Last Updated:November 27, 2025, 14:17 IST
मिजोरम के चांपाई में ईडी ने बड़े ड्रग–हवाला नेटवर्क का खुलासा किया. गुजरात की फर्में Pseudoephedrine और Caffeine Anhydrous मिजोरम की कंपनियों को भेज रही थीं, जो ड्रग तस्करों से जुड़ी थीं. जांच में 52.8 करोड़ का हवाला ट्रेल और 35 लाख नकद बरामद हुए.
ईडी ने बड़े ड्रग–हवाला नेटवर्क का खुलासा किया है. मिजोरम के चांपाई इलाके में ईडी की हाल की छापेमारी सिर्फ एक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़े ड्रग और हवाला नेटवर्क का खुलासा है. 27 नवंबर को ईडी की टीम ने आइजोल और चांपाई (मिजोरम), श्रीभूमि-करीमगंज (असम) और अहमदाबाद (गुजरात) में एक साथ सर्च ऑपरेशन चलाया.
यह जांच उस FIR से शुरू हुई थी जिसे मिजोरम पुलिस ने NDPS एक्ट के तहत दर्ज किया था. इस FIR में करीब 4.724 किलो हेरोइन पकड़ी गई थी, जिसकी कीमत बाजार में लगभग 1.41 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई गई. इस मामले में छह आरोपी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं.
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, ईडी ने आरोपियों के बैंक खातों, ट्रांजैक्शन और कंपनियों का बारीकी से वित्तीय विश्लेषण किया. इसी एनालिसिस में बड़ा लिंक सामने आया- मिजोरम की कुछ फर्मों और गुजरात की कंपनियों के बीच लगातार पैसे और माल का आदान-प्रदान हो रहा था.
गुजरात की फर्मों से Pseudoephedrine टैबलेट्स और Caffeine Anhydrous भेजी जा रही थीं. ये सामान कोई आम दवा नहीं, बल्कि मेथाम्फेटामीन जैसी खतरनाक सिंथेटिक ड्रग तैयार करने के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रीकर्सर हैं.
ईडी को पता चला कि इन दवाओं की सप्लाई सीधे उन नेटवर्क तक पहुंच रही थी, जो मिजोरम के चांपाई में बैठे ड्रग तस्करों और हवाला चलाने वालों से जुड़े हैं. चांपाई पहले ही सीमावर्ती इलाका है और यहां कई बार ऐसे अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज होते रहे हैं.
मतलब, जो लोग पहले से तस्करी में पकड़े गए थे, वही इस नेटवर्क में फिर से सक्रिय पाए गए. इन फर्मों का लिंक कोलकाता की कुछ शेल कंपनियों से भी मिला है, जिन्होंने बड़ी मात्रा में Caffeine Anhydrous खरीदा था. यह पूरी चेन दिखाती है कि यह काम किसी एक राज्य में नहीं, बल्कि कई राज्यों में फैला एक संगठित रैकेट था.
ड्रग की असल रेसिपी कैसे चलती है, यह भी जांच में सामने आया. भारत से Pseudoephedrine और Caffeine जैसे प्रीकर्सर म्यांमार भेजे जाते हैं. म्यांमार में कई अवैध यूनिट्स हैं जहां मेथाम्फेटामीन की प्रोसेसिंग होती है. ड्रग तैयार होने के बाद उसे वापस भारत में लाया जाता है—और इसका सबसे आसान रास्ता मिजोरम का वही चांपाई इलाका है. सीमाएं खुली हैं, इलाके कठिन हैं और तस्कर इन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं.
हवाला रूट की जांच और भी चौंकाने वाली निकली. ईडी को नार्को हवाला ऑपरेटरों के खातों में 52.8 करोड़ रुपये के संदिग्ध क्रेडिट मिले. यह पैसा अलग-अलग राज्यों—असम, मिजोरम, नगालैंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और दिल्ली—में नकद जमा करके भेजा जाता था. यानी एक बड़ा कलेक्शन नेटवर्क पहले कैश जुटाता, फिर उसे हवाला के जरिए तस्करों तक पहुंचाया जाता. अभी इन हवाला ऑपरेटरों के बयान लिए जा रहे हैं और ईडी एक-एक ट्रांजैक्शन को ट्रैक कर रही है.
छापेमारी में ईडी ने 35 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं. इसके साथ ही कई मोबाइल फोन, लैपटॉप, पेन ड्राइव और अन्य डिजिटल डिवाइस मिले हैं, जिनमें से कई अहम सबूत निकलने की संभावना है. डिजिटल डेटा का फॉरेंसिक विश्लेषण चल रहा है और जांच एजेंसी मान रही है कि इससे नेटवर्क की और परतें खुलेंगी.
ईडी अब मनी ट्रेल, ड्रग सप्लाई चेन और हवाला चैनल—तीनों को जोड़ते हुए आगे की कार्यवाही कर रही है. जांच अभी जारी है और एजेंसी का फोकस यह समझने पर है कि यह रैकेट कितने बड़े स्तर पर काम कर रहा था और इसमें और कौन-कौन लोग शामिल हैं.
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First Published :
November 27, 2025, 14:17 IST

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