'7 बजे गुल हो जाती थी बत्ती... बजने लगते थे सायरन, बम के साये में कटती रातें'

4 hours ago

Last Updated:May 06, 2025, 14:27 IST

1971 war drills story: पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव बढ़ा है. भारत ने हमलावरों को मिटाने की बात कही है और सेना को छूट दी है. गृह मंत्रालय ने 244 जिलों में सुरक्षा मॉक ड्रिल का निर्देश दिया है.

'7 बजे गुल हो जाती थी बत्ती... बजने लगते थे सायरन, बम के साये में कटती रातें'

जयप्रकाश अग्रवाल को आज भी 1971 के मॉक ड्रिल की यादें ताजा है.

हाइलाइट्स

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव बढ़ा.गृह मंत्रालय ने 244 जिलों में मॉक ड्रिल का निर्देश दिया.1971 की जंग के दौरान भी ब्लैकआउट और सायरन बजते थे.

पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान एक बार फिर जंग के मुहाने पर खड़े नजर आ रहे है. भारत ने इस हमले के गुनहगारों को मिट्टी में मिलाने की बात कही है. इसके लिए सरकार ने सेना को पूरी छूट दे दी है. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बदले हुए हालात में बुधवार शाम सात बजे देश के 244 जिलों सुरक्षा मॉक ड्रिल करने का निर्देश दिया है. इससे पहले इस तरह की ड्रिल 1971 की जंग के वक्त हुई थी. उस वक्त ऐसी ड्रिल करीब 15 दिनों तक चली थी. हमारे बीच तमाम ऐसे लोग हैं जो उस वक्त के अनुभव को आज भी बयां करते हैं. कुछ ऐसा ही अनुभव पूर्व सांसद और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयप्रकाश अग्रवाल का भी था. उन्होंने न्यूज18 इंडिया के साथ उस वक्त के अपने अनुभव साझा किए हैं.

जयप्रकाश अग्रवाल
शाम का वक्त रहा होगा. साल 1971 की बात है. अचानक से शाम को लाइट चली गई और एक तरह का सायरन बजने लगे. किसी को कुछ पता ही नहीं चला. लोग डर और खौफ के साए में चले गए. बिना बताए यह सब कुछ हुआ. थोड़ी ही देर में गलियों में और तमाम जगहों पर पुलिस दिखने लगी और बताया गया कि भारत और पाकिस्तान में लड़ाई हो गई है. इसलिए इस तरह से ब्लैक आउट किया जा रहा है.

हम लोग बहुत डरे और सहमे हुए थे क्योंकि किसी को पता नहीं था कि क्या होने वाला है. लोगों को ऐसा लगता था कि कहीं हमारे ऊपर ही बम ना गिर जाए इसलिए जिस तरह के एतिहात बरतने को कहा गया हम सब लोगों ने उसका पालन किया.

प्रतिदिन शाम के 7:00 बजते बजते सायरन बजने लगते थे और उसके बाद सारी बत्ती गुल हो जाती थी.लोगों को इस बात की हिदायत थी कि कम से कम बिजली का इस्तेमाल करें. घर के बाहर की लाइटें बंद कर दी जाती थीं. अंदर वाली भी जो लाइट थी वह भी जब जरूरत होती थी तभी जलाई जाती थी.

यह पूरे 15 दिनों तक चला और उसके बाद जब हिंदुस्तान जंग जीत गया फिर ब्लैक आउट खत्म हुआ. हमें कुछ पता नहीं था इसलिए हम ज्यादा डरे हुए थे. आज की बदली हुई परिस्थितियों में लोगों को यह जानना जरूरी है कि आखिरकार इसकी जरूरत क्यों है और अगर ऐसा कुछ होता है तो उन्हें क्या करना है. ऐसे में जो भी ब्लैक आउट हो रहा है उसे आज की जेनरेशन को समझना जरूरी है.

homenation

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