Last Updated:December 08, 2025, 20:45 IST
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को 30 दिन में पार्टी संविधान की नई कॉपी जमा करने का निर्देश दिया है, जिसे eci.gov.in पर सार्वजनिक किया जाएगा. यह पारदर्शिता बढ़ाने का कदम है.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमारसंसद में चल रही ‘वंदे मातरम’ और संविधान को लेकर तीखी राजनीतिक बहस के बीच चुनाव आयोग ने एक अहम प्रशासनिक कदम उठाया है. चुनाव आयोग ने देश के सभी पंजीकृत राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर उनके ‘पार्टी संविधान’ की एकदम नई और संशोधित कॉपी तलब की है. आयोग ने इसके लिए सभी दलों को 30 दिनों का अल्टीमेटम दिया है. आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और पार्टियों के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए उठाया गया है. लेकिन सियासी गलियारों में इस कदम को पार्टियों की विचारधारा और उनके लिखित नियमों की जांच-परख के तौर पर भी देखा जा रहा है.
चुनाव आयोग ने सभी दलों को स्पष्ट कर दिया है कि वे जो भी दस्तावेज सौंपेंगे, उसे गोपनीय नहीं रखा जाएगा. आयोग का प्लान है कि हर पार्टी का संविधान चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट (eci.gov.in) पर अपलोड किया जाए. आयोग ने अपने पत्र में लिखा है, पार्टी संविधान एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसमें पार्टी के उद्देश्यों और प्रक्रियाओं से संबंधित जानकारी होती है. यह लोकतांत्रिक तरीके से पार्टी के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है. सभी पार्टी सदस्यों और आम जनता को इसकी जानकारी होनी चाहिए. इसका सीधा मतलब है कि अब जनता एक क्लिक पर जान सकेगी कि जिस पार्टी को वह वोट दे रही है, उसके आंतरिक नियम क्या हैं? वह अपने अध्यक्ष का चुनाव कैसे करती है? और उसके मूल उद्देश्य क्या हैं?
कानूनी पेंच: धारा 29A का हवाला
चुनाव आयोग ने अपने पत्र में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RP Act, 1951) की धारा 29A का विशेष उल्लेख किया है. धारा 29A (1) और (5) के तहत, जब कोई पार्टी रजिस्टर होती है, तो उसे अपने नियमों और विनियमों की कॉपी देनी होती है. इसी धारा के तहत पार्टियों को भारत के संविधान, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने की शपथ लेनी होती है.
आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 और आरपी एक्ट की धारा 29A (6) के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निर्देश जारी किया है. आयोग का कहना है कि पार्टियों का दायित्व है कि वे अपने संविधान में किए गए हर छोटे-बड़े बदलाव की जानकारी आयोग को दें, लेकिन कई बार अपडेटेड कॉपियां आयोग तक नहीं पहुंचतीं.
इसके मायने
हालांकि चुनाव आयोग का यह पत्र एक प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन इसकी टाइमिंग महत्वपूर्ण है. संसद से लेकर सड़क तक ‘वंदे मातरम’, ‘सेक्युलरिज्म’ और ‘संविधान’ पर बहस छिड़ी हुई है. ऐसे में चुनाव आयोग का यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि क्या पार्टियां अपने लिखित संविधान में उन मूल्यों का पालन कर रही हैं जिनका दावा वे मंचों पर करती हैं? क्या पार्टियों के आंतरिक कामकाज में वही लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसकी दुहाई वे देती हैं? आयोग का मानना है कि निर्वाचन व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए यह जरूरी है कि सभी दल अपने ही बनाए संविधान के प्रावधानों का सख्ती से पालन करें.
30 दिन के भीतर क्या करना होगा?
चुनाव आयोग के निर्देशानुसार सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को अपने पार्टी संविधान की ‘लेटेस्ट अपडेटेड कॉपी’ जमा करनी होगी. अगर हाल ही में कोई संशोधन किया गया है, तो उसे शामिल करके ही कॉपी भेजनी होगी. यह प्रक्रिया अगले 30 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी. आयोग ने इसके लिए एक डेडिकेटेड लिंक (https://www.eci.gov.in/constitution-of-political-party) भी साझा किया है, जहां भविष्य में ये सारे दस्तावेज आम जनता के लिए उपलब्ध होंगे. इसे भारतीय राजनीति में ‘आंतरिक लोकतंत्र’ को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
December 08, 2025, 20:45 IST

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