Last Updated:October 02, 2025, 23:59 IST
India Afghanistan Relations अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्तकी का भारत आना साउथ एशिया में पावर शिफ्ट का सिग्नल है. भारत स्मार्टली खेल रहा है. इससे जहां तालिबान को मान्यता मिलेगी, वहीं भारत को तालिबान की सीधी मदद. और पाकिस्तान तो बस देखता रह जाएगा.

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी अगले हफ्ते दिल्ली आ रहे हैं! हां, वही मुत्तकी, जिन पर यूएन का ट्रैवल बैन था, अब 9 से 16 अक्टूबर तक नई दिल्ली में रहेंगे. यूएन सिक्योरिटी काउंसिल ने 30 सितंबर को स्पेशल छूट दी है, और ये दौरा 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद उनका पहला हाई-लेवल विजिट होगा. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलने का प्लान है. बातें होंगी ह्यूमैनिटेरियन एड, रीजनल सिक्योरिटी और अफगान एम्बेसी में स्टाफ बढ़ाने की. लेकिन सवाल ये है, ये दौरा भारत के लिए गेम-चेंजर क्यों है, और पाकिस्तान इससे बेचैन क्यों होने वाला है?
बैकग्राउंड समझिए. अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आया तो दुनिया ने उन्हें बॉयकॉट कर दिया. किसी ने मान्यता नहीं दी. नेताओं पर ट्रैवल बैन लगे, आर्थिक पाबंदियां लगाई गईं. भारत ने भी सतर्कता बरती, मगर प्रैक्टिकल एंगेजमेंट जारी रखा. जैसे, चाबहार पोर्ट से गेहूं, दवाएं भेजीं. अभी पिछले महीने ही जब भूकंप आया तो भी खुलकर मदद भेजी. लेकिन याद कीजिए, जनवरी में हमारे विदेश सचिव विक्रम मिस्री दुबई में मुत्तकी से मिले थे. फिर, सितंबर में अफगान उप विदेश मंत्री हमदुल्लाह जाहिद iPHEX 2025 एक्सपो में आए, जहां फार्मा और हेल्थकेयर पर बात हुई. ये छोटे-छोटे स्टेप्स थे, लेकिन अब मुत्तकी का दौरा बड़ा कदम है. ये दिखाता है कि भारत तालिबान के रिश्ते नए मुकाम पर हैं. यह खास इसलिए है, क्योंकि अफगानिस्तान हमारा पड़ोसी है. भारत बॉर्डर शेयर करता है. ऐसे में वहां कुछ भी होता है तो उसका असर हमारे यहां पड़ता है.
क्या फायदा-क्या नुकसान इसे प्वाइंट में समझें
मुत्तकी का दौरा तालिबान को मैसेज देगा कि भारत अफगानिस्तान को अलग-थलग नहीं पड़ने देगा. हमने अरबों डॉलर का इनवेस्टमेंट किया है. स्कूल, हॉस्पिटल, रोड बनाए हैं. चाबहार पोर्ट तो गेम-चेंजर है, जो ईरान के रास्ते अफगानिस्तान को कनेक्ट करता है और वह भी बिना पाकिस्तान के होकर गुजरे. लेकिन यहां एक ट्विस्ट है. अमेरिका ने 29 सितंबर को चाबहार पर मिली छूट हटा ली. मतलब भारत के इन्वेस्टमेंट पर खतरा मंडरा रहा. मुत्तकी का दौरा इसी टाइमिंग में आया है. दूसरा फायदा रीजनल कनेक्टिविटी. हमारा इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर अफगानिस्तान से होकर गुजरेगा, जो ट्रेड को तेज करेगा. इसे ऐसे समझिए कि अफगानिस्तान से हमारी तरक्की की नई राह खुल सकती है. तीसरा, सिक्योरिटी. तालिबान से बात करके हम आईएएस खुरासान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे ग्रुप्स पर नजर रख सकेंगे, जो भारत के लिए खतरा हैं. जिस पल का हमने लंबे वक्त तक इंतजार किया अब तालिबान खुद दरवाजा खटखटा रहा है.पाकिस्तान तो तालिबान का पुराना दोस्त रहा है. 2021 में पाकिस्तान ने उनकी मदद की, लेकिन अब रिश्ते खराब हो गए. क्यों? क्योंकि अफगानिस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के हमले बढ़ गए, और तालिबान पर इल्जाम लग रहा कि वो उन्हें शेल्टर दे रहे. पाकिस्तान ने क्रॉस-बॉर्डर स्ट्राइक्स किए, तालिबान भड़क गया. अगस्त में तो मुत्तकी का पाकिस्तान दौरा रद्द हो गया था क्योंकि पाकिस्तान के नेतृत्व वाले यूएन पैनल ने ही मुत्तकी पर लगा वैन हटाने से इनकार कर दिया था. अब मुत्तकी भारत आ रहे हैं तो पाकिस्तान को जलन होगी ही.
पाकिस्तान के बेचैनी की तीन वजह
स्ट्रैटेजिक बैलेंस: पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपना गहरा दोस्त मानता है. उसे लगता है कि अफगानिस्तान की मदद से वह भारत को घेर सकता है. लेकिन भारत के करीब आने से तालिबान का लॉयल्टी शिफ्ट हो सकता है. अल जजीरा की रिपोर्ट कहती है, पाकिस्तान टेंशन में है कि उसका सबसे पुराना दोस्त भारत से मिल रहा है. इकोनॉमिक टेंशन: चाबहार vs ग्वादर – दोनों पोर्ट्स अफगानिस्तान को कनेक्ट करते हैं. ग्वादर चीन पाकिस्तान के प्रोजेक्ट CPEC का पार्ट है. लेकिन चाबहार से भारत अफगानिस्तान को डायरेक्ट एक्सेस देता है. अमेरिका की एक चाल से चाबहार की कोशिशों को झटका लगा है, लेकिन मुत्तकी चाहेंगे कि भारत इसे ठीक कर ले. पाक को डर है कि भारत फिर से गेम में वापस आ जाएगा. TTP का संकट: पाकिस्तान तालिबान से दबाव बनाना चाहता है कि TTP को हैंडल करें, लेकिन भारत की एंट्री अफगानिस्तान को मजबूत बनाएगी, जो पाकिस्तान के कंट्रोल से बाहर हो जाएगा. एक्स पर तो लोग मजाक उड़ा रहे- मुत्तकी ने पाकिस्तान स्किप किया, इंडिया चुना!Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
October 02, 2025, 23:04 IST