अभी तो चेनाब सूखी, झेलम पर किशनगंगा के गेट बंद हुए तो पाक की हालत क्या होगी?

5 hours ago

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के ताबड़तोड़ एक्शन से पाकिस्तान खौफ में है. पाकिस्तान के ताजा टेंशन की वजह है कि भारत का ‘वॉटर स्ट्राइक…’ पाकिस्तान के साथ दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को ठंडे बस्ते में डालने के बाद अब भारत ने चेनाब नदी पर बने बगलिहार डैम के गेट बंद कर दिए हैं. चेनाब का पानी रोकने का सीधा असर पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत पर देखा जा रहा है, जहां नदी के जलस्तर में भारी गिरावट आई है.

भारत के इस कदम से ही पाकिस्तान के पसीने छूट गए हैं. ऐसे में सवाल यह भी है कि अगर भारत ने झेलम पर बने किशनगंगा डैम के गेट भी बंद कर दिए, तो पाकिस्तान की क्या हालत होगी? चलिये इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं…

भारत को बगलिहार डैम बंद करने से क्या मिला?
बगलिहार डैम जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर स्थित है. यह भारत के लिए सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है. इसके गेट बंद करने का पहला फायदा यह हुआ कि जम्मू-कश्मीर में बिजली उत्पादन में इजाफा होगा. यह इलाका सर्दियों में बिजली की भारी किल्लत से जूझता है. अब पानी रोककर टरबाइनों के लिए आवश्यक दबाव और बहाव बनाए जा रहे हैं, जिससे ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को बिजली की किल्लत से राहत मिलेगी.

दूसरा फायदा सिंचाई के क्षेत्र में मिलने का अनुमान है. बगलिहार से नियंत्रित जलप्रवाह की बदौलत भारत अब अपने कृषि क्षेत्र में बेहतर जल प्रबंधन कर सकता है. खासकर जम्मू और पंजाब जैसे इलाकों में, जहां सिंचाई की जरूरत अधिक रहती है, वहां किसानों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है.

पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी
भारत के इस फैसले का सबसे बड़ा असर पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों पर पड़ा है. चेनाब नदी इन इलाकों में पानी का एक बड़ा स्रोत है. जैसे ही बगलिहार डैम के गेट बंद हुए, चेनाब का बहाव पाकिस्तान में 30-40% तक घट गया. इससे आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में पीने के पानी की किल्लत शुरू हो सकती है.

कृषि क्षेत्र को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है. चेनाब का पानी रोकने से अब उस पर सीधा असर पड़ेगा. सिंध और पंजाब प्रांत के किसान इस समय गेहूं और धान की फसलें उगा रहे हैं. ऐसे में चेनाब का सूखना, सीधे तौर पर फसल उत्पादन को प्रभावित करेगा, जिससे भोजन संकट भी पैदा हो सकता है.

अब बारी किशनगंगा डैम की?
अगर भारत अगला कदम उठाकर झेलम नदी पर बने किशनगंगा डैम के गेट भी बंद करता है, तो पाकिस्तान के लिए हालात और ज्यादा गंभीर हो जाएंगे. किशनगंगा डैम पाकिस्तान के नीलम और झेलम बेसिन में जल आपूर्ति को नियंत्रित करता है. यह वही क्षेत्र हैं, जहां पाकिस्तान की जलविद्युत परियोजनाएं, कृषि व्यवस्था और शहरी जलापूर्ति निर्भर करती हैं.

किशनगंगा से पानी न मिलने का मतलब होगा कि पाकिस्तान को बिजली कटौती, शहरों में पानी की किल्लत और खेती-बाड़ी चौपट होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. खासतौर पर मुजफ्फराबाद और आस-पास के इलाकों में झेलम का बहाव कमजोर पड़ते ही पाकिस्तान की कई योजनाएं रुक सकती हैं.

भारत का सख्त रुख और बदला हुआ दृष्टिकोण
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब ‘खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते’ की नीति पर काम करेगा. पहलगाम आतंकी हमले में निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद भारत ने जहां सैन्य मोर्चे पर बड़े एक्शन की तैयारी में है. वहीं आर्थिक रूप से उसे गहरी चोट दे रहा है. बगलिहार डैम का गेट बंद करना उसी रणनीति का हिस्सा है. इसके बाद सिंधू जल संधि की समीक्षा और बदलाव की मांग भी तेज हो गई है.

1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुए सिंधु जल संधि के तहत भारत को सतलुज, रावी और ब्यास का पूरा जल उपयोग का अधिकार मिला है, जबकि झेलम, चेनाब और सिंधु नदियों का जल पाकिस्तान को आवंटित किया गया है. हालांकि, भारत को इन नदियों पर ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ परियोजनाओं के लिए सीमित निर्माण की अनुमति है.

अब जब पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को शह देता नजर आ रहा है, तो भारत भी यह संकेत दे चुका है कि संधि की समीक्षा की जा सकती है. ऐसे में अगर भारत अपनी जलनीति में और कठोरता लाता है, तो पाकिस्तान के पास न तो संसाधन होंगे और न ही पानी के वैकल्पिक स्रोत.

बगलिहार डैम से चेनाब सूखना सिर्फ एक शुरुआत है. और अगर किशनगंगा डैम से झेलम का पानी भी रोका गया, तो पाकिस्तान को न सिर्फ जल संकट झेलना पड़ेगा, बल्कि उसकी आर्थ‍िक स्थिति भी डगमगा जाएगी. भारत की ‘वॉटर स्ट्राइक’ पाकिस्तान के लिए सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि आने वाले संकट का ट्रेलर है.

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