Last Updated:July 16, 2025, 14:23 IST
INDIA-CHINA-MALDIVES : INS जटायु वेस्टर्न सी बोर्ड के सदर्न मिनिकॉय आइलैंड पर है. मालदीव से इसकी दूरी 250 किलोमीटर के करीब है. इसके बीच से ही सारा मर्चेंट ट्रेफ़िक निकलता है इसके कमीशन होने के बाद से ही सिचुएशन...और पढ़ें

चीन के लिए बदल रहे हैं समीकरण
हाइलाइट्स
मालदीव में पीएम मोदी की यात्रा पर चीन की नजर होगी.INS जटायु नेवल बेस चीन के समुद्री व्यापार को रोक सकता है.मिनिकॉय द्वीप पर भारतीय नौसेना का नया बेस स्थापित किया गया है.INDIA-CHINA-MALDIVES : चीन छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है. खास तौर पर भारत के पड़ोसी देशों पर उसकी नजरें गढ़ी हुई हैं. इसे स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स भी कहा जाता है. मालदीव भी इसमें शामिल है. भारत मालदीव के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे है. लेकिन चीन की एंट्री के बाद से दोनों देशों के बीच के समीकरण जरूर बदले हैं. चीन समर्थित मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने तो नया राग ही अलापना शुरू कर दिया था. भारत के साथ मालदीव की पुरानी दोस्ती को ही दांव पर लगा दिया. लेकिन अब रिश्तों में थोड़ा सुधार नजर आ रहा है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के स्वतंत्रता दिवस यानी 26 जुलाई को शामिल होने जा रहे हैं. मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहली मालदीव यात्रा होगी. इस यात्रा पर सबसे ज्यादा नजरें चीन की टिकी होंगी, क्योंकि चीन मालदीव पर अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर चुका है. चीन की इस तरह की कुटिल चालों को देखते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी काट भी तैयार कर ली गई है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप का नेवल बेस INS जटायु.
मॉलदीव पर चीन का फोकस
भारत विरोध का नारा बुलंद करने वाले मोहम्मद मुइज्जू मालदीव के राष्ट्रपति बने. उनकी विदेश नीति के केंद्र में चीन है. राष्ट्रपति बनने के बाद वह भारत के बजाय पहले चीन के दौरे पर गए और फिर चीन से लौटने के बाद उन्होंने भारत के खिलाफ कई फैसले लिए. मुइज्जू ने नवंबर 2023 में राष्ट्रपति चुनाव जीता और इसका थीम ही था “इंडिया आउट”. उन्होंने तो भारत से 75 सैन्यकर्मियों की टुकड़ी को वापस बुलाने के लिए कहा. चीन का पूरा फोकस मॉलदीव पर रहा है. क्योंकि इसी इलाके से होते हुए उसका 80 फीसदी एनर्जी ट्रेड गुजरता है. भारत के पास वह ताकत है कि वह चीन के इस ट्रेड को किसी भी वक्त लक्षद्वीप के पास चोक कर सकता है. इसी वजह से चीन ने मालदीव में भारी निवेश किया है. मालदीव बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा है. चीन ने मालदीव में बंदरगाहों, हवाई अड्डों, पुलों और अन्य जरूरी परियोजनाओं को फंड किया है. हालांकि भारत अपने पड़ोसियों के साथ हमेशा बेहतर रिश्ते बनाना चाहता है और इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी देशों को न्योता दिया था, जिसमें मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी शामिल थे और वह आए भी थे.
चीन के डर की वजह
चीन का ट्रेड हिंद महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है. इस बात का डर पहले से ही सताता है कि अगर उनके व्यापार और एनर्जी ट्रेड जो समुद्र की तरफ से मूव करता है, अगर वह रुक गया तो उसकी कमर टूट जाएगी. सही मायने में भारत ने इसकी तैयारी कर ली है. लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप पर नौसेना का “जटायु नेवल बेस” स्थापित कर दिया गया है. यह दूसरा चोक प्वाइंट तैयार किया गया है. पहला चोक प्वाइंट 20-30 साल पहले अंडमान निकोबार को नौसेना बेस के हिसाब से विकसित किया था.
INS जटायु नेवल बेस है गेमचेंजर
मिनिकॉय का INS जटायु नेवल बेस 9 डिग्री चैनल के नार्थ में है और यह दुनिया का सबसे व्यस्त शिपिंग रूट है. 80 से 90 फीसदी ट्रेड इस रूट से होकर गुजरता है और इस ट्रेड रूट को ग्लोबल शिपिंग की लाइफ लाइन भी कहा जाता है. हर मिनट तकरीबन 12 मर्चेंट शिप यहाँ से गुजरते हैं यानी 24 घंटे में यहाँ से 15000 से 17000 शिप मूव करते हैं. यह रूट रोप, मिडिल ईस्ट, वेस्ट एशिया को साउथ ईस्ट एशिया के सुदूर देशों से जोड़ता है. ओमान की खाड़ी और अदन की खाड़ी की तरफ से आने वाले ट्रेड सिंगापुर, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और चीन तक जाते हैं. खास बात यह है कि चीन का 80 फीसदी ट्रेड इसी 9 डिग्री चैनल से होकर गुजरता है. लक्षद्वीप के करीब से होते हुए यह अंडमान निकोबार के करीब से होते हुए मलक्का स्ट्रेट से आगे निकल जाता है. अभी तक भारतीय नौसेना युद्ध की स्थिति में बंगाल की खाड़ी में अंडमान के करीब चीन के ट्रेड को चोक करने की क्षमता थी, लेकिन अब चीन का ट्रेड 9 डिग्री चैनल पर ही चोक किया जा सकेगा. भारतीय नौसेना आने वाले दिनों में मिनिकॉय द्वीप के नेवल स्टेशन को विकसित करेगी. इस नेवल बेस पर फिलहाल रडार स्टेशन स्थापित किया गया है जो इस पूरे इलाके पर अपनी नजर बनाए रखेगा. आने वाले दिनों में यहाँ बड़े मिलिटरी एयरक्राफ्ट लैंड कर सकें, इसके लिए 2.5 किलोमीटर लंबा एयर स्ट्रिप भी तैयार करने की योजना है. इसके अलावा दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस के लैंड वर्जन को भी इस नेवल स्टेशन में तैनात किया जाएगा.