DNA: ट्रंप दुनिया के 'द मोस्ट हेटेड मैन'? अमेरिका में भी उठे सवाल, देश से निष्ठा संकट में पड़ी

9 hours ago

दUS Tariff on India: अमेरिका (US) में बढ़ती महंगाई, घटती नौकरियों, अवैध प्रवासी नीतियों और राज्यों में फेडरल यानी संघीय सरकार के दखल की वजह से ट्रंप के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है. जिसका असर ट्रंप के आम लोगों के बीच आने पर भी दिखा. US ओपन का फाइनल देखने पहुंचे ट्रंप की दर्शकों ने हूटिंग की. ट्रंप हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन कर रहे थे, लेकिन ज्यादातर लोगों ने हूटिंग करके जवाब दिया. प्रायोजकों ने लाइव टेलिकॉस्ट में ट्रंप की हूटिंग की फुटेज आन एयर नहीं होने दी. 

बू बू... 

जब ट्रंप को स्क्रीन पर दिखाया गया तब तब वहां पर लोगों ने ट्रंप को हूट करना शुरू कर दिया.स्टेडियम में ज्यादातर लोगों ने उनको स्क्रीन पर देखते ही एक साथ बू बू बोलना शुरू कर दिया. अमेरिका में इसका इस्तेमाल नापसंदगी दिखाने के लिए किया जाता है. टेनिस के फैंस आयोजन के दौरान ट्रंप से इस बात पर भी नाराज़ थे, क्योंकि राष्ट्रपति प्रोटोकॉल के चलते स्टेडियम में घुसने के लिए उन्हें लंबी सुरक्षा जांच का सामना करना पड़ा. दर्शकों को स्टेडियम में प्रवेश करने में देरी हुई और मैच 30 मिनट देर से शुरू हुआ.

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मशहूर हस्तियों के निशाने पर ट्रंप

ट्रंप को लेकर ये गुस्सा सिर्फ निवेशकों और पब्लिक में नहीं बल्कि, अमेरिकी की मशहूर हस्तियों के बीच भी है. मशहूर कॉमेडियन और राजनीतिक कमेंटेटर बिल महेर ने ट्रंप की विदेश नीति की खुलकर आलोचना की है. उन्होंने ट्रंप की नीतियों को देश को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है. महेर ने भारत पर टैरिफ लगाने को ट्रंप का पॉलिटिकल ब्लंडर बताया. उसके बाद अमेरिकी लोग अमेरिका में खुलकर भारत पर टैरिफ लगाने और भारत और चीन की दोस्ती करवाने के लिए ट्रंप को कोस रहे हैं.

ट्रंप की खुली पोल

ट्रंप और उनका प्रशासन दूसरे देशों पर टैरिफ लगाने के बाद बड़ी कमाई के दावे कर रहा हैं, लेकिन अमेरिकी एजेंसियां इसकी भी पोल खोल रही हैं. सोशल मीडिया, ट्रंप के प्रशासन से सवाल पूछ रही हैं, जिनका जवाब प्रशासन से देते नहीं बन रहा. इललिए ट्रंप प्रशासन इस रिपोर्ट को ही खारिज करने पर आमादा हो जाता है. अमेरिका में टैक्स कलेक्शन पर जब यही सवाल डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेजरी सचिव से पूछा गया तो ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ये मानने को तैयार नहीं हुए कि ट्रंप की नीतियां अमेरिकी कारोबारियों पर भारी पड़ रही हैं.

गोल्डमैन सैक्स रिपोर्ट

हालांकि आज आपको दुनिया के सबसे प्रभावशाली इन्वेस्टमेंट बैंकों में शुमार गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के बारे में भी जानना चाहिए.  जिसने ट्रंप प्रशासन के झूठ की पोल खोल दी है. ट्रंप ने दूसरे देशों पर जो टैरिफ लगाए हैं, गोल्डमैन सैक्स ने उसका जून 2025 तक का विश्लेषण पेश किया है.

जिसके मुता​बिक अमेरिकी कारोबारियों ने लगभग 64% टैरिफ लागत को खुद वहन किया. उपभोक्ताओं यानि अमेरिकी जनता ने सिर्फ 22% भार उठाया. विदेशी निर्यातकों ने बचे हुए 14% टैरिफ का भुगतान किया है. यानी अबतक सबसे ज्यादा घाटे में अमेरिका की कंपनियां हैं, असली नुकसान अमेरिकी कारोबारियों को ही हुआ. गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले महीनों में उपभोक्ता बोझ का हिस्सा 22 फीसदी से बढ़कर 67% पहुंच सकता है. अमेरिकी कंपनियों का हिस्सा घटकर 10% से भी नीचे रह सकता है. यानी उन अमेरिकी लोगों की टूटना तय है जो महंगाई के बोझ से दब जाएंगे. 

अमेरिका की विश्वसनीय एजेंसी अलग सच बता रही है. लेकिन ट्रंप और उनका प्रशासन इसे खारिज करते हुए अमेरिका के लोगों को बता रहा है विदेशी कंपनियां और सरकारें ही अधिक टैरिफ्स का भुगतान कर रही हैं. 

अंतरराष्ट्रीय विरोधी घेर रहे

ट्रंप की घेराबंदी उनके घर में ही नहीं हो रही.  उनके सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय विरोधी भी उन्हें खुला चैलेंज दे रहे हैं.  ट्रंप, युद्ध रोकने के लिए रूस पर हर तरह का दबाव बना रहे हैं, नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन रूस ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद आर्कटिक से LNG निकालकर चीन को बेचना शुरू कर दी है. साइबेरिया के आर्कटिक LNG 2 प्रोजेक्ट से दूसरा LNG टैंकर हाल में ही चीन पहुंचा. LNG-2 वाली परियोजना पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है, इसके बावजूद 1 लाख 50,हजार घन मीटर LNG की सप्लाई करके रूस ने साफ कर दिया है कि अमेरिकी प्रतिबंधों का उस पर कतई असर नहीं है. चीन ने रूस से इतनी बड़ी मात्रा में LNG खरीद कर ये संदेश दिया है कि वो रूस से तेल और गैस खरीदता रहेगा.

क्या ट्रंप बन चुके हैं दुनिया के 'द मोस्ट हेटेड मैन'? अमेरिका में भी उठ रहे सवाल, देश से निष्ठा संकट में पड़ीhttps://t.co/vcc7Xh9fpC

— Zee News (@ZeeNews) September 8, 2025

चीन पर BAN क्यों नहीं?

अमेरिका में भी ट्रंप सरकार से सवाल पूछा जा रहा है कि रूस के साथ दोगुना कारोबार करने वाले चीन पर कोई प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा रहा?वैसे जब टाइम बुरा होता है तो पुरानी राई ऐसी गलती भी पहाड़ बनकर सामने आकर खड़ी हो जाती हैं. ट्रंप के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. ट्रंप के पिछले कार्यकाल में किम जोंग उन के खिलाफ उनके एक खुफिया​ मिशन के फ्लॉप होने की खबर भी सामने आई है.

उस दौरान अमेरिका की नेवी सील टीम कमांडोज ने 2019 में नॉर्थ कोरिया के तट पर एक खुफिया मिशन चलाया था. जिसका मकसद नॉर्थ कोरिया के शासक किम जोंग-उन की कम्युनिकेशन व्यवस्था की जासूसी करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाना था. वो मिशन नाकाम रहा और कई निहत्थे नॉर्थ कोरियाई मारे गए. इस ऑपरेशन को 6 साल तक छिपाकर रखा गया. अब ट्रंप प्रशासन के कुछ लोगों ने इस खबर को लीक कर दिया जिससे किम जोंग का गुस्सा बढ़ सकता है.

नवारो और ब्लड मनी!

सोमवार को ट्रंप और उनके प्रशासन की तरफ से भारत विरोधी बयान सामने आए हैं. ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत के खिलाफ आपत्तिजनक बयान पोस्ट किया- 'भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले बड़े पैमाने पर तेल नहीं खरीदा, ये ब्लड मनी है,  इससे लोग मर रहे हैं. इसे अपनी जेब में ठूंस लो और तुम्हें शर्म आनी चाहिए.' 

क्या भारत पर होगा असर?

भारत पर ज्यादा असर हो सकता है, क्योंकि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है. 2025 में भारत और रूस के बीच 5 लाख करोड़ से ज्यादा का व्यापार हुआ. इसमें से 70% से ज्यादा हिस्सा सिर्फ तेल का है. अभी भारत को रूस से सस्ता तेल मिल रहा है, जो वैश्विक मूल्यों से 25% कम है. दूसरे चरण के प्रतिबंधों की वजह से भारत को अमेरिकी टैरिफ में और बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है.

- ट्रंप पहले ही रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% टैरिफ लगा चुके हैं, अब इसे 50% करने की बात कर रहे.

- इसके अलावा अमेरिका भारत के लिए Dollar/SWIFT system भी बंद कर सकता है.

- Dollar/SWIFT system  दुनिया का सबसे बड़ा बैंकिंग और भुगतान नेटवर्क है.

- दुनिया के ज्यादातर देशों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार डॉलर और SWIFT के जरिए होता है.

- ऐसा हुआ तो भारत के लिए व्यापार करना मुश्किल हो सकता है.

ट्रंप टैरिफ के दबाव में अगर भारत रूस से सस्ता तेल खरीदना बंद करता है तो देश में तेल की कीमत बढ़ सकती है, इसीलिए भारत ने साफ किया है वो ऐसा नहीं करेगा. हांलाकि अमेरिका में अभी भी भारत को चीन के करीब ले जाने के लिए आलोचना झेल रहे ट्रंप के सामने एक खतरा भी है. अगर ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाया तो भारत की रूस और चीन के साथ नजदीकी बढ़ सकती है, जबकि अमेरिका से टकराव गहरा सकता है. ट्रंप इसे टालना चाहेंगे तो दूसरे चरण के टैरिफ पर बयान से आगे शायद ना बढ़ें, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो भारत के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. जिससे निपटने के तरीकों पर भी सरकार जरूर मंथन कर रही होगी.

हांलाकि ट्रंप प्रशासन भारत की मुश्किल बढ़ाने के लिए और भी कई तैयारियां कर रहा है. अमेरिका ने तय किया है कि स्टूडेंट वीज़ा यानि F-1 और H-1B वीज़ा धारकों की गहरी जांच होगी. गड़बड़ी पाए जाने पर ऐसे लोगों को अमेरिका से डिपोर्ट भी किया जा सकता है. अमेरिका में टैक्स रिकॉर्ड और बैंकिंग डेटा का इस्तेमाल करके यह पकड़ की जाएगी. इससे भारतीय क्यों सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे अब आप ये भी समझिए.

- H-1B वीज़ा का 70–75% भारतीयों को मिलता है.

- अमेरिका में लगभग 5–7 लाख भारतीय H-1B पर काम कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर आईटी सेक्टर में काम कर रहे हैं.

- इसके अलावा लगभग ढाई लाख भारतीय छात्र F-1 वीज़ा और OPT इंटर्नशिप पर हैं.

- Optional Practical Training अमेरिका के F-1 स्टूडेंट वीज़ा पर पढ़ रहे छात्रों के लिए एक प्रोग्राम है.

- इसके तहत वे अपनी पढ़ाई से जुड़े काम या इंटर्नशिप अमेरिका में कर सकते हैं.

अगर इसके जरिए अमेरिका भारतीयों को टारगेट करना चाहेगा. तो खामियां निकालकर भारतीयों को वापस भेजा सकता है. जिसका असर भारतीय कामगारों और छात्रों पर पड़ेगा.

सुलह की कोशिशें 

SHW Partners LLC नाम की अमेरिकी लॉबिंग फर्म के हेड जैसन मिलर ने ट्रंप और उनके प्रशासन से मुलाकात की है, यह मीटिंग इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत ने इसी साल अप्रैल में इस फर्म को हायर किया और 15 करोड़ फीस दी. यही फर्म अमेरिकी सरकार और भारत के बीच रिश्तों को मैनेज करने और भारत के हितों को आगे रखने का काम कर रही है. जब ट्रंप, रूस पर दूसरे चरण का टैरिफ लगाने की बात कह रहे थे, उस समय हुई ये मुलाकात अहम मानी जा रही है. मिलर ने मीटिंग की फोटो शेयर करते हुए ट्रंप की लीडरशिप की तारीफ की. हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि मीटिंग का एजेंडा क्या था? अगर ट्रंप, भारत को टैरिफ पर ढील देते हैं तो कह सकते हैं कि परदे के पीछे अमेरिका से बातचीत की कोशिशों ने रंग दिखाया है.

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