Last Updated:November 27, 2025, 14:35 IST
पायलट एसोसिएशन ALPA INDIA आरोप लगाते हुए डीजीसीए से कहा है कि एयरलाइंस अपने फायदे के लिए क्रू और पैसेंजर्स की जिंदगी से खेल रही हैं. पायलट्स ने एक-एक कर 9 खामियां डीजीसीए को गिनाईं है, जिसकी वजह से फ्लाइट सेफ्टी खतरे में पड़ रही है. पायलट्स ने सभी नियमों को समान तौर पर लागू करने की बात भी कही है.
FDTL, Airlines & Pilots: फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) को लेकर पायलट्स की तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है. एयरलाइंस पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA INDIA) ने डायक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) को पत्र लिखकर साफ-साफ कह दिया है कि कई भारतीय एयरलाइंस फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन के नियमों को अपने फायदे के लिए तोड़-मरोड़ रही हैं. एयरलाइंस के इस रुख के चलते पायलट लगातार थक रहे हैं और फ्लाइट सेफ्टी पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है. साथ ही, क्रू और पैसेंजर्स की सुरक्षा भी खतरे में है.
24 नवंबर को डीजीसीए और फ्लाइट स्टैंडर्ड्स डायरेक्टोरेट (FSD) के साथ हुई मीटिंग को लेकर एसोसिएशन के अध्यक्ष कैप्टन सैम थॉमस का कहना है कि हमें अपनी बात रखने का पूरा मौका मिला है. मीटिंग में डीजीसीए ने भी माना है कि कुछ एयरलाइंस जानबूझकर न केवल नियमों की गलत व्याख्या कर रहे हैं, बल्कि उनका उल्लंघन भी कर रहे हैं. पायलट्स का कहना है कि एफडीटीएल नियमों का मकसद ही पायलट्स को पर्याप्त नींद और आराम देना है, ताकि वे चौकन्ने रहें और हादसे न हों. लेकिन एयरलाइंस पैसे बचाने और ज्यादा फ्लाइट्स के चक्कर में इन नियमों को कमजोर कर रही हैं.
पायलट्स द्वारा डीजीसीए को गिनाई गईं 9 खामियां
नियम को आधा-अधूरा लागू करना: एसोशिएशन का आरोप है कि कई एयरलाइंस कहती हैं कि वे एफडीटीएल को फेज वाइज लागू करेंगी या छूट ले लेंगी. इस मुद्दे पर पायलट्स का कहना है कि छूट सिर्फ बहुत खास हालात में और पूरी सुरक्षा जांच के बाद ही मिलनी चाहिए. वरना यह सुरक्षा से खिलवाड़ है. रोस्टरिंग पॉलिसी में एयरलाइंस की मनमर्जी: डीजीसीए के नियमों को दरकिनार कर कई एयरलाइंस अपनी अलग रोस्टरिंग पॉलिसी बना रही है. यह करना सीधे तोर पर डीजीसीए के नियमों का उल्लंघन है. पायलट्स की मांग है कि ऐसी कोई भी पॉलिसी डीजीसीए की लिखित मंजूरी के बिना मान्य न हो. ऑपरेशंस मैनुअल में नियमों में बदलाव: एसोसिएशन का यह भी आरोप है कि एयरलाइंस डीजीसीए के असली एफडीटीएल को पूरा कॉपी नहीं करतीं, बल्कि छोटा करके या बदलकर लिख देती हैं. पायलट चाहते हैं कि मैनुअल में पहले पूरा मूल नियम जस का तस लिखा जाए, उसके बाद ही एयरयलाइंस अपनी बात अलग से जोड़े और वो भी डीजीसीए की मंजूरी के साथ. 12 घंटे पहले भी बदल जाती है ड्यूटी: पायलट्स की मांग है कि रोस्टर पहले से तय होना चाहिए, लेकिन कई कंपनियां सिर्फ 12 घंटे पहले बिना पायलट की सहमति के ड्यूटी बदल देती हैं. इससे पायलट हमेशा डर में रहते हैं और असल में कभी छुट्टी जैसा नहीं लगता. पायलट्स का कहना है कि बदलाव के लिए लिखित सहमति जरूरी हो. आराम के घंटों को गिनने में भी मनमानी: एसोसिएशन के अनुसार, एयरलाइंस कंपनियां ड्यूटी खत्म होने के ठीक बाद से 48 घंटे गिनना शुरू कर देती हैं. जबकि नियम कहता है कि दो पूरे कैलेंडर दिन और दो स्थानीय रातें मिलनी चाहिए. यानी ड्यूटी वाले दिन के बाद दो पूरी छुट्टियां. लेकिन ऐसा नहीं होता है. विदेशी उड़ानों में होम बेस को लेकर भेदभाव: पायलट्स ने उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्ली-यूरोप राउंड ट्रिप पर दिल्ली बेस के पायलट को 36 घंटे आराम मिलता है, लेकिन मुंबई बेस के पायलट को दिल्ली में सिर्फ 18 घंटे का ही आराम मिलता है. फिर मुंबई लौटने पर 18 घंटे का आराम. मतलब एक ही फ्लाइट उड़ाने वाले दोनों पायलट्स को अलग-अलग आराम मिलता है. पायलट्स का कहना है कि लंबी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए पूरा भारत ही होम बेस माना जाए, सबको बराबर आराम मिले. डेडहेड ट्रांसपोर्टेशन का गलत इस्तेमाल: पायलट्स का कहना है कि जब पायलट बतौर पैसेंजर फ्लाइट में होते हैं, तब एयरलाइंस उसे डेडहेड ट्रांसपोर्टेशन मानती हैं. शिकायत है कि एयरलाइंस कंपनियां उसे ऑपरेटिंग सेक्टर नहीं मानती हैं. इससे नाइट लैंडिंग की सीमा बढ़ जाती है. पायलट्स का कहना है कि डेडहेड भी थकाता है और उसे भी गिना जाना चाहिए. वीकली ऑफ को लेकर एयरलाइंस का खेल: आरोप है कि हफ्ते की छुट्टी को सालाना छुट्टी या बीमारी की छुट्टी में जोड़कर असल वीकली ऑफ कम कर दी जाती है. पायलट चाहते हैं कि वीकली ऑफ हमेशा अलग और पूरी मिले. हर छुट्टी के बाद 10 घंटे का बफर न देना: कुछ एयरलाइंस कंपनियां सिर्फ सालाना छुट्टी के बाद ही 10 घंटे अतिरिक्त आराम देती हैं, बाकी बीमारी, कैजुअल, इमरजेंसी छुट्टियों के बाद उनहें कुछ नहीं मिलता. पायलट्स की मांग है कि हर छुट्टी के बाद 10 घंटे का बफर अनिवार्य हो.पायलट्स ने डीजीसीए से यह है मांग
इन नौ बातों के बाद एफडीटीएल ने डीजीसीए से मांग की है कि एफडीटीएल के नियमों को 100 फीसदी सख्ती से लागू किया जाए. कंपनियों को नियम अपने फायदे के लिए बदलने से रोका जाए. कोई भी नई रोस्टरिंग गाइडलाइन डीजीसी की मंजूरी के बिना मान्य न हो. पूरे देश में आराम और होम बेस की परिभाषा एक समान हो. इसके अलावा, जहां कन्फ्यूजन है वहां तुरंत साफ निर्देश जारी किए जाएं.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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First Published :
November 27, 2025, 14:35 IST

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