Explainer: नॉन-वेज दूध क्या है, अमेरिका में गायों के मांस आधारित चारे पर विवाद

5 hours ago

आप भी शायद नॉन – वेज दूध जैसी बात सुनकर चौंके होंगे. ये लगा होगा कि दूध भी कहीं नॉन वेज होता है. अमेरिका और भारत के बीच डेयरी उत्पादों को लेकर समझौता इसी विवाद को लेकर अटका हुआ है. क्या दूध को भी वेज और नॉन वेज के तौर पर पारिभाषित किया जा सकता है. आखिर क्यों अमेरिकी डेयरी से संबंधित कुछ दूध को भारत इसी कैटेगरी में रख रहा है. आमतौर पर यही माना जाता है कि गाय खुद मांस नहीं खाती – यह उनके स्वाभाव और स्वास्थ्य के विरुद्ध है. ।

भारत और अमेरिका का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है, लेकिन डेयरी आयात को लेकर बातचीत रुकी हुई है. भारत सांस्कृतिक चिंताओं का हवाला देते हुए अमेरिकी डेयरी उत्पादों से इनकार करता रहा है. इसमें सबसे बड़ी अड़चन है “मांसाहारी दूध”, जिसका हवाला देते हुए भारत ने अमेरिकी डेयरी आयात की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

सवाल – नॉन वेज मिल्क क्या है, क्यों अमेरिका की कुछ गायों के दूध को नॉन-वेज मिल्क माना जा रहा ?

– “नॉन-वेज मिल्क” शब्द सुनकर थोड़ा चौंकना स्वाभाविक है, क्योंकि दूध को परंपरागत रूप से शाकाहारी उत्पाद माना जाता है लेकिन हाल के वर्षों में इस मुद्दे पर एक अंतरराष्ट्रीय विवाद उभरा है, विशेष रूप से अमेरिका बनाम भारत जैसे देशों के बीच. “नॉन-वेज मिल्क” कोई आधिकारिक वैज्ञानिक शब्द नहीं है.
इसे “नॉन-वेज” इसलिए कहा जाता है, क्योंकि कुछ देशों (खासकर अमेरिका में) डेयरी फार्मों में गायों को ऐसे फ़ीड (चारा) दिए जाते हैं जिनमें मरे हुए जानवरों की हड्डियों और मांस से बना चूर्ण शामिल होता है.

सवाल – इन गायों को चारे में और क्या मांस संबंधी चीजें खिलाई जाती हैं?

– इसमें इन्हें मृत जानवरों की हड्डियों और मांस से बने चूर्ण के साथ मछली का पाउडर और जानवरों की चर्बी शामिल होती है. जब गाय इन पशु-उत्पन्न चारे को खाती हैं, तो धार्मिक रूप से कुछ समुदायों के लिए उसका दूध “शुद्ध शाकाहारी” नहीं माना जाता.

सवाल – भारत में अमेरिका इस दूध को लेकर विवाद क्यों है?

– इसमें धार्मिक और सांस्कृतिक विवाद है. क्योंकि कोई भी भारतीय इस बात को स्वीकार ही नहीं कर सकता कि जिस गाय का दूध वो पी रहा है, उसको मांस आधारित या नॉनवेज आधारित चारा खिलाया गया है, वो इस दूध को बिल्कुल भी पवित्र नहीं मानेगा. भारत में कई धार्मिक समूह (विशेष रूप से हिंदू और जैन समुदाय) मानते हैं कि गाय शुद्ध शाकाहारी होनी चाहिए, तभी उसका दूध पवित्र और उपयुक्त माना जा सकता है.

सवाल – क्या अमेरिकी डेयरी कंपनियां जो डेयरी उत्पाद निर्यात करती हैं वो नॉन वेज फीड पर पाली जाती हैं?

– ऐसा हो सकता है. अमेरिकी डेयरी कंपनियां जब भारत में डेयरी उत्पाद (जैसे दूध पाउडर, घी, मक्खन) निर्यात करती हैं, तो अक्सर उनकी वो गायें नॉन-वेज फ़ीड पर पाली जाती हैं. इससे भारतीय उपभोक्ताओं को धार्मिक और नैतिक आपत्ति होती है.

सवाल – भारत सरकार ऐसे दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स पर क्या लेबलिंग चाहता है?

– FSSAI यानि भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण ने 2021-22 में एक नियम प्रस्तावित किया है “यदि किसी डेयरी उत्पाद में इस्तेमाल हुए दूध का स्रोत पशु-आधारित चारा है, तो उसे ‘नॉन-वेज’ चिह्न (🔴) के साथ बेचना होगा.” इस प्रस्ताव पर अमेरिकी कंपनियों और व्यापार समूहों ने आपत्ति जताई है. उनका तर्क था, “दूध एक शाकाहारी उत्पाद है, क्योंकि वह गाय के शरीर से बनता है, न कि चारे से सीधे.”

सवाल – अमेरिका और कई देशों में गायों को नॉन वेज फीड क्यों दिया जाता है, इससे उन्हें क्या क्या मिलता है?

– मरे जानवरों की हड्डी/मांस प्रोटीन बढ़ाने के लिए दिया जाता है तो मछली पाउडर ओमेगा फैटी एसिड व प्रोटीन बढाने को. वहीं मुर्गियों का वेस्ट सस्ता और पोषक चारा माना जाता है और सुअर/गाय की चर्बी कैलोरी सप्लीमेंट के रूप में दी जाती है. अमेरिका, ब्राज़ील और यूरोप में ये बड़े पैमाने पर होता है.

सवाल – भारत में गायों को क्या दिया जाता है?

– भारत में गायों को मुख्य तौर पर शाकाहारी चारा ही दिया जाता है, वो सूखा भूसा, हरा चारा, मक्का और गेहूं के दाना खाती हैं. इसके अलावा उन्हें खाने में खल देते हैं. हालांकि कुछ बड़े डेयरी फार्म विदेशी तरीकों को अपनाने लगे हैं, लेकिन धार्मिक भावना को ध्यान में रखते हुए नॉन-वेज फ़ीड अभी भी भारत में व्यापक रूप से अस्वीकार्य है.

सवाल – शुद्ध शाकाहारी दूध को पहचानने के क्या उपाय हैं?

– ब्रांडेड दूध हो तो उसके पैकेट पर “Feed 100% Vegetarian”, “गौशाला आधारित” या “आर्गनिक वेज फीड” जैसे शब्द देखें. स्थानीय डेयरी फार्म से दूध ले रहे हैं तो खुलकर पूछें – गाय को क्या खिलाया जाता है? गौशालाओं से दूध लेना सबसे विश्वसनीय तरीका होता है. यदि गाय को हरा चारा, भूसा, खल, दाना आदि ही दिया जा रहा है, तो दूध शुद्ध शाकाहारी माना जा सकता है.
“रेंडर्ड फीड” से मुक्त डेयरी खोजें. भारत की कई देसी डेयरियाँ खुद को “रेंडर्ड फीड फ्री” बताती हैं. वो अपने प्रोडक्ट्स पर ये लिखती हैं – “Our cows are fed only plant-based feed with no animal by-products.”

“गौशाला से प्राप्त A2 दूध” लें. भारत में कई “गौ-आधारित” संगठन, जैसे अखिल भारतीय गौसेवा संघ, पंचगव्य आधारित डेयरियां. ये A2 नस्ल की देसी गायों से दूध निकालते हैं और पूरी तरह शाकाहारी चारा देते हैं. “Organic Certified Milk” को प्राथमिकता दें

सवाल – क्या इसका पता लैब टेस्टिंग से हो जाता है?

– हां लेबोरेटरी टेस्ट से ट्रेसिंग हो सकती है. दूध का फैटी एसिड प्रोफाइल, कार्निटीन स्तर या फिश आयल ट्रेस देखा जा सकता है, लेकिन ये टेस्ट महंगे हैं. वैसे अभी तक ऐसा कोई विश्वसनीय परीक्षण नहीं है जो दूध देखकर बता सके कि गाय ने शाकाहारी चारा खाया था या मांस आधारित.

सवाल – दुनिया के किन देशों की गायों को नानवेज फीड के तौर पर चारा खिलाया जाता है?

– अमेरिका के अलावा दुनिया के कई देशों में डेयरी और बीफ़ उत्पादन के लिए पाली जाने वाली गायों को नॉन-वेज फीड (मांस/हड्डियों/मछली आधारित चारा) दिया जाता है.

ब्राज़ील में गायों को पोल्ट्री वेस्ट, मछली चूर्ण और एनिमल फैट खिलाया जाता है. लागत कम रखने के लिए ऐसा किया जाता है. चीन में मिक्स्ड एनिमल फीड बहुत आम है, खासकर इंडस्ट्रियल फॉर्मिंग में. यूरोप, रूस, मैक्सिको, थाईलैं, फिलीपींस में स्थानीय नियम कम सख्त होने के कारण पशु आधारित फीड आम है.

सवाल – क्या वेज फीड पर पहले वाली गायों और नानवेज फीड पर पलने वाली गायों के दूध में भी कोई अंतर होता है?

– कुछ अंतर हो सकते हैं, लेकिन ये अंतर सामान्य तौर पर सूक्ष्म (माइक्रो स्तर पर) होते हैं. ज़रूरी नहीं कि स्वास्थ्य या स्वाद पर बड़ा असर डालें.

सवाल – क्या नॉन-वेज फीड से दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है?

– नहीं, अधिकांश वैज्ञानिक स्टडीज़ में नॉन-वेज फीड से निकला दूध पोषण के लिहाज से सुरक्षित पाया गया है.

Read Full Article at Source