5th जेनरेशन फाइटर जेट का बचना मुश्किल, आ गया F-35, Su-57 और J-35 का बाप

43 minutes ago

Last Updated:November 21, 2025, 13:53 IST

DRDO Long Range Radar: भारत अपने डिफेंस सिस्‍टम को लगातार दुरुस्‍त करने में जुटा है. खासकर एयर स्‍ट्राइक से निपटने के लिए खास तैयारी की जा रही है. सुदर्शन मिशन का ऐलान इसी को ध्‍यान में रखते हुए किया गया है. अब इस दिशा में DRDO ने महत्‍वपूर्ण सफलता हासिल की है.

5th जेनरेशन फाइटर जेट का बचना मुश्किल, आ गया F-35, Su-57 और J-35 का बापDRDO Long Range Radar: DRDO ने ऐसा रडार डेवलप किया है, जिससे स्‍टील्‍थ फाइटर जेट का बचना भी मुश्किल है. (फाइल फोटो/AP)

DRDO Long Range Radar: भारत की स्‍ट्रैटजिक एयर सर्विलांस और एयर डिफेंस क्षमताओं को मजबूती देने की दिशा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज की है. DRDO ने स्वदेशी Gallium Nitride (GaN) आधारित Active Electronically Scanned Array (AESA) तकनीक से लैस Long Range Radar (LRR) के सभी सब-सिस्टम का सफलतापूर्वक डिजाइन, निर्माण और इंटीग्रेशन पूरा कर लिया है. यह प्रक्रिया निर्धारित टेस्ट साइट पर पूरी हुई और अब राडार सिस्टम ऑपरेशनल ट्रायल्स के अगले चरण में प्रवेश करने के लिए तैयार है. एल-बैंड पर आधारित यह एडवांस्ड AESA राडार लंबे दूरी पर छोटे रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) और अत्यधिक गति वाले हवाई लक्ष्यों को खोजने और ट्रैक करने में सक्षम है. इसके जरिए स्टेल्थ एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइलों और टैक्टिकल बैलिस्टिक प्रोजेक्टाइल जैसे हाई-एंड एयर थ्रेट्स का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकेगा.

इस राडार की खासियत इसकी GaN-बेस्ड ट्रांसमिट-रिसीव (TR) मॉड्यूल तकनीक है, जो ऊर्जा दक्षता, गर्मी से सुरक्षा, उच्च शक्ति आउटपुट और बेहतर बैंडविड्थ प्रदान करती है. इससे कम विजिबिलिटी वाले और तेज रफ्तार थ्रेट को भी दूर से और पूरी सटीकता के साथ डिटेक्ट करना संभव हो जाता है. AESA आर्किटेक्चर के चलते राडार बिना किसी मैकेनिकल मूवमेंट के इलेक्ट्रॉनिक बीम स्टीयरिंग तकनीक के साथ बेहद तेज स्कैनिंग और मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट कर सकता है. इससे वास्तविक युद्ध और निगरानी परिस्थितियों में प्रतिक्रिया समय में तेज़ी आकर स्थितिजन्य जागरूकता (situational awareness) कई गुना बढ़ जाती है. ऐसे में पांचवीं पीढ़ी के F-35, Su-57 और J-35 जैसे फाइटर जेट का बचना मुश्किल हो जाएगा.

सबकुछ देसी

एंटीना एरे, ट्रांसमीटर, रिसीवर, एक्साइटर और राडार सिग्नल प्रोसेसर जैसे सभी सबसिस्टम देश में ही विकसित और निर्मित किए गए हैं. बैकएंड डिजिटल प्रोसेसिंग में एडवांस्ड डिजिटल बीमफॉर्मिंग और क्लटर सप्रेशन एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है, जो भौगोलिक और मौसमी चुनौतियों के बीच भी डिटेक्शन की सटीकता सुनिश्चित करते हैं. इंटीग्रेशन फेज में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर—दोनों के बीच निर्बाध समन्वय की पुष्टि की गई. प्रारंभिक फंक्शनल टेस्ट्स में सिस्टम अपेक्षित प्रदर्शन देने में सफल रहा है और अब जल्द ही ग्राउंड फील्ड ट्रायल्स, रेंज ऑप्टिमाइजेशन और कैलिब्रेशन प्रक्रियाएं आगे बढ़ाई जाएंगी.

DRDO ने लॉन्‍ग रेंज रडार डेवलप किया है. (फाइल फोटो/AP)

डिफेंस नेटवर्क में अहम भूमिका

LRR को देश के लॉन्ग-रेंज निगरानी नेटवर्क की रीढ़ माना जा रहा है. इसे लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम, बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) नेटवर्क और सामरिक संवेदनशील इलाकों में अर्ली वार्निंग ग्रिड का हिस्सा बनाए जाने की संभावना है. इसकी मॉड्यूलर डिजाइन इसे भूमि, नौसेना या संभावित एयरबोर्न प्लेटफॉर्म के लिए अनुकूल बनाती है. स्वदेशी स्तर पर इस उन्नत राडार का निर्माण भारत की डिफेंस इंडस्ट्री में आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat) के लक्ष्य को मजबूती देता है और विदेशी राडार तकनीकों पर निर्भरता कम करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.

अभेद्य आसमानी सुरक्षा

इंटीग्रेशन पूरा होने के बाद अब राडार के बीम कंट्रोल एल्गोरिदम को ऑप्टिमाइज किया जाएगा और विस्तृत प्रदर्शन परीक्षण किए जाएंगे. DRDO का कहना है कि यह प्रोजेक्ट हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, सेंसर टेक्नोलॉजी और सामरिक निरोध क्षमता (strategic deterrence) के क्षेत्र में भारत की तेजी से बढ़ती क्षमता का ठोस प्रमाण है. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस सिस्टम के पूर्ण रूप से तैनात होने के बाद भारत की एयरस्पेस सिक्योरिटी, अर्ली वार्निंग क्षमता और हवाई खतरों के मुकाबले की तत्परता अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच जाएगी.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 21, 2025, 13:49 IST

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