Last Updated:July 29, 2025, 20:19 IST
Should i search my symptoms on google: कोई परेशानी होने पर अगर आप भी तुरंत गूगल खोल लेते हैं और पूरी जानकारी इकठ्ठी करने लगते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. डॉक्टर खिलनानी कहते हैं कि आज के...और पढ़ें

हाइलाइट्स
गूगल पर बीमारी का इलाज ढूंढना नुकसानदायक हो सकता है.डॉ. खिलनानी: सही इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.एआई प्लेटफॉर्म्स पर जानकारी अक्सर गलत होती है.Is it safe to research disease symptoms on internet: इंटरनेट, गूगल और आर्टिफशियल इंटेलिजेंस का कॉम्बो जब से लोगों के पास आया है, उनकी दुनिया ही बदल गई है. उन्हें लगता है जैसे हर समस्या का हल अब उनके पास आ गया है. हर उस चीज की जानकारी उनके पास एक क्लिक में उपलब्ध है, जिसके बारे में उन्होंने शायद पहले कभी सुना भी न हो. यही वजह है कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले 100 में से 95 लोग आज कोई परेशानी होने पर सीधे गूगल खोल लेते हैं और बीमारी का नाम ढूंढने लगते हैं.
सिर्फ जानकारी ही नहीं बल्कि लोग अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, एमआरआई या किसी भी जांच की रिपोर्ट आने पर उसे सीधा चैट जीपीटी, ग्रोक या जैमिनी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के टूल्स पर डालकर उसका मतलब जानने की कोशिश करते हैं.हालांकि यह तरीका लोगों की सेहत के लिए फायदे के बजाय नुकसानदायक हो सकता है. यह कहना है एम्स के पूर्व प्रोफेसर और पीएसआरई दिल्ली में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के हेड डॉ जीसी खिलनानी का.
डॉ. खिलनानी कहते हैं, ‘मैं जो आजकल देख रहा हूं कि गूगल और चैट जीपीटी जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बेहिसाब जानकारी पड़ी हुई है ऐसे में मरीज अपने लक्षणों और डायग्नोसिस से संबंधित बहुत सारी जानकारी इकठ्ठी कर लेते हैं और बहुत चिंताग्रस्त और एकदम पैनिक हालत में मेरे पास आते हैं.ऐसी स्थिति में उनके डायग्नोसिस की सही जानकारी और सही इलाज बताने के लिए अतिरिक्त समय देना पड़ता है. कई बार मरीज के पास इतनी जानकारी होती है कि उसका डॉक्टर की दी हुई जानकारी से संतुष्ट होना मुश्किल होता है.’
मेडिकल साइंस में हर जांच और इलाज के कुछ खतरे रहते हैं और एक डॉक्टर इन दोनों को भांपकर ही इलाज की संभावना ढूंढता है. एक फिजिशियन कम से कम 10 साल तक पढ़ाई करता है और फिर प्रेक्टिस करना शुरू करता है. वह कई दशकों की अपनी पढ़ाई और अनुभव को आधार बनाकर मरीज के इलाज के बारे में फैसला करता है.जबकि एक मरीज महज कुछ मिनट में इन एआई प्लेटफॉर्म्स पर अपने लक्षणों के आधार पर बहुत कुछ पढ़ लेते हैं. हालांकि उनकी ये जानकारी काफी हद तक गलत होती है. मेडिकल प्रेक्टिस में कई बार डॉक्टरों के पास किसी सवाल का सीधा एक जवाब नहीं होता.मरीजों का इलाज करने के लिए डॉक्टरों के पास जानकारी सिर्फ किताबों से नहीं आती, बल्कि मेडिसिन की बेहतर समझ से मरीजों की देखभाल करके आती है.
क्या करें मरीज
डॉ. खिलनानी कहते हैं कि अगर किसी मरीज को कोई परेशानी है तो वह सीधे डॉ. के पास जाए न कि गूगल, जैमिनी और चैटजीपीटी पर अपनी बीमारियों का इलाज ढूंढे. ऐसा करने से न केवल मरीजों में तनाव बढ़ता है, बल्कि कई बार वे ऐसी गंभीर बीमारियों के बारे में सोचने लगते हैं जो उन्हें सच में होती ही नहीं है. इसलिए ऐसा करना बंद करें.
प्रिया गौतमSenior Correspondent
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस...और पढ़ें
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस...
और पढ़ें
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh