Last Updated:December 12, 2025, 17:38 IST
What is CoalSetu : क्या है कोलसेतु स्कीम, जिसे सरकार ने कोयला सेक्टर में आतमनिर्भर लाने के लिए लॉन्च किया है. सरकार का कहना है कि इस स्कीम से कोयला सेक्टर में आत्मनिर्भरता आएगी और हर साल देश के हजारों करोड़ रुपये बचाने में भी मदद मिलेगी.
कोयला सेक्टर में सुधार के लिए कोलसेतु योजना लॉन्च की गई है. नई दिल्ली. भारत सरकार ने कोयला सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने और आयात का बोझ घटाने के लिए कोलसेतु (CaolSetu) योजना में बड़े बदलाव किए हैं. इसका मकसद कोयला सेक्टर में खनन और निवेश को ज्यादा आजादी देने के साथ उत्पादन बढ़ाने और उसके निर्यात को आसान बनाना भी है. इस योजना ने भारत को कोयला क्षेत्र में काफी हद तक आत्मनिर्भर बनाया है और आयात में लगातार गिरावट आ रही है. कोलसेतु योजना से हर साल आयात पर खर्च होने वाले हजारों करोड़ रुपये की बचत भी होगी.
सरकार ने वैसे तो कोयला सेक्टर में कॉमर्शियल माइनिंग को साल 2020 में ही रास्ता दे दिया था, लेकिन कोलसेतु के जरिये इस सेक्टर को नई ऊंचाई पर पहुंचाने की तैयारी है. इसके जरिये कोल लिंकेज पॉलिसी में बड़े सुधार किए गए हैं. यह पॉलिसी साल 2016 में शुरू की गई थी और अब इसमें बड़े सुधार के जरिये कोल सेक्टर को शक्तिकाली बनाकर देश को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी है.
कैसे काम करेगा कोलसेतु
कोलसेतु स्कीम पहले से चल रही कोल लिंकेज पॉलिसी में सुधार करता है. यह प्रावधान करती है कि कोयले के अंतिम उपभोक्ताओं जैसे सीमेंट, स्टील, स्पॉन्ज आयरन और एल्युमीनियम सेक्टर को सिर्फ ऑक्शन के जरिये ही कोयले का आवंटन किया जा सकेगा. सुधार के तहत 2016 की पॉलिसी के तहत ही कोलसेतु नाम से एक पोर्टल शुरू किया गया है. कोलसेतु के जरिये कोयले के पारदर्शी उपयोग को बढ़ावा दिया जा सकेगा और इसके आवंटन की प्रक्रिया को भी सरल बनाया जाएगा. किसी भी औद्योगिक इस्तेमाल अथवा निर्यात के लिए कोयले का आवंटन सिर्फ ऑक्शन से किया जा सकेगा.
कोलसेतु की क्या है खासियत
इसके तहत कोई भी घरेलू खरीदार लिंकेज ऑक्शन में भाग ले सकता है.कोयले का इस्तेमाल बिना अंतिम उपभोक्ता बने भी किया जा सकेगा, जिसका मतलब है कि व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए भी अब कोयला खरीद सकेंगे. कोल लिंकेज में कोयला खरीदने वाले कुल मात्रा का 50 फीसदी निर्यात कर सकेंगे. ईंधन की सप्लाई का अग्रीमेंट अब सिर्फ अधिकतम 15 साल के लिए ही किया जा सकेगा. कोयले के मौजूदा खरीदार भी लिंकेज पॉलिसी की नई विंडो के तहत अप्लाई कर सकते हैं. ट्रेडर्स को इस प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं है, ताकि बाजार को अच्छी तरह कंट्रोल किया जा सके.
आत्मनिर्भर बन रहा भारत
कोयला सेक्टर में जारी सुधारों से आज भारत काफी हद तक आत्मनिर्भर बन चुका है. वित्तवर्ष 2024-25 पहला ऐसा साल रहा है, जब देश में कोयले का उत्पादन 1 अरब टन को भी पार कर गया. इस दौरान कुल उत्पादन 1.048 अरब टन रहा है. पिछले 5 साल में आयात लगातार कम होता जा रहा, जो पिछले साल 7.9 फीसदी नीचे आया. इससे देश को करीब 61 हजार करोड़ रुपये का आयात बिल घटाने में मदद मिली. कोयला सेक्टर को अब रेलवे का भी साथ मिल रहा है और भारतीय रेलवे ने पिछले साल 82.3 करोड़ टन कोयले की ढुलाई की है. घरेलू पॉवर प्लांट के पास कोयले का भंडार भी अब रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 12, 2025, 17:38 IST

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