Last Updated:July 30, 2025, 13:56 IST
Justice Yashwant Verma Case: सुप्रीम कोर्ट ने कैश बरामदगी मामले में आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य करार देने का अनुरोध करने वाले जस्टिस यशवंत वर्मा के आचरण को विश्वसनीय न बताते हुए बुधवार को उनसे तीखे स...और पढ़ें

Justice Yashwant Verma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड में सुप्रीम कोर्ट में आज यानी बुधवार को सुनवाई हुई. जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से कैश कांड में आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य करार देने का अनुरोध किया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के आचरण को अविश्वसनीय बताया. साथ ही उनसे कुछ तीखे सवाल भी पूछे. अंतरिम जांच पैनल यानी आंतरिक समिति की रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा को कदाचार का दोषी पाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा से पूछा कि वह आंतरिक जांच समिति के समक्ष क्यों पेश हुए और उसे वहीं चुनौती क्यों नहीं दी? उसने जस्टिस यशवंत वर्मा से कहा कि उन्हें समिति की रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट यानी उच्चतम न्यायालय पहले आना चाहिए था.
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बैंच ने इस मामले की सुनवाई की. बेंच ने कहा कि अगर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के पास यह मानने के लिए कोई दस्तावेज है कि किसी जस्टिस ने कदाचार किया है तो वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सूचित कर सकते हैं. जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए थे. उन्होंने कहा कि उन्हें हटाने की आंतरिक जांच समिति की सिफारिश असंवैधानिक है.
कोर्ट की टिप्पणी और सिब्बल की दलील
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस तरह की कार्यवाही की सिफारिश करने से से खतरनाक मिसाल कायम होगी. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने पहले उच्चतम न्यायालय का रुख इसलिए नहीं किया क्योंकि टेप जारी हो चुका था और उनकी छवि पहले ही खराब हो चुकी थी. फिलहाल, कैश कांड मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर SC ने फैसला सुरक्षित रखा है. अंतरिम जांच पैनल ने जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी.
याचिका में क्या मांग
याचिका में तत्कालीन CJI संजीव खन्ना की ओर से पीएम और राष्ट्रपति को 8 मई को की गई सिफारिश को रद्द करने की भी मांग गई है. याचिका में कहा गया है कि उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिए बिना ही दोषी ठहराया गया है. याचिका में तीन सदस्यीय जांच पैनल पर आरोप लगाया है कि उसने उन्हें पूरी और निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिए बिना ही प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले.
क्या है पूरा केस
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड मार्च महीने का है. 14 मार्च 2025 को होली थी. होली की रात जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगी थी. उनके आवास पर जब फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची तो आग बुझाने के दौरान उन्हें बड़ी मात्रा में जले हुए नोट मिले. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. बाद में यह कांड बड़ा हो गया. इसके बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति गठित की. इसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य जस्टिस जीएस संधवालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थीं. इसने जो रिपोर्ट दी है, उस पर ही सुप्रीम कोर्ट में मामला है.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
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