Last Updated:December 08, 2025, 19:41 IST
Vande Mataram Politics: संसद में वंदे मातरम के 150 साल पर हुई बहस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि 1930 के दशक में जिन्ना और मुस्लिम लीग ने राष्ट्रगीत का विरोध क्यों किया था. उन्होंने नेहरू के 1937 के पत्र का उल्लेख किया, जिसमें गीत की पृष्ठभूमि को मुस्लिम समुदाय के लिए संवेदनशील बताया गया था. पीएम मोदी ने कहा कि राजनीतिक दबाव में गीत में बदलाव किए गए. बाद में संविधान सभा ने वंदे मातरम को राष्ट्रगीत और जन गण मन को राष्ट्रगान के रूप में मान्यता दी.
आज संसद में वंदे मातरम पर बहस हुई.नई दिल्ली. संसद में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आजादी से पहले की राजनीति के सबसे विवादित अध्यायों में से एक का जिक्र किया। यह बात रखी. प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग ने 1930 के दशक में राष्ट्रगीत का विरोध क्यों किया था. साथ ही उन्होंने कांग्रेस द्वारा मातरम में बदलाव किए जाने के पीछे के कारणों को भी बताया.
पीएम मोदी ने नेहरू के पत्र का किया उल्लेख
प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में जवाहरलाल नेहरू द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लिखे गए एक 1937 के पत्र का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि नेहरू का मानना था कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘आनंदमठ’ में गीत की पृष्ठभूमि “मुसलमानों को परेशान कर सकती है”. मोदी ने तर्क दिया कि यह वह दौर था जिसने राजनीतिक आपत्तियों की शुरुआत की. इन्हीं आपत्तियों के कारण अंततः राष्ट्रगीत का स्वरूप बदला गया था. प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सांप्रदायिक सद्भाव के नाम पर मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए थे. उन्होंने इसे एक राजनीतिक समझौता बताया जो बाद में विभाजन-युग के निर्णयों तक भी फैला.
वंदे मातरम कैसे बना राष्ट्रीय प्रतीक?
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1875 में लिखा गया यह गीत ‘बंगदर्शन’ में पहली बार प्रकाशित हुआ था. वंदे मातरम साहित्य से निकलकर राष्ट्रीय आंदोलन की राजनीतिक कल्पना में तेजी से फैल गया. बाद में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे संगीत दिया. यह गीत बंगाल और उससे परे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक जबरदस्त नारा बन गया था. 1937 में कांग्रेस ने गीत के एक संशोधित संस्करण को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया. साल 1951 में राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में संविधान सभा ने इसे औपचारिक रूप से मान्यता दी. वहीं, ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया.
जिन्ना और मुस्लिम लीग ने क्यों किया था विरोध?
साल 1930 के दशक के अंत तक मुस्लिम लीग ने वंदे मातरम के खिलाफ एक मजबूत अभियान चलाया था. 15 अक्टूबर 1937 को लखनऊ में हुई एक बैठक में मोहम्मद अली जिन्ना ने गीत की निंदा की. उनका तर्क था कि इसमें दुर्गा और लक्ष्मी जैसी हिंदू देवियों के संदर्भ शामिल थे. इसलिए यह मुस्लिम भावना के अनुकूल नहीं था. इंडियन एक्सप्रेस अभिलेखागार के अनुसार आपत्तियां दो मुख्य बिंदुओं पर आधारित थीं: पहला- वंदे मातरम् मूर्तिपूजक था और दूसरा- यह राष्ट्रीय राजनीति में उभर रहे धर्मनिरपेक्ष और समावेशी आदर्शों के अनुरूप नहीं था.
गीत में बदलाव और आपातकाल का जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार लीग के दावों का विरोध करने के बावजूद, कांग्रेस ने गीत के उपयोग पर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया था. 26 अक्टूबर 1937 को पार्टी ने समुदायों के बीच सद्भाव का हवाला देते हुए गीत के केवल कुछ हिस्सों का उपयोग करने का फैसला किया. प्रधानमंत्री ने इस तर्क को आपातकाल के दौर तक बढ़ाया. उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रगीत ने 100 वर्ष पूरे किए तब संविधान को ही गला घोंट दिया गया था. उन्होंने 150 वर्ष पूरे होने को उस गौरव और गर्व को बहाल करने का अवसर बताया जिसने कभी स्वतंत्रता सेनानियों को एकजुट किया था.
जन गण मन क्यों बना राष्ट्रगान?
मई 1948 में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखे गए एक कैबिनेट नोट से एक और महत्वपूर्ण मोड़ सामने आता है. नेहरू ने तर्क दिया था कि एक राष्ट्रगान के लिए संगीत की सार्वभौमिकता आवश्यक है. यह आर्केस्ट्रा में बजाने के लिए सरल होना चाहिए. साथ ही इसे विदेशों में भी सराहा जाना चाहिए. उन्होंने लिखा कि वंदे मातरम का ऐतिहासिक और भावनात्मक मूल्य गहरा था. लेकिन इसकी धुन विलापपूर्ण, दोहराव वाली, और आर्केस्ट्रा प्रस्तुति के लिए कठिन थी. जन गण मन इसके विपरीत, संगीत की दृष्टि से आर्केस्ट्रा और सैन्य बैंड के लिए अधिक अनुकूल था. महात्मा गांधी के समर्थन और कांग्रेस नेताओं के सहयोग से वंदे मातरम के केवल पहले दो छंदों को राष्ट्रगीत के रूप में बरकरार रखा गया था.
About the Author
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
First Published :
December 08, 2025, 19:41 IST

59 minutes ago
