Last Updated:July 31, 2025, 10:29 IST
रेवाड़ी के पिथनवास गांव में 90 वर्षीय सुरजी देवी और 93 वर्षीय दलीप सिंह की 30 मिनट के भीतर मौत हो गई. दोनों की अर्थी को गुब्बारों से सजाकर एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया.

रेवाड़ी. हरियाणा के रेवाड़ी में बुधवार को 30 मिनट के भीतर पति-पत्नी की मौत हो गई. पहले पत्नी ने दम तोड़ा. पति उसकी मौत का सदमा बर्दाश्त न कर सका और कुर्सी पर बैठे-बैठे की प्राण त्याग दिए. पत्नी की उम्र 90 और पति की उम्र 93 साल थी. दंपती की लंबी उम्र और चौथी पीढ़ी तक का चेहरा देखने की वजह से निकाली. इस दौरान अर्थी को भी रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया. इसके बाद एक ही चिता पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
दरअसल, यह मामला रेवाड़ी के पिथनवास गांव का है. मृतक दंपती के बेटे फूल सिंह ने बताया कि बुधवार सुबह उनकी पत्नी उनकी मां सुरजी देवी और पिता दलीप सिंह को चाय देने गई. दोनों एक ही कमरे में थे. उस समय मां ने चाय लेने से इनकार कर दिया. जिस वजह से पिता चाय का कप लेकर कमरे से बाहर निकल गए.
बहू दोबारा देखने आई तो मृत मिलीं सुरजी देवी
बेटे फूल सिंह बताते हैं कि करीब 7 बजे पत्नी दोबारा मां को चाय के लिए पूछने गई, तब मां चारपाई पर लेटी हुई थीं. उन्हें पत्नी ने आवाज लगाई तो उन्होंने उत्तर नहीं दिया. इसके बाद जब उन्हें पकड़कर हिलाया गया तो पत्नी को मां के मृत होने का एहसास हुआ. उसने घर में दूसरे लोगों को यह बात बताई तो सभी लोग कमरे में पहुंचे. सभी ने मां को देखा और तो लगा कि अब मां इस दुनिया में नहीं रहीं.
गांव के डॉक्टर ने मृत घोषित किया, दलीप सिंह कुर्सी पर बैठे रह गए
फूल सिंह के मुताबिक, फौरन गांव के ही एक डॉक्टर को घर बुलाकर लाए. उस डॉक्टर ने भी मां की नब्ज जांची और उन्हें मृत घोषित कर दिया. थोड़ी ही देर में यह बात बाहर कुर्सी पर बैठे पिता को भी पता चल गई. यह खबर सुनकर वह भी अचानक चुप से हो गए और वह भी कुर्सी पर बैठे रह गए.
मां की मौत की सूचना पाकर बेटियां आईं, पिता को भी मृत पाया
फूल सिंह बताते हैं कि उन्होंने मां के मरने की सूचना अपनी बहनों को दी थी, लेकिन जब बहनें घर पर पहुंचीं तो उन्हें पिता की मौत का भी पता चला. इससे परिवार में शोक है, लेकिन माता-पिता ने अपना जीवन पूरा और अच्छे से जिया, इस बात की तसल्ली है.
चौथी पीढ़ी देखने के बाद मौत
जानकारी के अनुसार, सुरजी देवी और दलीप सिंह के दो बेटे हैं. बड़े बेटे राजेंद्र सिंह थे, जिन्होंने सेना में सेवा की. हालांकि, करीब 20 साल पहले उनकी मौत हो गई. वहीं, छोटे बेटे फूल सिंह हैं, जो खेतीबाड़ी करते हैं. दंपती की 4 बेटियां भी हैं, जिनकी शादी हो चुकी है. सुरजी देवी और दलीप सिंह के 3 पौत्र और चार पड़पौत्र हैं. तीनों पौत्र कंपनियों में जॉब करते हैं.
अर्थी को भी रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया. इसके बाद एक ही चिता पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
बेटा बोला- एक-दूसरे के बहुत प्रेम था
सुरजी देवी व दलीप सिंह की अंतिम यात्रा पर उनके बच्चों ने उन्हें भव्य विदाई दी. दोनों की अर्थियों को गुब्बारों से सजाया गया और शव यात्रा के आगे ढोल वाले चले. बेटे फूल सिंह ने कहा कि उनके माता-पिता भरा-पूरा परिवार छोड़कर गए हैं. जिस प्रकार से माता-पिता का एक-दूसरे प्रति प्रेम रहा है, उन्हें अंतिम विदाई भी इसी प्रकार से दी जानी चाहिए थी..
13 Years Experience in Print and Digital Journalism. Earlier used to Work With Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesar and Amar Ujala . Currently, handling Haryana and Himachal Pradesh Region as a Bureau chief from ...और पढ़ें
13 Years Experience in Print and Digital Journalism. Earlier used to Work With Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesar and Amar Ujala . Currently, handling Haryana and Himachal Pradesh Region as a Bureau chief from ...
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Location :
Rewari,Rewari,Haryana