Last Updated:September 06, 2025, 18:33 IST
ED ने सिमी और इंडियन मुजाहिद्दीन की फंडिंग का खुलासा किया. राजू खान नाम के शख्स ने 48.82 लाख रुपये में से 42.47 लाख आतंकी नेटवर्क को दिए, ईडी ने उसकी 9.15 लाख की संपत्ति अटैच हुई. उसके खिलाफ आगे की जांच जारी ह...और पढ़ें
ईडी ने बड़ा एक्शन लिया. (File Photo)नई दिल्ली. देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन चुके सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) और इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी नेटवर्क के तार एक बार फिर उजागर हुए हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच में इस नेटवर्क की फंडिंग की परतें खोली हैं. इस खुलासे से साफ हो गया है कि किस तरह भारत के भीतर बैठे एजेंट, आतंक की फैक्ट्री को फंडिंग और सपोर्ट मुहैया कराते हैं.
जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस नेटवर्क में राजू खान नाम का शख्स अहम कड़ी साबित हुआ. उसके बैंक अकाउंट में 48.82 लाख रुपये कैश जमा किए गए. इतनी बड़ी रकम अचानक जमा होना पहले ही शक की वजह बना. जांच में सामने आया कि इस रकम का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में किया गया. राजू खान ने इनमें से 42.47 लाख रुपये आगे बढ़ाकर सिमी और इंडियन मुजाहिद्दीन के एक्टिव नेटवर्क तक पहुंचाए. यह पैसा ट्रेनिंग, भर्ती और नेटवर्क को सक्रिय रखने के काम आया.
आतंकी फंडिंग के साथ कमिशन का काम
पैसे के इस खेल में राजू खान ने खुद को भी खाली हाथ नहीं रखा. उसने लगभग 13% यानी 6.34 लाख रुपये कमीशन के तौर पर अपने पास रख लिए. इस तरह वह न सिर्फ आतंकी संगठनों को मजबूत कर रहा था बल्कि खुद भी मुनाफा कमा रहा था. यह मॉडल दिखाता है कि कैसे आतंकी नेटवर्क हवाला और लोकल एजेंटों के जरिए फंडिंग की पूरी व्यवस्था चलाते हैं. ED ने इस केस में अब तक 9.15 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति अटैच कर ली है. यह कार्रवाई साफ इशारा करती है कि एजेंसी इस नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए कदम उठा रही है. हालांकि अभी भी जांच जारी है और कई और नाम सामने आने की उम्मीद है.
हवाला से होती थी फंडिंग
यह मामला एक बार फिर बताता है कि सिमी और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसी संगठन भारत की जमीन पर “आतंकी फैक्ट्री” की तरह काम कर रहे हैं. इनके लिए फंडिंग सबसे बड़ी ऑक्सीजन है. जब तक पैसों का स्रोत बंद नहीं होगा, आतंकी नेटवर्क अपने मंसूबों पर काम करता रहेगा. ED की इस कार्रवाई ने न सिर्फ पैसों की नाड़ी पकड़ी है, बल्कि आतंकी तंत्र की गहराई तक पहुंचने का रास्ता भी खोला है. भारत की सुरक्षा एजेंसियों के सामने चुनौती यही है कि ऐसे लोकल एजेंटों और उनके जरिए आने वाली हवाला फंडिंग पर लगातार नजर रखी जाए. ED की यह पड़ताल आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे कर सकती है, जिससे आतंकी फैक्ट्री की जड़ें पूरी तरह उखाड़ने में मदद मिलेगी.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
September 06, 2025, 18:31 IST

1 month ago
