Last Updated:December 08, 2025, 21:17 IST
तमिलनाडु में जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और DMK सरकार के बीच टकराव तेजी से बढ़ गया है. मदुरै की पहाड़ियों पर कार्तिगई दीपम जलाने के अदालत के आदेश को राज्य सरकार ने लागू करने से इनकार कर दिया, जिससे धार्मिक और राजनीतिक विवाद गहरा गया. DMK अब संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और देशभर में न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका की नई बहस छिड़ गई है.
जस्टिस स्वामिनाथन का आदेश सरकार ने नहीं माना. तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार यह कदम एक न्यायिक आदेश के बाद आया है जिसने राज्य में कानून और व्यवस्था और धार्मिक सद्भाव पर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. यह घटनाक्रम न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है. यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर एक नई बहस शुरू करने को तैयार है.
जस्टिस स्वामीनाथन के आदेश में ऐसा क्या था?
मद्रास हाईकोर्ट के मदुरै बेंच में कार्यरत जस्टिस स्वामीनाथन ने हाल ही में अपने आदेश में यह निर्देश दिया कि मदुरै की थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ियों की चोटी पर स्थित एक दरगाह के पास एक मंदिर के दीबाथुन पिलर पर पारंपरिक कार्तिगई दीपम जलाया जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस धार्मिक अनुष्ठान से दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं होगा. तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट के इस आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया. सरकार ने तर्क दिया कि इससे कानून और व्यवस्था बिगड़ने का खतरा है. त्योहार की रात पुलिस ने श्रद्धालुओं को पहाड़ी पर जाने से रोक दिया. इससे हिंदू संगठनों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए. इस सरकारी प्रतिरोध ने ही राजनीतिक आग में घी डालने का काम किया है.
तमिलनाडु सरकार ने नहीं माना आदेश
जस्टिस स्वामीनाथन ने अपने आदेश में मंदिर अधिकारियों और दरगाह मैनेजमेंट की आपत्तियों को खारिज कर दिया था. उन्होंने सीआईएसएफ की निगरानी में 10 भक्तों के एक छोटे समूह को यह रस्म पूरी करने की अनुमति दी थी. 5 दिसंबर को मद्रास हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा. बेंच ने टिप्पणी की कि राज्य की मशीनरी ने जानबूझकर निर्देशों का पालन नहीं करने का फैसला किया था. इस फैसले के बाद तमिलनाडु सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर करके चुनौती दी है. इस पर अभी सुनवाई होनी बाकी है. इस बीच विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने DMK सरकार को हिंदू विरोधी बताते हुए केंद्र से हिंदुओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का आग्रह किया है.
कौन हैं जस्टिस जीआर स्वामीनाथन?
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन का जन्म 1968 में हुआ था. वह तिरुवरूर के मूल निवासी हैं. 1991 में वकील बनने के बाद उन्होंने पुदुचेरी (1997) और बाद में मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच (2004) में वकालत की प्रैक्टिस की. उन्हें 28 जून 2017 को एडिशनल जज और अप्रैल 2019 में परमानेंट जज नियुक्त किया गया था. वह 31 मई 2030 को सेवानिवृत्त होंगे. जस्टिस स्वामीनाथन ने कई अहम फैसले भी दिए हैं. उनके एक फैसले में तमिलनाडु में इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर गैर जरूरी मेडिकल हस्तक्षेपों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उनके इस फैसले की सुप्रीम कोर्ट से लेकर संयुक्त राष्ट्र (UN) तक सराहना हो चुकी है.
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पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
First Published :
December 08, 2025, 21:16 IST

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