Last Updated:July 31, 2025, 21:12 IST

मुंबई. मालेगांव विस्फोट में मारी गई दस वर्षीय फरहीन के पिता ने मामले में निचली अदालत के फैसले को ‘गलत’ बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि जरूरत पड़ने पर वह न्याय पाने के लिए उच्चतम न्यायालय तक का रुख करेंगे. उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत के लगभग 17 साल बाद मुंबई की एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (साध्वी प्रज्ञा) और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ ‘कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं’ है.
फैसले के बाद फरहीन के पिता लियाकत शेख (67) ने पत्रकारों से बातचीत में विस्फोट वाले दिन के घटनाक्रम को याद किया. उन्होंने बताया कि फरहीन उस दिन भिक्कू चौक पर वडा-पाव खरीदने के लिए घर से निकली थी. पेशे से चालक शेख ने कहा, ‘मैंने धमाके की आवाज सुनी. हम धमाके वाली जगह के पास ही टीन की छत वाले एक घर में रहते थे. मैं अपनी बेटी को ढूंढ़ने के लिए घर से बाहर निकला, लेकिन वह नहीं मिली. बाहर अंधेरा था. किसी ने बताया कि घायलों में एक लड़की भी है, इसलिए मैं और मेरी पत्नी अस्पताल गए, जहां हमने उसे बहुत नाजुक हालत में पाया.’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे ने पर्याप्त सबूतों के साथ आरोपियों को गिरफ्तार किया था. शेख ने कहा, ‘अदालत का फैसला गलत है. हम न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाएंगे.’ मालेगांव विस्फोट में अपने बेटे सैयद अजहर को गंवाने वाले निसार अहमद ने भी कहा कि पीड़ितों को न्याय नहीं मिला और वे ऊंची अदालतों का रुख करेंगे. उन्होंने कहा कि किसी भी विस्फोट के पीड़ितों को, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, न्याय मिलना चाहिए.
विस्फोट में मारे गए इरफान खान के चाचा उस्मान खान ने कहा कि उनका भतीजा ऑटो-रिक्शा चलाता था और वह भिक्कू चौक पर चाय पीने गया था, तभी विस्फोट हो गया. खान ने बताया कि इरफान को गंभीर हालत में मुंबई ले जाया गया और उसने सरकारी अस्पताल में 10 घंटे तक मौत से जूझने के बाद दम तोड़ दिया. उन्होंने कहा कि वह फैसले से खुश नहीं हैं. खान ने सवाल किया, “पहले इस मामले में कुछ मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें ‘क्लीन चिट’ दे दी गई. अब इन लोगों को भी दोषी नहीं ठहराया गया, तो फिर दोषी कौन है?”
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...
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Location :
Mumbai,Maharashtra