंग) जनगणना होगी. इसे अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच किया जाएगा. दूसरे चरण में ‘जनसंख्या की गणना’ फरवरी 2027 में होगी. हालांकि, केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के बर्फ से प्रभावित गैर-समकालिक क्षेत्रों और हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड राज्यों के लिए जनगणना सितंबर 2026 में की जाएगी.
Phase 1: हाउसलिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना (HLO)
इस चरण में घरों की गिनती और उनकी स्थिति से जुड़ी जानकारी जुटाई जाएगी. इसमें शामिल होगा:
फेज 2: Population Enumeration (PE)
यह असली जनगणना होती है और इसमें लोगों से संबंधित सभी विस्तृत आंकड़े लिए जाते हैं जैसे…
जनगणना क्यों महत्वपूर्ण है?
1- नीतियां बनाने और योजना तैयार करने के लिए जरूरी
जनगणना देश की विकास नीतियां, योजनाएं और प्रशासनिक फैसले बनाने का आधार होती है. सरकार को यह पता चलता है कि कहां क्या जरूरत है स्कूल, अस्पताल, सड़क, पानी, बिजली आदि.
2. आयु, धर्म, भाषा, शिक्षा, रोजगार जैसी जानकारी उपलब्ध कराती है. जनगणना हर व्यक्ति या परिवार के बारे में महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक जानकारी देती है. जैसे: उम्र, धर्म, भाषा, शिक्षा स्तर, रोजगार की स्थिति, घर की स्थिति व सुविधाएं, विकलांगता और परिवार की संरचना और अन्य अहम डेटा इक्ट्ठा किया जाता है.
3. निर्वाचन क्षेत्रों के निर्धारण और आरक्षण के लिए जरूरी: जनगणना से मिलने वाला डेटा सांसद/विधायक क्षेत्रों और पंचायतों के सीमांकन में उपयोग होता है. आरक्षण तय करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. यह एक संवैधानिक दायित्व है.
4. शोधकर्ताओं के लिए बड़ा डेटा भंडार: जनगणना डेमोग्राफी, अर्थशास्त्र, मानवशास्त्र, समाजशास्त्र, सांख्यिकी और अन्य कई विषयों में शोध के लिए सबसे बड़ा और विश्वसनीय डेटा प्रदान करती है. देश की सामाजिक, आर्थिक संरचना का अध्ययन इसी डेटा पर आधारित होता है.
कितने कर्मचारियों की मदद से होगी जनगणना
लगभग 30 लाख क्षेत्रिय कर्मचारी राष्ट्रीय महत्व के इस विशाल कार्य को पूरा करेंगे. डेटा संग्रह के लिए मोबाइल ऐप और मॉनिटरिंग के लिए सेंट्रल पोर्टल का उपयोग करने से बेहतर गुणवत्ता डेटा सुनिश्चित होगी. डेटा प्रसार बेहतर और अधिक यूजर फ्रेंडली तरीके से होगा ताकि नीति निर्माण के लिए आवश्यक मानकों पर सभी प्रश्न एक बटन क्लिक करते ही प्राप्त हो जाएं. भारत की जनगणना 2027 में देश की समस्त जनसंख्या को शामिल किया जाएगा. गणनाकार, जो आम तौर पर सरकारी शिक्षक होते हैं और जिन्हें राज्य सरकार नियुक्त करती है, अपनी नियमित ड्यूटी के अतिरिक्त जनगणना का फील्ड वर्क भी करेंगे. उप-जिला, जिला और राज्य स्तरों पर दूसरे जनगणना अधिकारियों को भी राज्य और जिला प्रशासन नियुक्त करेगा.
लगभग 30 लाख फील्ड कर्मचारियों को, जिनमें एन्यूमरेटर, सुपरवाइजर, मास्टर ट्रेनर, प्रभारी अधिकारी और प्रधान/जिला जनगणना अधिकारी शामिल हैं, डेटा कलेक्शन, मॉनिटरिंग और जनगणना अभियान के पर्यवेक्षण के लिए तैनात किया जाएगा. सभी जनगणना कर्मचारियों को जनगणना के काम के लिए उपयुक्त मानदेय प्रदान किया जाएगा क्योंकि वे अपने नियमित कार्य के अतिरिक्त यह काम भी करेंगे. वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश की जनसंख्या 121 करोड़ थी, जिसमें 62 करोड़ (51.54%) पुरुष और 58 करोड़ (48.46%) महिलाएं थीं। 2001-2011 के दशक में भारत की जनसंख्या में 18 करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई थी.

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