पकिस्तान अटैक में शहीद हुआ अग्निवीर भी तो सैनिक है, फिर मां क्यों पहुंची HC?

1 hour ago

मुंबई: पुंछ सेक्टर में शहीद हुए अग्निवीर मुरली नाइक की मां ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमित सैनिकों जैसी पेंशन और सुविधाओं की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि अग्निवीर भी वही ड्यूटी और जोखिम लेते हैं. इसलिए शहादत पर समान सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए. मामला जल्द अदालत में सुना जाएगा.

जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में मई 2024 की एक सुबह गोलाबारी के बीच जिसने अपनी जान देश के लिए न्योछावर कर दी, वह 851 लाइट रेजिमेंट का अग्निवीर एम. मुरली नाइक था. सीमा पर जिस क्षण उन्होंने शहादत दी, उसी पल से उनका परिवार हर उस सम्मान और सुरक्षा की उम्मीद करने लगा, जो शहीद परिवारों को दी जाती है. लेकिन जब पता चला कि अग्निवीर परिवारों को वे सभी दीर्घकालीन सुविधाएं नहीं मिलतीं, जो नियमित सैनिकों के परिवारों को मिलती हैं तो मां की पीड़ा अदालत के दरवाजे तक पहुंच गई.

दरअसल, शहीद अग्निवीर की मां ज्योतिबाई श्रीराम नाइक ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि उनके बेटे ने वही वर्दी पहनी, वही खतरे झेले, वही सीमा पर गोलियां खाईं. तो फिर उसके बलिदान को वह सुरक्षा, सम्मान और पेंशन क्यों नहीं मिलती जो नियमित सैनिकों को मिलती है? याचिका में इसे “विषम और असमान व्यवहार” बताया गया है.

क्या कहती है याचिका और क्यों उठाया मां ने यह कदम?

याचिका अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल की गई है. इसमें योजना को चुनौती नहीं दी गई. बल्कि उसके उन ऑपरेशनल प्रभावों को सवालों के घेरे में रखा गया है, जो अग्निवीर के परिवारों को लाइफटाइम सुरक्षा से बाहर कर देते हैं.

याचिका में कहा गया है कि अग्निवीर और नियमित सैनिक दोनों समान जोखिम झेलते हैं. दोनों सीमा पर एक जैसी ड्यूटी करते हैं. दोनों राष्ट्र की रक्षा करते हैं लेकिन शहादत के बाद आर्थिक सुरक्षा में भारी अंतर रह जाता है. मां का कहना है कि परिवार का एकमात्र सहारा उनका बेटा था. पति बेरोजगार हैं और वे पूर्णत: बेटे की आय पर निर्भर थीं.

याचिका अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल की गई है.

क्या मांग रही हैं शहीद अग्निवीर की मां?

याचिका में अदालत से निम्न सुविधाओं में समानता की मांग की गई है-

लिबरलाइज्ड फैमिली पेंशन ग्रेचुइटी एक्स-सर्विसमैन स्टेटस सेना अस्पतालों में आजीवन स्वास्थ्य सुविधाएं शहादत पर आधिकारिक मान्यता और मेमोरियल में शामिल किया जाना समारोहों में वही सम्मान जो नियमित सैनिक परिवारों को मिलता है

पहली बार अग्निपथ योजना में शहीद हुआ सैनिक

इस मामले की गंभीरता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि याचिका में दावा किया गया है कि मुरली नाइक अग्निपथ योजना के पहले शहीद हैं. इसलिए परिवार की याचिका ने योजना के लाभों और सुरक्षा प्रावधानों पर बेहद अहम कानूनी सवाल खड़े कर दिए हैं.

याचिका में कहा गया है कि अग्निवीर और नियमित सैनिक दोनों समान जोखिम झेलते हैं.

संसदीय समिति की रिपोर्ट से मिली बड़ी ताकत

दलीलों में दिसंबर 2024 की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट का उल्लेख भी किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया था-

मुद्दा समिति की सिफारिश
अग्निवीर शहीद परिवारनियमित सैनिकों जैसी सुविधाएं
सम्मान-समानतादो वर्गों के ‘शहीद’ न बनाए जाएं
पेंशनलाइफटाइम सुरक्षा सुनिश्चित हो

समिति ने साफ चेतावनी दी थी कि दो अलग वर्ग बनाना मनोबल पर असर डाल सकता है.

परिवार को मिल रही एकमुश्त राशि क्यों नहीं काफी?

याचिका में कहा गया है कि अग्निवीर परिवारों को लगभग ₹1 करोड़ का एकमुश्त पैकेज मिलता है, जिसमें बीमा और एक्स-ग्रेशिया शामिल हैं. लेकिन मां का तर्क है, ‘एकमुश्त राशि जीवन भर की सुरक्षा का विकल्प नहीं हो सकती. एक पेंशन घर का सहारा भी देती है और सम्मान भी.’

याचिका में उठाए गए 5 कानूनी तर्क

अनुच्छेद 14: समान कार्य, समान जोखिम, फिर असमान लाभ क्यों? अनुच्छेद 21: जीवन और गरिमा का अधिकार परिवार से क्यों छीना जा रहा है? वैध अपेक्षा का सिद्धांत: दशकों से चली आ रही परंपरा अचानक बदली गई. गैर-प्रतिगमन सिद्धांत: पूर्व सुरक्षा लाभ वापस लेने का अधिकार नहीं. न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता: योजना के परिणामों से असमानता पैदा हो रही है.

अब आगे क्या? सुनवाई आने वाले हफ्तों में

याचिका अधिवक्ता प्रकाश आंबेडकर और उनकी टीम ने दाखिल की है. मामला अब बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगा. सवाल बड़ा है, क्या अग्निवीर शहीद परिवारों को भी वही सम्मान और सुरक्षा मिलेगी जो अन्य सैनिकों को मिलती है? देश का बड़ा हिस्सा इस कानूनी फैसले का इंतजार करेगा.

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