Last Updated:December 12, 2025, 20:09 IST
हिमाचल में नंगल डैम-दौलतपुर चौक रेल सेक्शन चालू, चंडीगढ़-बद्दी और बद्दी-घनौली लाइन पर काम तेज़, भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी प्रोजेक्ट हिमाचल सरकार की वजह से धीमा चल रहा है.रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी राज्यसभा में दी है.
रेल मंत्री ने राज्यसभा में यह जानकारी दी है.नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश कई और इलाकों में अब ट्रेन की सीटी और तेज़ गूंजने वाली है. केंद्र सरकार ने रेल कनेक्टिविटी को नई रफ्तार दी है. नंगल डैम से दौलतपुर चौक तक का 60 किलोमीटर लंबा सेक्शन पूरी तरह चालू हो चुका है. दौलतपुर चौक से तलवाड़ा और चंडीगढ़ से बद्दी की नई लाइन पर काम शुरू हो चुका है. बद्दी से घनौली तक की नई लाइन का डीपीआर भी तैयार हो गया है. भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी प्रोजेक्ट में हिमाचल सरकार की वजह से काम धीमा चल रहा है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी राज्यसभा में दी है.
नंगल डैम-तलवाड़ा-मुकेरियन प्रोजेक्ट के तहत नंगल डैम-ऊना-अंदौरा-दौलतपुर चौक हिस्सा अब पूरी तरह शुरू हो चुका है. दौलतपुर चौक से तलवाड़ा तक 52 किलोमीटर का काम भी तेज़ी से चल रहा है. साथ ही 1,540 करोड़ रुपये की लागत से चंडीगढ़-बद्दी 28 किलोमीटर नई लाइन पर भी काम जोरों पर है. बद्दी-घनौली 25 किलोमीटर लाइन का सर्वे पूरा हो चुका है और डीपीआर तैयार है. रक्षा मंत्रालय की सामायिक रेल लाइन बिलासपुर-मनाली-लेह के लिए भी सर्वे और डीपीआर बन चुका है. यह 489 किलोमीटर की लाइन होगी, जिसमें 270 किलोमीटर टनल होंगी और अनुमानित लागत 1,31,000 करोड़ रुपये है.
काम अटकने की वजह
भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी 63 किलोमीटर नई लाइन का काम अटका हुआ है. यह प्रोजेक्ट 25% हिमाचल और 75% केंद्र के खर्च पर बन रहा है. कुल लागत 6,753 करोड़ रुपये तय हुई थी. अब तक 5,252 करोड़ खर्च हो चुके हैं. लेकिन हिमाचल सरकार ने अभी तक सिर्फ 82 हेक्टेयर ज़मीन ही दी है, जबकि 124 हेक्टेयर चाहिए. बिलासपुर से बेरी तक की ज़मीन अब तक नहीं सौंपी गई. हिमाचल का हिस्सा 2,711 करोड़ था, जिसमें से सिर्फ 847 करोड़ ही जमा किए गए हैं. बाकी 1,863 करोड़ अभी बकाया हैं.
रेल लाइन किस पर निर्भर
केंद्र ने साफ कहा है कि वह पूरी तरह तैयार है, लेकिन प्रोजेक्ट की रफ्तार हिमाचल सरकार के सहयोग पर निर्भर है. बजट में भी हिमाचल के लिए बड़ा इज़ाफा हुआ है. 2009-14 में सालाना औसतन सिर्फ 108 करोड़ रुपये थे, जबकि 2025-26 में 2,716 करोड़ रुपये रखे गए हैं यानी 25 गुना से ज्यादा हो गय है.
रेल मंत्रालय का कहना है कि नई लाइन मंजूर करने में यातायात का अनुमान, फर्स्ट-लास्ट माइल कनेक्टिविटी, राज्य सरकार की मांग और फंड की उपलब्धता जैसे कई फैक्टर देखे जाते हैं. प्रोजेक्ट पूरा होने में ज़मीन, फॉरेस्ट क्लीयरेंस और मौसम की दिक्कतें भी आती हैं.
Location :
Himachal Pradesh
First Published :
December 12, 2025, 20:09 IST

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